लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अत्यधिक लचीली और मज़बूत कृत्रिम सिल्क का विकास

  • 17 Jul 2017
  • 2 min read

चर्चा में क्यों ?
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने लचीली और मज़बूत कृत्रिम सिल्क विकसित की है। इसका निर्माण पूर्णतया जल द्वारा किया गया है जिसका उपयोग पर्यावरण के अनुकूल वस्त्रों और संवेदकों( sensors) को बनाने में किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • यह रेशे लचीले तार के समान हैं क्योंकि वे बड़ी मात्रा में ऊर्जा को अवशोषित कर सकते हैं। ये यह टिकाऊ व विषरहित हैं तथा इनका इनका निर्माण कमरे के तापमान पर ही किया जा सकता है। 
  • इन रेशों को एक झोलदार पदार्थ से काता गया है जिसे हाइड्रोजैल कहा जाता है। हाइड्रोजैल में 98% जल होता है। हाइड्रोजैल का शेष 2% भाग सिलिका और सेल्यूलोज़ से बना होता है। सिलिका और सेल्यूलोज़ दोनों प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। ये दोनों एक आणविक कड़ी के माध्यम से एक साथ बंधे होते हैं। विभिन्न अवयवों के मध्य रासायनिक क्रिया होने से जैल से लम्बे रेशों को प्राप्त किया गया।
  • ये अत्यधिक पतले रेशे हैं जिनका व्यास एक मीटर के मिलियनवें भाग के बराबर है। 30 सेकंड तक हाइड्रोजैल को फैलाने के पश्चात वाष्पोत्सर्जन हुआ जिससे मज़बूत रेशे को प्राप्त किया गया।  
  • इन रेशों को कमरे के ताप पर स्वयं निर्मित किया जा सकता है तथा ये सुपरमॉलिक्यूलर होस्ट द्वारा आपस में जुड़े होते हैं जहाँ अणु इलेक्ट्रानों को साझा करते हैं।

क्या है ‘स्पाइडर सिल्क’?

  • स्पाइडर सिल्क एक प्रोटीन रेशा है जिसे मकड़ियों द्वारा काता जाता है। मकड़ियाँ अपने सिल्क का उपयोग जाल बुनने व अन्य संरचनाओं के निर्माण में करती हैं जिनका उपयोग वे स्वयं की रक्षा के लिये करती हैं। अधिकांश मकड़ियाँ भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिये अपने सिल्क की मोटाई और मज़बूती को भी भिन्न-भिन्न- तरीके से व्यवस्थित करती हैं।  
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2