आत्महत्या: हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत | 13 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस 10 सितंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, आत्महत्या पर WHO की पहली वैश्विक रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से पाँच वर्षों में राष्ट्रीय आत्महत्या के रोकथाम हेतु रणनीतियाँ तैयार करने वाले देशों की संख्या में वृद्धि हुई है।
वर्तमान स्थिति
- आत्महत्या के रोकथाम हेतु रणनीतियाँ तैयार करने वाले देशों की संख्या में वृद्धि के बावजूद भी इस दिशा में अभी भी और अधिक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। वर्तमान में विश्व के मात्र 38 देशों में ऐसी रणनीतियाँ तैयार की गई है और अधिक देशों एवं सरकारों को इन रणनीतियों को स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध होने की आवश्यकता है।
- इतने प्रयासों के बावजूद, प्रत्येक 40 सेकेंड में आत्महत्या के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। प्रत्येक मृत्यु, मृतक के परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों के लिये एक त्रासदी है।
- यदि विश्व के सभी देश स्थायी रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों में आत्महत्या रोकथाम रणनीतियों को शामिल करने का आह्वान करते है, तो इस दिशा में प्रभावी कार्यवाही किये जाने की संभावना है। जिसके परिणामस्वरूप इन आत्महत्याओं को रोका जा सकता हैं।
उच्च आय वाले देशों में आत्महत्या की उच्चतम दर; युवा लोगों में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण
- वर्ष 2016 के लिये वैश्विक आयु-मानकीकृत आत्महत्या दर 10.5 प्रति 1000 व्यक्ति थी। हालाँकि भिन्न-भिन्न देशों के बीच ये दरें भी भिन्न हैं। वैश्विक रूप से आत्महत्या की कुल घटनाओं में से 79% आत्महत्याएँ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में हुईं। उच्च आय वाले देशों में आत्महत्या की उच्चतम दर 11.5 प्रति 100,000 थी।
- सड़क दुर्घटनाओं के बाद 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं की मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या थी। इस आयु वर्ग में ‘आत्महत्या’ लड़कियों के बीच मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण (मातृ स्थितियों के बाद) और लड़कों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण (सड़क दुर्घटना और पारस्परिक हिंसा के बाद) रही।
- आत्महत्या के सबसे आम तरीकों में फांसी लगाना, विष के रूप में कीटनाशक का उपयोग और गोली मारना शामिल थे।
- आत्महत्या की घटनाओं को कम करने में निम्नलिखित प्रयासों के सफल परिणाम सामने आए हैं-
- आत्महत्या करने में सहायक साधनों तक पहुँच को बाधित करना
- उत्तरदायित्वपूर्ण रिपोर्टिंग के लिये मीडिया को शिक्षित करना
- युवाओं में जीवन कौशल विकसित करने के लिये विशेष कार्यक्रम शुरू करना ताकि उन्हें तनाव से निपटने में सक्षम बनाया जा सकें।
कीटनाशक विनियमन: प्रभावी रणनीति
- आत्महत्या की संख्या को कम करने के लिये आत्म-विषाक्तता के लिये उपयोग किये जाने वाले कीटनाशकों तक पहुँच को सीमित किया जाना चाहिये। कई कीटनाशकों की उच्च विषाक्तता का सीधा सा अर्थ है कि इस प्रकार के आत्महत्या के प्रयासों में व्यक्ति के प्राणों की रक्षा करना कठिन होता है, विशेषकर उन स्थितियों में जहाँ किसी प्रकार की विषनाशक औषधि का मिलना बेहद मुश्किल है या जहाँ नज़दीक में कोई चिकित्सा सुविधा मौजूद नहीं है।
- हाल ही जारी एक अध्ययन में WHO ने स्पष्ट किया है कि अत्यधिक खतरनाक कीटनाशकों के उपयोग को प्रतिबंधित करने वाले नियमों के अनुपालन से राष्ट्रीय आत्महत्या दर में कमी आ सकती है।
- इसका सबसे अच्छा उदाहरण श्रीलंका में देखने को मिलता है, जहाँ कीटनाशकों पर लगातार प्रतिबंध लगाए जाने के कारण देश में आत्महत्या की घटनाओं में 70% गिरावट दर्ज की गई, वर्ष 1995 से 2015 के बीच अनुमानत: 93,000 लोगों की जान बचाई गई।
- कोरिया गणराज्य में, जहाँ 2000 के दशक में आत्महत्या के लिये सबसे ज़्यादा कीटनाशक पैराक्वैट (Paraquat) का उपयोग किया गया, वहीं वर्ष 2011-2012 में इस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद वर्ष 2011 और 2013 के बीच कीटनाशक की विषाक्तता से होने वाली आत्महत्याओं में उल्लेखनीय कमी आई।
डेटा की गुणवत्ता में सुधार की ज़रूरत है
- समय पर पंजीकरण और राष्ट्रीय स्तर पर आत्महत्या की नियमित निगरानी प्रभावी राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीतियों की नींव है।
- हालाँकि 183 WHO सदस्य देशों में से केवल 80 के लिये वर्ष 2016 में जिन अनुमानों को प्रदर्शित किया गया, उनमें अच्छी गुणवत्ता वाले महत्त्वपूर्ण पंजीकरण डेटा भी शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देशों ने इस प्रकार के डेटा का संकलन तैयार नहीं किया। बेहतर निगरानी से आत्महत्या रोकथाम की रणनीतियों का अधिक प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकता है, साथ ही वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में किये गए प्रयासों को प्रगति की अधिक सटीक रिपोर्टिंग तैयार करने में भी सहायता मिलेगी।
नोट:
10 सितंबर को WHO ने वैश्विक साझेदारों; वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (World Federation for Mental Health), द इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (International Association for Suicide Prevention) और यूनाइटेड फॉर ग्लोबल मेंटल हेल्थ (United for Global Mental Health) के साथ मिलकर 40 सेकंड का एक कार्रवाई अभियान शुरू किया है।