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सरोगेसी विनियमन विधेयक

  • 12 Feb 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सरोगेसी विनियमन विधेयक

मेन्स के लिये:

सरोगेसी से जुड़े प्रमुख मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक प्रवर समिति (Select Committee) ने सरोगेसी विनियमन पर अपनी रिपोर्ट पेश की है।

मुख्य बिंदु:

  • इस प्रवर समिति का गठन राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में किया गया था।
  • प्रवर समिति ने ‘सरोगेसी विनियमन विधेयक, 2019’ पर अपनी रिपोर्ट पेश की है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें:

  • विधेयक के ‘करीबी रिश्तेदारों’ (Close Relatives) वाले खंड को हटा दिया जाना चाहिये और किसी भी ‘इच्छुक’ (Willing) महिला को सरोगेट माँ बनने की अनुमति दी जानी चाहिये। साथ ही यदि उपयुक्त प्राधिकारी ने सरोगेसी को मंज़ूरी दे दी है तो अन्य सभी आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिये।
  • वाणिज्यिक सरोगेसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये।
  • 35-45 वर्ष आयु-वर्ग की तलाकशुदा और विधवा महिलाओं को ‘सिंगल कमीशनिंग पैरेंट’ (Single Commissioning Parent) होने की अनुमति दी जानी चाहिये।
  • निःसंतान विवाहित जोड़ों के लिये पाँच वर्ष की प्रतीक्षा अवधि को उस स्थिति में हटा देना चाहिये यदि चिकित्सा प्रमाण-पत्र यह प्रमाणित करता है कि वे गर्भधारण करने में असमर्थ हैं।
  • भारतीय मूल के व्यक्तियों को सरोगेसी सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति दी जानी चाहिये।
  • समिति ने सिंगल कमीशन पैरेंट की परिभाषा में एकल पुरुष या महिलाओं को शामिल नहीं करने की सिफारिश है। इसका मतलब है कि तुषार कपूर, करण जौहर और एकता कपूर जैसे लोग बच्चों के लिये सरोगेसी मार्ग का उपयोग करने के पात्र नहीं होंगे।
  • प्रवर समिति द्वारा यह भी सिफारिश की गई है कि सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक [Assisted Reproductive Technology (Regulation) Bill] को सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, 2019 से पहले लाया जाना चाहिये।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) विधेयक:

  • ART विधेयक को 2008 से बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
  • इसका उद्देश्य सभी आईवीएफ(IVF) क्लीनिकों और शुक्राणु बैंकों (Sperm Banks) को विनियमित करना है।
  • यह ART क्लीनिकों और युग्मक बैंकों (Gamete Banks) को भी पृथक करेगा।

पूर्व में संसदीय पैनल द्वारा विधेयक पर दी गई सिफ़ारिशें:

  • इस विधेयक की पहले भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा जाँच की गई थी।
  • समिति ने सिफारिश की थी कि मुआवज़े की शर्त को अधिनियम में जोड़ा जाना चाहिये और ‘परोपकारी’ (altruistic) शब्द को ‘क्षतिपूर्ति’ (Compensated) शब्द से प्रतिस्थापित कर देना चाहिये।
  • ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ को युगल (Couple) की परिभाषा में शामिल करना चाहिये और उन्हें परिवार के भीतर एवं बाहर दोनों से सरोगेट चुनने की अनुमति होनी चाहिये।
  • ‘निकट संबंधी’ प्रावधान का पितृसत्तात्मक पारिवारिक संरचना में दुरुपयोग हो सकता है जहाँ इच्छुक दंपत्ति के करीबी रिश्तेदार को सरोगेट बनने के लिये मजबूर किया जा सकता है जो वाणिज्यिक सरोगेसी की तुलना में और भी अधिक शोषणकारी होगा।
  • ART और सेरोगेसी विधेयकों को अलग-अलग पेश करने के स्थान पर एक साथ पेश करना चाहिये तथा सरोगेसी विधेयक को ART विधेयक के एक भाग के रूप में शामिल करना चाहिये।

निष्कर्ष:

प्रवर समिति ने अधिकांश वही सिफारिशें पुनः पेश की हैं जिनको सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है। सरकार प्रवर समिति की सिफारिशों को स्वीकार या अस्वीकार करने के लिये स्वतंत्र है, हालाँकि मूल विधेयक जिसकी अनेक विद्वानों ने रूढ़िवादी विधेयक कहकर आलोचना की थी, में अंततः कुछ प्रगतिशील संशोधन देखें जा सकते हैं।

स्रोत:द् हिंदू

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