अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन
- 29 Nov 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में केन्या की राजधानी नैरोबी में सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन (Sustainable Blue Economy Conference) का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन, नीली अर्थव्यवस्था के विषय पर आयोजित किया जाने वाला पहला सम्मलेन है।
- इसका आयोजन केन्या ने कनाडा तथा जापान के सहयोग से किया है।
- सम्मेलन का उद्देश्य यह सीखना था कि नीली अर्थव्यवस्था का विकास कैसे किया जाए, जिसके अंतर्गत सभी के जीवन को बेहतर बनाने के लिये दुनिया के महासागरों और जल निकायों की क्षमता का उपयोग किया जाता है।
- इस सम्मेलन की थीम थी- नीली अर्थव्यवस्था और सतत् विकास के लिये 2030 एजेंडा (The blue economy and the 2030 Agenda for Sustainable Development)।
सम्मेलन के दौरान किन बातों पर विचार किया गया?
- नीली अर्थव्यवस्था नियोजन में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का महत्त्व।
- कैसे सतत् विकास सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाता है।
- सतत् विकास के लिये 2030 एजेंडा में उल्लिखित लक्ष्यों को कैसे पूरा किया जाए?
- स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते हुए कौन सी चुनौतियाँ सामने आती हैं तथा उन चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए?
सम्मेलन की आवश्यकता क्यों?
- महासागरों तथा सागरों में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ ही सभी को लाभ पहुँचाने के लिये इस बात की भी आवश्यकता महसूस की गई है कि इन सागरों के विकास के लिये समावेशी और टिकाऊ तरीके अपनाने की आवश्यकता है।
- सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन का आयोजन सतत् विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडा, पेरिस में 2015 में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2017 के ‘कॉल टू एक्शन’ के आधार पर किया गया।
भारत और नीली अर्थव्यवस्था
- हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत रणनीतिक स्थान पर है और इसी आधार पर भारत सतत् समावेशी और जन केंद्रित रूप में हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के ढांचे के माध्यम से नीली अर्थव्यवस्था के विकास को स्वीकृति देता है।
- भारत के महत्त्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत 600 से अधिक परियोजनाएँ चिह्नित की गई हैं और इनमें 2020 तक लगभग 8 लाख करोड़ रुपए (120 बिलियन डॉलर) के निवेश का प्रावधान है।
- भारत अपने मैरीटाइम ढाँचे के साथ-साथ अंतर्देशीय जलमार्गों तथा महत्त्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम के माध्यम से तटीय जहाजरानी (Coastal Shipment) को विकसित कर रहा है।
नीली अर्थव्यवस्था
नीली अर्थव्यवस्था का तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सागरों अथवा महासागरों से जुडी हो।
नीली अर्थव्यवस्था का संरक्षण
- सतत् वैश्विक विकास काफी हद तक नीली अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर निर्भर करता है। सतत् विकास का एजेंडा 2030 तथा सतत् विकास लक्ष्य इस संबंध को प्रमुखता से रेखांकित करते हैं।
- नीली अर्थव्यवस्था का संबंध जलीय संसाधनों के दीर्घकालिक उपयोग तथा उनके संरक्षण से है, जिसमें शामिल हैं:
- समुद्र
- झीलें
- नदियाँ
- महासागर
- बहुत से देशों ने इन संसाधनों की असीमित क्षमता का उपयोग कर लाभ प्राप्त किया है तथा अपने सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिये अब भी इन संसाधनों का उपयोग लकर रहे हैं।
- यदि इन जलीय संसाधनों का उचित प्रबंधन और संरक्षण किया जाए तो ये सतत् तथा समावेशी विकास में योगदान दे सकते हैं।