संसद से सांसदों का निलंबन | 28 Jul 2023
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा के एक सांसद (संसद सदस्य) को आसन के निर्देशों का "उल्लंघन" करने के लिये निलंबित कर दिया गया है।
मणिपुर मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष का विरोध जारी है। वे इस मामले पर प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया की मांग कर रहे हैं और परिणामस्वरूप इसमें शामिल सांसदों में से एक को निलंबित कर दिया गया।
सांसदों के निलंबन की प्रक्रिया:
- सामान्य सिद्धांत:
- सामान्य सिद्धांत यह है कि व्यवस्था बनाए रखना पीठासीन अधिकारी- लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की भूमिका और कर्तव्य है ताकि सदन सुचारु रूप से चल सके।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि कार्यवाही उचित तरीके से संचालित हो, अध्यक्ष/सभापति को किसी सदस्य को सदन से बाहर जाने के लिये विवश करने का अधिकार है।
- प्रक्रिया और आचरण के नियम:
लोकसभा |
राज्यसभा |
नियम 373:
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नियम 255:
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Rule 374:
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Rule 256:
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नियम 374A:
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- निलंबन की शर्तें:
- निलंबन की अधिकतम अवधि शेष सत्र के लिये होती है।
- निलंबित सदस्य कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते हैं या समितियों की बैठकों में शामिल नहीं हो सकते हैं।
- वह चर्चा अथवा किसी प्रकार के नोटिस देने हेतु पात्र नहीं होगा।
- वह अपने प्रश्नों का उत्तर पाने का अधिकार खो देता है।
न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप:
- संविधान का अनुच्छेद 122 कहता है कि संसदीय कार्यवाही पर न्यायालय के समक्ष सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
- हालाँकि न्यायालयों ने विधायिका के प्रक्रियात्मक कामकाज में हस्तक्षेप किया है, जैसे-
- महाराष्ट्र विधानसभा ने अपने 2021 के मानसून सत्र में 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिये निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया।
- यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के सामने आया, जिसने माना कि मानसून सत्र के शेष समय के बाद भी प्रस्ताव कानून में अप्रभावी था।
आगे की राह
- प्रचार या राजनीतिक कारणों से नियोजित संसदीय अपराधों और जान-बूझकर गड़बड़ी से निपटना मुश्किल है।
- इसलिये विपक्षी सदस्यों को संसद में रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिये और उन्हें अपने विचार रखने तथा सम्मानजनक तरीके से खुद को व्यक्त करने की अनुमति दी जानी चाहिये।
- जान-बूझकर व्यवधान और महत्त्वपूर्ण मुद्दे को उठाने के बीच संतुलन बनाने की ज़रूरत है।