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भारतीय अर्थव्यवस्था

ज़मानती बाॅण्ड

  • 05 Feb 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ज़मानती बाॅण्ड, आईआरडीएआई।

मेन्स के लिये:

ज़मानती बाॅण्ड और बुनियादी ढांँचे के विकास को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में बजट 2022-23 में सरकार ने सरकारी खरीद और सोने के आयात के मामले में बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में ज़मानत बीमा बाॅण्ड (Surety Insurance Bonds) के उपयोग की अनुमति दी है।

  • भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने भी भारत में ‘स्योर्टी इंश्योरेंस बिज़नेस’  (Surety Insurance Business) के व्यवस्थित विकास को सुनिश्चित करने हेतु अंतिम दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
  • 1 अप्रैल, 2022 से IRDAI (ज़मानत बीमा अनुबंध) दिशा-निर्देश, 2022 प्रभावी होंगे।

Lower-Indirect-Costs

ज़मानती बाॅण्ड:

  • ज़मानती बाॅण्ड एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अनुबंध है जिसे तीन पक्षों द्वारा दर्ज किया जाता है- मुख्य, बाध्यकारी और ज़मानती।
    • बाध्यकारी पक्ष आमतौर पर एक सरकारी संस्था होती है, जिसको भविष्य के कार्य प्रदर्शन के खिलाफ गारंटी के रूप में ज़मानती बाॅण्ड प्राप्त करने के लिये आमतौर पर एक व्यवसाय के मालिक या ठेकेदार की आवश्यकता होती है।
  • ज़मानती बाॅण्ड मुख्य रूप से बुनियादी ढाँचे के विकास से संबंधित है, यह आपूर्तिकर्त्ताओं और कार्य-ठेकेदारों के लिये अप्रत्यक्ष लागत को कम करने हेतु उनके विकल्पों में विविधता लाने व बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में कार्य करता है।
  • बीमा कंपनी द्वारा ठेकेदार की ओर से उस संस्था को ज़मानती बाॅण्ड प्रदान किया जाता है जो परियोजना प्रदान कर रही है।
  • ज़मानती बाॅण्ड लाभार्थी को उन कृत्यों या घटनाओं से बचाता है जो मुख्य पक्ष को अंतर्निहित दायित्वों  से वंचित करते हैं। वे निर्माण या सेवा अनुबंधों से लेकर लाइसेंसिंग और वाणिज्यिक उपक्रमों तक विभिन्न दायित्वों के प्रदर्शन की गारंटी देते हैं।

बजट में लिये गए निर्णय:

  • एक नई अवधारणा के रूप में ज़मानती बाॅण्ड काफी जोखिम भरा होता है और भारत में बीमा कंपनियों को अभी तक ऐसे व्यवसाय में जोखिम मूल्यांकन में विशेषज्ञता हासिल नहीं हुई है।
  • इसके अलावा मूल्य निर्धारण, डिफॉल्टिंग ठेकेदारों के विरुद्ध उपलब्ध सहायता और पुनर्बीमा विकल्पों पर कोई स्पष्टता नहीं है।
    • ये काफी महत्त्वपूर्ण विषय हैं और ज़मानत से संबंधित विशेषज्ञता एवं क्षमताओं के निर्माण में बाधा डाल सकते हैं तथा अंततः बीमाकर्त्ताओं को इस व्यवसाय में प्रवेश करने से रोक सकते हैं।

यह अवसंरचना परियोजनाओं को किस प्रकार बढ़ावा देगा?

  • ज़मानती अनुबंधों के लिये नियम बनाने के कदम से बुनियादी अवसंरचना क्षेत्र को अधिक तरलता और वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • यह बड़े, मध्यम एवं छोटे ठेकेदारों के लिये समान अवसर प्रदान करेगा।
  • ज़मानती बीमा व्यवसाय, निर्माण परियोजनाओं के लिये बैंक गारंटी के विकल्प को विकसित करने में सहायता करेगा।
    • यह कार्यशील पूंजी के कुशल उपयोग को सक्षम करेगा और निर्माण कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली संपार्श्विक की आवश्यकता को कम करेगा।
  • जोखिम संबंधी जानकारी साझा करने हेतु बीमाकर्त्ता वित्तीय संस्थानों के साथ मिलकर काम करेंगे।
    • इसलिये यह जोखिम पहलुओं पर समझौता किये बिना बुनियादी अवसंरचना के क्षेत्र में तरलता लाने में सहायता करेगा।

ज़मानती बाॅण्ड पर IRDAI दिशा-निर्देश

  • नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, बीमा कंपनियाँ अब बहुप्रतीक्षित ज़मानती बाॅण्ड लॉन्च कर सकती हैं।
  • IRDAI ने कहा है कि एक वित्तीय वर्ष में सभी निश्चित बीमा पॉलिसियों के लिये लिया गया प्रीमियम, उन नीतियों हेतु बाद के वर्षों में सभी किश्तों सहित उस वर्ष के कुल सकल लिखित प्रीमियम के 10% से अधिक नहीं होना चाहिये, जो कि अधिकतम 500 करोड़ रुपए की सीमा के अधीन है।
  • भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) के अनुसार, बीमाकर्त्ता ज़मानती बाॅण्ड जारी कर सकते हैं, जो सार्वजनिक संस्था, डेवलपर्स, उप-अनुबंधकर्त्ता और आपूर्तिकर्त्ताओं को आश्वासन देते हैं कि ठेकेदार परियोजना शुरू करते समय अपने संविदात्मक दायित्व को पूरा करेगा।
    • अनुबंध बाॅण्ड में बोली बाॅण्ड, प्रदर्शन बाॅण्ड, अग्रिम भुगतान बाॅण्ड और प्रतिधारण राशि शामिल हो सकती है
      • बोली बाॅण्ड: यह एक उपकृत को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है यदि बोली लगाने वाले को बोली दस्तावेज़ो के अनुसार एक अनुबंध से सम्मानित किया जाता है, लेकिन अनुबंध पर हस्ताक्षर करने में विफल रहता है।
      • प्रदर्शन बाॅण्ड: यह आश्वासन प्रदान करता है कि यदि प्रिंसिपल या ठेकेदार बंधुआ अनुबंध को पूरा करने में विफल रहता है तो उपकृत की रक्षा की जाएगी। यदि उपकृतकर्ता प्रिंसिपल या ठेकेदार को डिफॉल्ट घोषित करता है और अनुबंध को समाप्त कर देता है, तो यह ज़मानत प्रदाता को बाॅण्ड के तहत ज़मानत के दायित्वों को पूरा करने के लिये कह सकता है।
      • अग्रिम भुगतान बाॅण्ड: यदि ठेकेदार विनिर्देशों के अनुसार, अनुबंध को पूरा करने में या अनुबंध के दायरे का पालन करने में विफल रहता है, तो यह ज़मानत प्रदाता द्वारा अग्रिम भुगतान की बकाया राशि का भुगतान करने का वादा है।
      • प्रतिधारण राशि: यह ठेकेदार को देय राशि का एक हिस्सा है, जिसे अनुबंध के सफल समापन के बाद अंत में बनाए रखा जाता है और देय होता है।
  • गारंटी की सीमा अनुबंध मूल्य के 30% से अधिक नहीं होनी चाहिये।
  • ज़मानत बीमा अनुबंध केवल विशिष्ट परियोजनाओं के लिये जारी किये जाने चाहिये और कई परियोजनाओं के लिये संयोजित नहीं किये जाने चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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