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भारतीय अर्थव्यवस्था

अनुदान की अनुपूरक मांग

  • 15 Sep 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अनुपूरक अनुदान, लेखानुदान  

मेन्स के लिये:

बजट और संसद द्वारा जारी अनुदान से संबंधित प्रश्न 

चर्चा में क्यों?    

हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये 2.35 लाख करोड़ रूपए के सकल अतिरिक्त व्यय हेतु संसद की मंज़ूरी मांगी गई है।    

प्रमुख बिंदु:    

  • केंद्रीय वित्त मंत्री ने 14 सितंबर, 2020 को लोकसभा में चालू वित्तीय वर्ष के लिये अनुपूरक मांगों का विवरण प्रस्तुत किया है।
  • 2.35 लाख करोड़ रूपए के सकल अतिरिक्त व्यय में निवल नकद व्यय लगभग 1.67 लाख करोड़ रुपए है।
  • इसमें बाकी के धन का प्रावधान अन्य मंत्रालयों या विभागों की बचत या वसूलियों से किया जाएगा।
  • COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई आपातकाल जैसी स्थिति के कारण सरकार के व्यय में वृद्धि हुई है
  • केंद्र सरकार द्वारा 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप राजस्व घाटा अनुदान के तहत अतिरिक्त आवंटन प्रदान करने के लिये 44,340 करोड़ रुपए के खर्च की स्वीकृति की मांग की गई है।

मनरेगा के लिये: 

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण हेतु:  

  • केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक मांगों के तहत सरकारी प्रतिभूतियों के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण हेतु 20,000 करोड़ रुपए की मांग की गई है।
  • गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में केंद्र सरकार द्वारा बैंक पुनर्पूंजीकरण के लिये कोई धन आवंटित नहीं किया गया था, परंतु COVID-19 महामारी के नियंत्रण हेतु लागू लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए जुलाई 2020 में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने बैंकों के  पुनर्पूंजीकरण की आवश्यकता को रेखांकित किया था। 
  • इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा COVID-19 महामारी के नियंत्रण के लिये 6,852 करोड़ रुपए की मांग के साथ सरकारी अस्पतालों के लिये आवश्यक सामग्री और मशीनरी खरीदने के लिये अतिरिक्त मांग भी शामिल है।

अनुपूरक अनुदान: 

  • किसी वर्ष के लिये सरकार द्वारा निर्धारित व्यय को पूरा करने के लिये आवश्यक अतिरिक्त अनुदान को अनुपूरक अनुदान कहा जाता है।
  • जब संसद द्वारा अधिकृत अनुदान आवश्यक व्यय से कम हो जाता है तो उस स्थिति में संसद के समक्ष अतिरिक्त अनुदान के लिये एक अनुमान प्रस्तुत किया जाता है।
  • अनुपूरक अनुदान को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पहले संसद में प्रस्तुत और पारित (संसद द्वारा) किया जाता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-115 के तहत अतिरिक्त या अधिक अनुदान (Additional or Excess Grants) के साथ अनुपूरक अनुदान का प्रावधान किया गया है। 

अन्य अनुदान: 

  • अतिरिक्त अनुदान:  अतिरिक्त अनुदान उस समय प्रदान किया जाता है जब सरकार को उस वर्ष के वित्तीय विवरण में परिकल्पित/अनुध्यात की गई सेवाओं के अतिरिक्त किसी नई सेवा के लिये धन की आवश्यकता होती है। 
  • अधिक अनुदान (Excess Grant): यह उस समय प्रदान किया जाता है जब किसी सेवा पर उस वित्तीय वर्ष में निर्धारित (उस वर्ष में संबंधित सेवा के लिये) या अनुदान किये गए धन से अधिक व्यय हो जाता है।  
  • लेखानुदान (Votes on Account):   यदि केंद्र सरकार पूरे वर्ष के स्थान पर कुछ ही महीनों के लिये संसद से जरूरी खर्च हेतु अनुमति प्राप्त करनी होती है तो उस स्थिति में सरकार लेखानुदान या वोट ऑन अकाउंट पेश कर सकती है। अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के अलावा राजस्व का भी ब्यौरा पेश करती है जबकि लेखानुदान में सिर्फ खर्च के लिये संसद से मंज़ूरी ली जाती है।  
  • प्रत्यानुदान (Vote of Credit): यदि किसी सेवा की महत्ता या उसके अनिश्चित स्वरूप के कारण मांग को बजट में इस प्रकार नहीं रखा जा सकता जिस प्रकार सामान्यतया बजट में अन्य मांगों को रखा जाता है, तो ऐसी मांगो की पूर्ति के लिये प्रत्यानुदान दिया जाता है। 
  • अपवादानुदान (Exceptional Grant): यह किसी विशेष उद्देश्य के लिये प्रदान किया जाता है। 
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-116 के तहत लेखानुदान, प्रत्यानुदान और अपवादानुदान का निर्धारण किया गया है।

स्रोत: द हिंदू 

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