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भारतीय अर्थव्यवस्था

MSMEs सेक्टर के लिये सहयोग एवं संपर्क कार्यक्रम (Support and Outreach Initiative for MSME sector)

  • 03 Nov 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

2 नवंबर, 2018 को प्रधानमंत्री ने सूक्ष्‍म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSMEs) सेक्‍टर के लिये एक ऐतिहासिक सहयोग एवं संपर्क कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत 12 महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं जिनसे देश भर में MSMEs के विकास और विस्‍तार के साथ-साथ उन्‍हें सहूलियतें देने में मदद मिलेगी।

सहयोग एवं संपर्क कार्यक्रम के अंतर्गत घोषणाएँ

  1. MSMEs को आसानी से ऋण उपलब्‍ध कराने के लिये एक लोन पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की गई। इस पोर्टल के ज़रिये सिर्फ 59 मिनट में एक करोड़ रुपए तक के ऋणों को सैद्धांतिक मंज़ूरी दी जा सकती है। GST पोर्टल के ज़रिये इस पोर्टल का एक लिंक उपलब्‍ध कराया जाएगा।
  2. सभी GST पंजीकृत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिये दो प्रतिशत ब्याज सब्सिडी देने की घोषणा। शिपमेंट से पूर्व और बाद की अवधि में ऋण लेने वाले निर्यातकों के लिये ब्याज में छूट तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पाँच प्रतिशत करने की घोषणा की गई।
  3. पाँच सौ करोड़ रुपए से अधिक टर्नओवर वाली सभी कंपनियों को आवश्यक रूप से व्यापार प्राप्तियाँ ई-डिस्काउंटिंग प्रणाली (TREDS) पोर्टल में शामिल किया जाए। इस घोषणा में शामिल होने से उद्यमी अपनी आगामी प्राप्तियों के आधार पर बैंकों से ऋण ले सकेंगे। इससे उनके नकदी चक्र की समस्याएँ हल हो जाएंगी।
  4. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अब 20 प्रतिशत की बजाय अपनी कुल खरीदारी में से 25 प्रतिशत खरीदारी MSMEs से करने के लिये कहा गया है।
  5. पाँचवी घोषणा महिला उद्यमियों से संबंधित है। MSMEs से की गई आवश्यक 25 प्रतिशत खरीदारी में से 3 प्रतिशत खरीदारी अब महिला उद्यमियों के लिये आरक्षित की गई है।
  6. केंद्र सरकार के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अब आवश्यक रूप से GeM (Government e-Market place) का हिस्सा होना चाहिये। उन्हें अपने सभी विक्रेताओं को GeM से पंजीकृत कराया जाना चाहिये।
  7. पूरे देश में स्थित टूल रूम्स अब उत्पाद डिज़ाइन के महत्त्वपूर्ण हिस्से हैं। पूरे देश में इससे संबंधित 22 केंद्र बनाए जाएंगे और टूल रूम के रूप में 100 स्पोक्स स्थापित किये जाएंगे।
  8. फार्मा क्षेत्र के सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योगों के लिये क्‍लस्‍टर बनाए जाएंगे। इन क्‍लस्‍टर के निर्माण की लागत का 70 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी।
  9. 9वीं घोषणा सरकारी प्रक्रियाओं के सरलीकरण के बारे में है। इस घोषणा के तहत आठ श्रम कानूनों और 10 केंद्रीय नियमों के अंतर्गत अब साल में एक ही बार रिटर्न फाइल किये जाएंगे।
  10. 10वीं घोषणा यह है कि अब प्रतिष्‍ठानों का निरीक्षक द्वारा किये जाने वाला दौरा कंप्‍यूटर आधारित औचक आवंटन के जरिये तय किया जाएगा।
  11. इकाई स्‍थापित करने के संबंध में उद्यमियों को दो क्‍लीयरेंस की ज़रूरत होती है- पर्यावरण क्‍लीयरेंस और इकाई स्‍थापित करने की रजामंदी। 11वीं घोषणा के अंतर्गत वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण नियमों के तहत इन दोनों क्‍लीयरेंस को एकल अनुमति में समाविष्‍ट कर दिया गया है। अब रिटर्न, स्व–प्रमाणीकरण के ज़रिये स्‍वीकार किया जाएगा।
  12. एक अध्‍यादेश लाया गया है, जिसके तहत कंपनी अधिनियम के संबंध में मामूली उल्‍लंघनों के लिये उद्यमी को अदालतों के चक्‍कर नहीं लगाने होंगे। उन्‍हें आसान प्रक्रियाओं के तहत दुरुस्‍त कर लिया जाएगा।

MSMEs के प्रमुख पहलू

  • MSMEs भारत के प्रमुख रोज़गार-दाताओं में से एक है। MSMEs क्षेत्र की सहूलियत से जुड़े पाँच महत्त्वपूर्ण पहलू हैं इस प्रकार हैं-
  1. ऋणों तक पहुँच
  2. बाज़ार तक पहुँच
  3. तकनीकी उन्‍नयन
  4. कारोबार में सुगमता
  5. कर्मचारियों की सुरक्षा की भावना
  • उपरोक्त घोषणाओं के माध्यम से इन पाँचों क्षेत्रों के लिये उपयुक्त समाधान प्राप्त हो सकेगा।

MSMEs सेक्‍टर के कर्मचारियों के लिये सामाजिक सुरक्षा

  • इस कार्यक्रम के तहत MSMEs सेक्‍टर के कर्मचारियों के लिये सामाजिक सुरक्षा का भी उल्‍लेख किया गया है। साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिये एक मिशन शुरू किया जाएगा कि उन्‍हें जन-धन खाता, भविष्‍य निधि और बीमा उपलब्‍ध हो।

आगे की राह

  • इन फैसलों से भारत में MSMEs सेक्‍टर को मज़बूत बनाने में सहायता मिलेगी। अगले 100 दिनों के दौरान इस आउटरीच कार्यक्रम के कार्यान्‍वयन की गहन निगरानी की जाएगी।
  • ये सभी घोषणाएँ MSMEs क्षेत्र के लिये एक नया अध्‍याय साबित होंगी।
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