आम बजट 2018-19 का सार (भाग -1) | 03 Feb 2018
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए कहा गया कि सरकार विनिर्माण सेवाओं और निर्यातों के क्षेत्र में 8 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक विकास दर प्राप्त करने के प्रति वचनबद्ध है। वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर ने अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण बदलाव आने के संकेत दिये थे। वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 7.2 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की आशा है।
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
- वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए सरकार द्वारा अनेक नई योजनाओं और उपायों की घोषणा की गई है।
- आगामी खरीफ से सभी अघोषित फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुणा करने का फैसला किया गया है।
- इससे पहले रबी की अधिकांश घोषित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुणा तय किया जा चुका है।
- सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के लिये संस्थागत ऋण की राशि में वर्ष दर वर्ष निरंतर वृद्धि की गई है और यह राशि वर्ष 2014-15 के 8.5 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर वर्ष 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपए कर दी गई है। बजट में वर्ष 2018-19 में इस राशि को 11 लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव दिया गया है।
- डेयरी उद्योग की आधारभूत सुविधाओं में वित्त निवेश में सहायता के लिये सूक्ष्म सिंचाई कोष स्थापित करने की घोषणा की गई है।
- मत्स्य क्रांति अवसंरचना विकास कोष तथा पशुपालन के लिये आधारभूत सुविधा विकास कोष स्थापित करने की घोषणा की गई है। इन दोनों कोषों की कुल स्थाई निधि 10 हज़ार करोड़़ रुपए होगी।
- ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर ऑपरेशन ग्रीन्स प्रारंभ करने का सरकार का प्रस्ताव है। इसके प्रयोजनार्थ 500 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई। 86 प्रतिशत से ज़्यादा लघु और सीमांत किसानों को सीधे बाज़ार से जोड़ने के लिये मौजूदा 22 हज़ार ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाज़ारों के रूप में विकसित तथा उन्नत किया जाएगा।
- 22 हज़ार ग्रामीण कृषि बाज़ारों तथा 585 एपीएमसी में कृषि विपणन अवसंरचना के विकास के लिये दो हज़ार करोड़ रुपए की स्थायी निधि से एक कृषि बाज़ार अवसंरचना कोष की स्थापना की जाएगी।
- पिछले वर्ष ई-नैम को सुदृढ़ करने और इसे 585 एपीएमसी तक पहुँचाने के संबंध में घोषणा की गई थी। इनमें से 470 को ई-नैम नेटवर्क से जोड़ दिया गया है शेष को 2018 तक जोड़ दिया जाएगा। इस संदर्भ में वित्त मंत्रालय द्वारा संगठित कृषि एवं संबद्ध उद्योग को सहायता के प्रयोजनार्थ 200 करोड़ रुपए की राशि आवंटित करने का प्रस्ताव दिया।
- 1290 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एक पुनर्गठित राष्ट्रीय बाँस मिशन को शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया गया है।
- कृषि उत्पादों के निर्यात की संभावना को देखते हुए 42 मेगाफूड पार्कों में अत्याधुनिक परीक्षण सुविधाएँ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।
- महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों के ऋण को पिछले वर्ष के मुकाबले 37 प्रतिशत बढ़ाकर वर्ष 2016-17 में लगभग 42,500 करोड़ रुपए किया था। 2019 तक यह ऋण राशि बढ़ाकर 75 हज़ार करोड़ रुपए कर दी जाएगी।
- 2018-19 राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के लिये 5750 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया गया।
- उज्ज्वला योजना के अंतर्गत आठ करोड़ गरीब महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन दिये जाएंगे। सौभाग्य योजना के अंतर्गत 16 हज़ार करोड़ रुपए के परिव्यय से 4 करोड़ गरीब परिवारों को बिजली के कनेक्शन प्रदान किये जा रहे हैं।
- 2022 तक सभी को आवास का लक्ष्य पूरा करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में 2019 तक एक करोड़ से ज्यादा आवासों का निर्माण किया जाएगा इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान के तहत छह करोड़ शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।