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जैव विविधता और पर्यावरण

तेल रिसाव के लिये सुपर-हाइड्रोफोबिक कॉटन कम्पोज़िट

  • 22 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तेल रिसाव, सुपर-हाइड्रोफोबिक कॉटन कम्पोज़िट, मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन, राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना

मेन्स के लिये:

तेल रिसाव का जलीय जीवों एवं पर्यावरण पर प्रभाव, तेल रिसाव की घटनाओं को रोकने हेतु प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) गुवाहाटी ने मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOF) के साथ एक सुपर-हाइड्रोफोबिक कॉटन कम्पोज़िट (Super-Hydrophobic Cotton Composite) विकसित किया है जो समुद्री तेल रिसाव को साफ कर सकता है।

  • इससे पहले एक अध्ययन ने पुष्टि की थी कि कनाडा के आर्कटिक के ठंडे समुद्री जल में पोषक तत्त्वों के साथ उत्तेजक बैक्टीरिया (बायोरेमेडिएशन) तेल रिसाव के बाद डीज़ल और अन्य पेट्रोलियम तेल को विघटित करने में मदद कर सकते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क के विषय में:
    • यह एक नया एमओएफ कंपोज़िट है, जो एक जल-विकर्षक सामग्री है तथा तेल-पानी के मिश्रण से तेल को अवशोषित कर सकता है।
      • एमओएफ क्रिस्टलीय होते हैं, जो ठोस चरण निष्कर्षण के लिये उपयुक्त बहुआयामी कार्बनिक अणुओं के तीन आयामी (3D) नेटवर्क से बने होते हैं।
    • इस एमओएफ कंपोज़िट में तेल-पानी के मिश्रण से तेल के पृथक्करण की बड़ी क्षमता (पृथक्करण दक्षता 95% और 98% के बीच) होती है, चाहे तेल की रासायनिक संरचना तथा घनत्व कुछ भी हो।
    • यह बड़ी मात्रा में तेल को अवशोषित कर सकता है और इसे कम-से-कम 10 बार पुन: उपयोग किया जा सकता है। इसलिये इससे तेल रिसाव से गिरे हुए तेल को पुनः अधिक-से-अधिक प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा भारी और हल्के दोनों प्रकार के तेल को प्रभावी ढंग से अवशोषित किया जा सकता है जो आसान, लागत प्रभावी और पुन: प्रयोज्य है।
  • महत्त्व:
    • यह उच्च दक्षता और अधिक अवशोषण क्षमता के साथ तेल परिवहन के दौरान पर्यावरणीय जल (नदी, समुद्र या समुद्र के पानी) में फैला हुआ तेल साफ करेगा, इस प्रकार पर्यावरणीय जल प्रदूषण को कम करेगा।
    • यह पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी है। इस तरह की कम लागत वाली सामग्री वर्तमान में उपलब्ध सामग्रियों की तुलना में वास्तविक अनुप्रयोगों के लिये बड़े पैमाने पर संश्लेषण हेतु सामग्री की उत्पादन लागत को कम करेगी।
  • तेल रिसाव के निवारण के अन्य उपाय:

Oil-Spills

तेल रिसाव 

  • तेल रिसाव के विषय में:
    • तेल रिसाव पर्यावरण में कच्चे तेल, गैसोलीन, ईंधन या अन्य तेल उत्पादों के अनियंत्रित रिसाव को संदर्भित करता है। तेल रिसाव की घटना भूमि, वायु या पानी को प्रदूषित कर सकती है, हालाँकि इसका उपयोग सामान्य तौर पर समुद्र में तेल रिसाव के संदर्भ में किया जाता है।
    • गंभीर जल संदूषण मनुष्यों के साथ-साथ अन्य जीवित प्रजातियों के स्वास्थ्य के लिये खतरा है।
    • मुख्य रूप से महाद्वीपीय चट्टानों पर गहन पेट्रोलियम अन्वेषण एवं उत्पादन तथा जहाज़ों में बड़ी मात्रा में तेल के परिवहन के परिणामस्वरूप तेल रिसाव एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या बन गई है।
      • तेल रिसाव फिशिंग को तत्काल रूप से प्रभावित करता है और समुद्री मार्गों के माध्यम से पर्यटन तथा वाणिज्य को भी प्रभावित करता है।
    • तेल रिसाव जो कि नदियों, खाड़ियों और समुद्र में होता है, अक्सर टैंकरों, नावों, पाइपलाइनों, रिफाइनरियों, ड्रिलिंग क्षेत्र तथा भंडारण सुविधाओं से जुड़ी दुर्घटनाओं के कारण होता है, लेकिन सामान्य नौकायान और प्राकृतिक आपदाएँ भी इसे प्रभावित करती हैं। 
  • भारत में संबंधित कानून:
    • वर्तमान में भारत में तेल रिसाव और इसके परिणामी पर्यावरणीय क्षति को कवर करने वाला कोई कानून नहीं है लेकिन ऐसी स्थितियों से निपटने हेतु भारत के पास वर्ष 1996 की राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना ( National Oil Spill Disaster Contingency Plan- NOS-DCP) है।
      • यह भारतीय तटरक्षक बल को तेल रिसाव के सफाई कार्यों में सहायता के लिये राज्य के विभागों, मंत्रालयों, बंदरगाह प्राधिकरणों और पर्यावरणीय एजेंसियों के साथ समन्वय करने का अधिकार देता है।
    • वर्ष 2015 में भारत ने बंकर तेल प्रदूषण क्षति, 2001 (बंकर कन्वेंशन) के लिये नागरिक दायित्व पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की पुष्टि की। कन्वेंशन तेल रिसाव से होने वाले नुकसान के लिये पर्याप्त, त्वरित और प्रभावी मुआवज़ा सुनिश्चित करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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