सुपर ब्लू ब्लड मून -2018 (Super Blue Blood Moon-2018) | 31 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
- 31 जनवरी को एशिया में सुपरमून, ब्लू मून और ब्लड मून की खगोलीय घटना एक साथ देखने को मिलेगी। इसलिये इसे सुपर ब्लू ब्लड मून भी कहा जा रहा है।
- ऐसी ही घटना 35 वर्ष पूर्व दिसंबर 1982 में देखने को मिली थी। यह इस साल का पहला चंद्रग्रहण होगा किंतु यह आंशिक चंद्रग्रहण न होकर पूर्ण चंद्रग्रहण होगा।
चंद्रग्रहण क्या है?
- यह उस स्थिति को दर्शाता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नहीं पहुँच पाता है।
- पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने के कारण इस पर अँधेरा हो जाता है।
- जब तीनों लगभग एक ही रेखा के अनुदिश स्थित होते हैं तो इसे पूर्ण चंद्रग्रहण कहा जाता है।
- इस वर्ष पाँच ग्रहणों में से तीन में यानि 15 फरवरी, 13 जुलाई और 11 अगस्त को आंशिक सूर्यग्रहण की स्थिति बनेगी जो कि भारत से दिखाई नहीं देंगे।
- दो पूर्ण चंद्रग्रहणों में से 31 जनवरी का चंद्रग्रहण भारत से आंशिक रूप से दिखाई देगा और 28 जुलाई को होने वाल अगला पूर्ण चंद्रग्रहण भारत से पूरी तरह से दिखाई देगा।
ब्लू मून क्या है?
- इसका नीले रंग से कोई संबंध नहीं है। जब एक कैलेंडर माह में दो पूर्णिमाएँ हों तो दूसरी पूर्णिमा का चाँद ‘ब्लू मून’ कहलाता है।
- दो पूर्णिमाओं के बीच 31 दिनों से कम के अंतराल के कारण ऐसी दुर्लभ खगोलीय घटना होती है।
- 2 जनवरी को भी पूर्णिमा थी और अब 31 जनवरी को पूर्णिमा के कारण ब्लू मून की स्थिति बनेगी।
ब्लड मून क्या है?
- पूर्ण चंद्रग्रहण की स्थिति में जब चंद्रमा पर पृथ्वी की पूरी छाया पड़ती है तो भी सूर्य की कुछ किरणें पृथ्वी के वायुमंडल से अपवर्तित होकर चन्द्रमा पर गिरती हैं और यह हल्के लाल-भूरे रंग का दिखाई देता है, जिसे ब्लड मून कहा जाता है।
सुपर मून क्या है?
- 'सुपरमून' 1970 के दशक में एक वैज्ञानिक की बजाय ज्योतिषी द्वारा गढ़ा गया शब्द है।
- सुपरमून उस स्थिति को दर्शाता है जब चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सर्वाधिक निकट होता है। इसे ‘पेरिजी फूल मून’ (Perigee Fool Moon) भी कहा जाता है।
- इसमें चंद्रमा 14% ज्यादा बड़ा एवं 30% अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है।