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सुप्रीम कोर्ट द्वारा नए रोस्टर सिस्टम की घोषणा

  • 26 Jun 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर की सेवानिवृत्ति के दो दिन बाद ही सर्वोच्च न्यायालय ने मामलों के आवंटन के लिये 24 जून, 2018 को नया रोस्टर जारी किया है। यह रोस्टर दो जुलाई से प्रभावी होगा क्योंकि ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद न्यायालय का नियमित कामकाज दो जुलाई से शुरू होगा।

सुप्रीम कोर्ट के 10 न्यायाधीश

  • इस अधिसूचना में उन सभी मामलों की सूची शामिल की गई है जिनकी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश और 10 अन्य न्यायाधीशों - जस्टिस गोगोई, जस्टिस लोकुर, जस्टिस जोसेफ, जस्टिस ए.के. सीकरी, जस्टिस एस.ए बोबडे, जस्टिस एन.वी. रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस ए.के. गोयल, जस्टिस आर.एफ. नरीमन और जस्टिस ए.एम. सप्रे की खंडपीठों द्वारा की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट का नया रोस्टर

  • मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ सामाजिक न्याय, चुनाव, बंदी प्रत्यक्षीकरण और अदालत की अवमानना से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
  • न्यायमूर्ति चेलमेश्वर की सेवानिवृत्ति के बाद वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई भी सेवानिवृत्त होने वाले है। हालाँकि उन्हें श्रम कानूनों, अप्रत्यक्ष करों, पर्सनल लॉ और कंपनी लॉ से जुड़े मामलों की सुनवाई करने का अधिकार दिया गया है।
  • न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को सेवा, सामाजिक न्याय, पर्सनल लॉ, भूमि अधिग्रहण, खदान एवं खनिज, उपभोक्ता संरक्षण और सशस्त्र एवं अर्धसैनिक बलों से जुड़े मामलों की सुनवाई की ज़िम्मेदारी दी गई है। 
  • न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की खंडपीठ को पारिस्थितिकीय असंतुलन से जुड़े मामलों, वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, पेड़ों की कटाई और भूजल स्तर से जुड़े मामलों की ज़िम्मेदारी दी गई है। इसके अतिरिक्त न्यायमूर्ति लोकुर को सेवा, सामाजिक न्याय, पर्सनल लॉ, भूमि अधिग्रहण, खानों, उपभोक्ता संरक्षण और सेना व सशस्त्र बालों से संबंधित मामले भी दिये गए हैं।
  • न्यायमूर्ति जोसेफ की खंडपीठ को श्रम कानूनों, किराया कानून, पारिवारिक कानून, अदालत की अवमानना और पर्सनल लॉ के मामले दिये गए हैं। वह धार्मिक एवं परमार्थ दान के अलावा सभी भूमि कानूनों एवं कृषि काश्तकारीयों के मामलों की भी सुनवाई करेंगे।
  • सर्वोच्च न्यायालय के पाँच सदस्यीय कोलेजियम के नए सदस्य न्यायमूर्ति सीकरी की पीठ को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों, चुनाव एवं आपराधिक मामलों, पर्सनल लॉ, अदालत की अवमानना, सामान्य दीवानी मामलों और विधि अधिकारियों की नियुक्ति के मामलों की ज़िम्मेदारी दी गई है।

पृष्ठभूमि

विदित हो कि जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस गोगोई, तथा जस्टिस एम.बी. लोकुर और कुरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सर्वोच्च न्यायालय में मामलों के आवंटन संबंधी गड़बड़ी का आरोप लगाया था। इसके बाद एक फरवरी को पहली बार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोस्टर जारी किया गया।

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