सड़क सुरक्षा पर कसा सर्वोच्च न्यायालय का शिंकजा | 02 Dec 2017

Road Safetyचर्चा में क्यों ?
हाल ही में जनहित याचिका के तहत देश के सभी राज्यों और संघ-शासित प्रदेशों में सड़क सुरक्षा नीति बनाने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील दायर की गई, जिसमें ड्राइविंग लाइसेंस, वाहनों के पंजीकरण, सड़क सुरक्षा और वाहनों की विशेषताएँ वर्णित करने जैसी गतिविधियों के संबंध में समन्वय स्थापित करने के लिये राज्य सड़क सुरक्षा परिषदों के सचिवालयों के रूप में काम करने वाली सशक्त एजेंसियों की स्थापना की अपील की गई है।

  • याचिकाकर्त्ता द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में से 90 प्रतिशत का कारण सड़क पर सुरक्षा नियमों के सख्त प्रवर्तन में होने वाली कमी और नियमों का पालन न किया जाना होता है।
  • स्पष्ट रूप से सड़क सुरक्षा के मुद्दों को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिये।
  • इस विषय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि वर्ष 2015-16 में बीमा कंपनियों द्वारा सड़क दुर्घटना क्षतिपूर्ति के माध्यम से कुल 11,480 करोड़ रुपए खर्च किये गए
  • गौरतलब है कि 7 नवंबर, 2017 तक सड़क दुर्घटनाओं के कारण प्रत्येक तीन मिनट में एक मौत की घटना दर्ज़ की गई, जबकि इनमें आधे से भी कम पीड़ितों परिवारों को ही मुआवज़े की राशि प्रदान की गई।

Transport Related Issuesसड़क सुरक्षा नीति बनाने के संबंध में अंतिम समय-सीमा

  • न्यायालय द्वारा यह भी निहित किया गया कि ज़्यादातर राज्यों और संघ-राज्य क्षेत्रों द्वारा पहले ही सड़क सुरक्षा नीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है। 
  • इसके बावजूद कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहाँ अभी तक कोई रणनीति या मसौदा तैयार नहीं किया गया है। इन राज्यों और संघ-शासित क्षेत्रों में दिल्ली, असम, नागालैंड, त्रिपुरा, लक्षद्वीप, दादरा और नागर हवेली तथा अंडमान शामिल हैं। 
  • न्यायालय द्वारा संघ-शासित प्रदेशों को सड़क सुरक्षा नीति तैयार करने के लिये 31 जनवरी, 2018 तक का समय दिया गया है।

न्यायमूर्ति राधाकृष्णन पैनल

  • न्यायमूर्ति राधाकृष्णन पैनल द्वारा इन परिषदों की ज़िम्मेदारी और कार्यों को नियत किया जाएगा। ये परिषदें समय-समय पर सड़क सुरक्षा कानूनों की समीक्षा करेंगी तथा जहाँ भी आवश्यक होगा वहाँ उपयुक्त उपचारात्मक कदम भी उठाएंगी। 
  • इसी तरह, 31 जनवरी, 2018 तक प्रमुख एजेंसियों और ज़िला सड़क सुरक्षा समितियों की भी स्थापना की जानी चाहिये।

सड़क सुरक्षा कोष की स्थापना

  • इसके अतिरिक्त न्यायालय द्वारा राज्यों और संघ-शासित प्रदेशों द्वारा सड़क सुरक्षा कोष स्थापित किये जाने को भी अनिवार्य घटक बनाया गया है। इसके अंतर्गत यातायात जुर्माने से प्राप्त धनराशि को संग्रहीत किया जाएगा तथा इसका धन को सड़क सुरक्षा हेतु आवश्यक खर्चों को पूरा करने के लिये इस्तेमाल किया जाएगा

अन्य प्रमुख बिंदु

  • न्यायालय द्वारा संघ-शासित क्षेत्रों के अलावा देश के अन्य राज्यों को 31 मार्च तक सड़क सुरक्षा कार्य योजना (Road Safety Action Plans) तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है। इन निर्देशों को जारी करने का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाना है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप होने वाली मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
  • न्यायालय द्वारा केंद्रीय परिवहन मंत्रालय को सड़क के डिज़ाइन, सड़क की गुणवत्ता और काले धब्बों की पहचान करने हेतु एक प्रोटोकॉल तैयार करने के लिये कहा गया है। 
  • इसके अतिरिक्त मंत्रालय द्वारा दुर्घटना स्थलों पर "यातायात को नियंत्रित करने वाले उपायों" को लागू किया जाना चाहिये।
  • उपरोक्त उपायों के साथ-साथ प्रत्येक ज़िले में आपातकालीन चिकित्सा देखभाल केन्द्रों की स्थापना, एक सार्वभौमिक आकस्मिक हेल्पलाइन नंबर और स्थायी सड़क सुरक्षा कक्ष स्थापित किये जाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिये।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध में फरवरी 2018 में पुनः स्थिति की समीक्षा की जाएगी।