ECI नियुक्तियों पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला | 03 Mar 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारत निर्वाचन आयोग, सर्वोच्च न्यायालय मेन्स के लिये:भारत निर्वाचन आयोग और उसके कार्य, स्वतंत्रता, नियुक्ति प्रक्रिया |
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय (SC) के पाँच-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता एवं भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
- यदि विपक्ष का नेता उपलब्ध न हो तो लोकसभा में सबसे अधिक जन-प्रतिनिधियों वाले विपक्षी दल का मुखिया इस समिति का सदस्य होगा।
फैसले के अन्य प्रमुख बिंदु
- सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ECI की नियुक्ति पर संविधान सभा (Constituent Assembly- CA) की बहस से स्पष्ट होता है कि सभी सदस्यों का स्पष्ट मत था कि चुनाव एक स्वतंत्र आयोग द्वारा आयोजित किये जाने चाहिये।
- इसके अतिरिक्त "संसद द्वारा इस संबंध में स्थापित किसी भी कानून की शर्तों के अधीन" वाक्यांश का उद्देश्यपूर्ण समावेश इंगित करता है कि संविधान सभा ने संसद द्वारा भारतीय निर्वाचन आयोग की नियुक्तियों को नियंत्रित करने के लिये मानकों को स्थापित करने की परिकल्पना की थी।
- आमतौर पर न्यायालय विशेष विधायी शक्तियों के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, परंतु संविधान के संदर्भ में विधायिका की निष्क्रियता और उससे उत्पन्न शून्यता को देखते हुए न्यायालय को निश्चित रूप से हस्तक्षेप करना चाहिये।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त को हटाए जाने की प्रक्रिया समान होनी चाहिये अथवा नहीं, के सवाल पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह एक समान नहीं हो सकती क्योंकि मुख्य निर्वाचन आयुक्त का दर्जा विशेष होता है और उसके बिना अनुच्छेद 324 की सक्रियता काफी प्रभावित हो सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग, स्थायी सचिवालय के वित्तपोषण और भारत के समेकित कोष पर खर्च किये जाने वाले वित्त की आवश्यकता के सवाल को सरकार के निर्णय के लिये छोड़ दिया।
- सरकार का तर्क:
- सरकार के अनुसार, "ऐसे कानून के अभाव में राष्ट्रपति के पास संवैधानिक शक्तियाँ होती हैं। सरकार ने न्यायालय से न्यायिक संयम बनाए रखने का अनुरोध किया है।
चुनौतियाँ:
- जैसा कि संविधान, संसद को ECE की नियुक्ति पर कोई भी कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है, अर्थात् इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला शक्ति के पृथक्करण सिद्धांत को चुनौती देता है।
- हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यह निर्णय संसद द्वारा बनाए गए किसी भी कानून के अधीन होगा, जिसका अर्थ है कि संसद इसे पूर्ववत करने हेतु एक कानून बना सकती है।
- एक अन्य दृष्टिकोण यह है कि इस विषय पर संसद द्वारा कोई कानून पारित नहीं किया गया है, अतः न्यायालय को "संवैधानिक शून्य" को भरने हेतु कदम उठाना चाहिये।
ECI में नियुक्ति हेतु मौजूदा प्रावधान:
- संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान का भाग XV (अनुच्छेद 324-329): यह चुनावों से संबंधित है और इन मामलों के लिये एक आयोग की स्थापना की गई है।
- ECI की संरचना:
- मूल रूप से आयोग में केवल एक चुनाव आयुक्त था लेकिन चुनाव आयुक्त संशोधन अधिनियम,1989 के बाद इसे एक बहु-सदस्यीय निकाय (1 मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 अन्य चुनाव आयुक्त) बना दिया गया।
- अनुच्छेद 324 के अनुसार, CEC और कोई अतिरिक्त चुनाव आयुक्त, जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त कर सकता है, चुनाव आयोग में शामिल होंगे।
- नियुक्ति प्रक्रिया:
- अनुच्छेद 324(2): इस संबंध में संसद द्वारा पारित किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन राष्ट्रपति द्वारा CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाएगी।
- कानून मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री के विचार हेतु उपयुक्त उम्मीदवारों की सिफारिश की जाती है। नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रपति चुनाव आयुक्तों की सेवा संबंधी की शर्तों और कार्य अवधि का निर्धारण करता है।
- उनका कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है।
- अनुच्छेद 324(2): इस संबंध में संसद द्वारा पारित किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन राष्ट्रपति द्वारा CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाएगी।
- निष्कासन:
- वह कभी भी इस्तीफा दे सकता है या कार्यकाल समाप्त होने से पहले उसे हटाया भी जा सकता है।
- CEC को संसद द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान माध्यम से ही पद से हटाया जा सकता है।
- CEC की सिफारिश के बिना किसी अन्य निर्वाचन आयुक्त को नहीं हटाया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d)
अतः विकल्प (d) सही उत्तर है। मेन्स:प्रश्न. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) के इस्तेमाल संबंधी हाल के विवाद के आलोक में भारत में चुनावों की 'विश्वास्यता सुनिश्चित करने के लिये भारत के निर्वाचन आयोग के समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ है? (2018) प्रश्न. भारत में लोकतंत्र की गुणता को बढ़ाने के लिये भारत के चुनाव आयोग ने 2016 में चुनावी सुधारों का प्रस्ताव दिया है। सुझाए गए सुधार क्या हैं और लोकतंत्र को सफल बनाने में वे किस सीमा तक महत्त्वपूर्ण है? (2017) |