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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आम बजट 2018-19 का सार (भाग - 4)

  • 03 Feb 2018
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?
केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए कहा गया कि सरकार विनिर्माण सेवाओं और निर्यातों के क्षेत्र में 8 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक विकास दर प्राप्‍त करने के प्रति वचनबद्ध है। वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्‍पाद की 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर ने अर्थव्‍यवस्‍था में महत्त्वपूर्ण बदलाव आने के संकेत दिये थे। वित्‍त वर्ष की दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्‍पाद में 7.2 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की आशा है।

वित्त मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार

  • वित्‍त मंत्री ने कहा कि भारतीय समाज और अर्थव्‍यवस्‍था ने बुनियादी सुधारों के साथ उल्‍लेखनीय प्रगति दर्ज की है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष ने हाल की अपनी रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया है कि आगामी वर्ष के दौरान भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने की संभावना है।
  • देश आठ प्रतिशत से अधिक की उच्‍च विकास दर को प्राप्‍त करने के पथ पर मज़बूती से आगे बढ़ रहा है।
  • विनिर्माण क्षेत्र में भी विकास तीव्रता के साथ आगे बढ़ते हुए आठ प्रतिशत से अधिक की उच्‍च दर से वृद्धि कर रहा है। वर्ष 2017-18 में निर्यात में 15 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने का अनुमान है।
  • इस वर्ष के बजट में विशेषकर कृषि और ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को मज़बूत बनाने, आर्थिक दृष्टि से कम सुविधा प्राप्‍त वर्ग के लोगों को उत्‍तम स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएँ उपलब्‍ध कराने, वरिष्‍ठ नागरिकों के हितों की रक्षा करने, आधारभूत सुविधाओं के सृजन तथा देश में शिक्षा की गुणवत्‍ता में सुधार के लिये अधिक संसाधन उपलब्‍ध कराने हेतु राज्‍यों के साथ मिलकर कार्य करने पर विशेष रूप से ज़ोर दिया है।
  • सरकार ने वैद्य लाभार्थियों तक सीधे लाभ पहुँचाने को भी सुनिश्चित किया। भारत का प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण तंत्र विश्‍व का एक सबसे बड़ा संचालन तंत्र होने के साथ-साथ वैश्‍विक स्तर देश की लाभ हस्तांतरण व्यवस्था की सफलता की गाथा भी प्रस्तुत करता है।

विनिवेश

  • वर्ष 2017-18 के लिये विनिवेश के लक्ष्य को 72500 करोड़ रुपए से बढ़ाकर एक लाख रुपए किये जाने की संभावना है। वर्ष 2018-19 के लिये 80 हज़ार करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की तीन बीमा कंपनियों- नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और ऑरिएंटल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड का विलय करके एक बीमा कंपनी बनाई जाएगी।
  • सोने के परिसंपत्ति मूल्य में वृद्धि करने के लिये सरकार एक समेकित स्वर्ण नीति का निर्माण करेगी। देश में स्वर्ण विनिमय को व्यापार और उपभोक्ता अनुकूल बनाने के लिये सरकार एक प्रणाली विकसित करेगी। 
  • स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को पुनर्जीवित किया जाएगा, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के स्वर्ण जमा योजना के खाते खुलवा सकें।
  • बजट में राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपए, उपराष्ट्रपति का 4 लाख रुपए और राज्यपाल का 3.5 लाख रुपए प्रति महीने करने का प्रस्ताव किया गया है।

वित्तीय प्रबंधन

  • बजट में परिव्यय का संशोधित अनुमान 2017-18 के लिये 21.57 लाख करोड़ रुपए है, जबकि बजट का आकलन 21.47 लाख करोड़ रुपए का था।
  • वर्ष 2018-19 के लिये बजट घाटे को जीडीपी के 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया। संशोधित वित्तीय घाटे का अनुमान वर्ष 2017-18 के लिये 5.95 लाख करोड़ रुपए का है, जो जीडीपी 3.5 प्रतिशत है।
  • प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों के अंतर्गत अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग को कम करने तथा कर दायरा बढ़ाने से फायदा हुआ है। प्रत्यक्ष करों की वृद्धि दर 2016-17 में 12.6 प्रतिशत और 2017-18 में 18.7 प्रतिशत रही है। 
  • करदाताओं की संख्या जो 2014-15 में 6.47 करोड़ थी, बढ़कर 2016-17 में 8.27 करोड़ हो गई है।
  • रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिये परिधान उद्योग में धारा 80जेजेएए के अंतर्गत दी जाने वाली 30 प्रतिशत की कटौती को चमड़े तथा जूते उद्योग में भी लागू किया जाएगा।
  • कॉरपोरेट टैक्स को चरणबद्ध तरीके से कम करने के प्रयास के तहत 250 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को 25 प्रतिशत के कर दायरे में रखा गया है। इससे 99 प्रतिशत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को लाभ होगा। इससे वित्त वर्ष 2018-19 में 7,000 करोड़ रुपए की राजस्व हानि होगी।
  • आयकर प्रदाताओं के लिये वर्तमान में परिवहन, भत्ते तथा अन्य चिकित्सा व्यय की परिपूर्ति के बदले 40,000 रुपए की मानक कटौती का प्रावधान किया गया है। 
  • दिव्यांगजनों को बढ़े दर पर मिलने वाला परिवहन भत्ता आगे भी जारी रहेगा। इससे 2.5 करोड़ वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को लाभ होगा।

दीर्घावधिक पूंजी लाभ (एलटीसीजी)

  • निर्धारण वर्ष 2017-18 के लिये सूचीबद्ध शेयरों और यूनिटों से छूट प्राप्त पूंजी लाभ की राशि लगभग 3,67,000 करोड़ रुपए है। एक लाख रुपए से अधिक के ऐसे दीर्घावधिक पूंजी लाभों पर किसी सूचकांक के बिना 10 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया है।
  • गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों तथा ग्रामीण परिवारों की शिक्षा और स्वास्थ्य ज़रूरतों के लिये बजट में व्यक्तिगत आयकर तथा निगम कर पर 4 प्रतिशत अधिशेष की व्यवस्था की गई है। नए अधिशेष को स्वास्थ्य व शिक्षा उपकर के नाम से जाना जाएगा।
  • प्रत्यक्ष कर संग्रहण के लिये 2016 में प्रयोग के आधार पर ई-निर्धारण प्रारंभ किया गया था। 2017 में इसका विस्तार 102 नगरों में किया गया है।
  • अप्रत्यक्ष कर के संदर्भ में वस्तु और सेवा कर लागू होने के पश्चात् यह पहला बजट है। बजट के प्रावधान सीमा शुल्क के संबंध में है। 
  • सीमा शुल्क में बदलाव से देश में रोज़गार के अवसरों का सृजन होगा तथा खाद्य प्रसंस्करण इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहनों का पुर्ज़ा निर्माण, जूते तथा फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। इसलिये मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तथा मोबाइल व टीवी के कलपुर्ज़ों के लिये सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • काजू प्रसंस्करण उद्योग के लिये कच्चे काजू पर सीमा शुल्क 5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • आयातित वस्तुओं पर लगने वाले शिक्षा उपकर तथा उच्च शिक्षा उपकर को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके स्थान पर आयातित वस्तुओं पर 10 प्रतिशत की दर से एक सामाजिक कल्याण उपकर लगाया जाएगा। जिन आयातित वस्तुओं को शिक्षा उपकर से छूट मिली हुई है, वह जारी रहेगी।
  • जीएसटी लागू होने के पश्चात केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड-सीबीईसी का नाम बदलकर केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड करने का प्रस्ताव किया गया है।
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