हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये शुगर प्रेसमड | 01 Dec 2023

प्रिलिम्स के लिये:

हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये शुगर प्रेसमड, संपीड़ित बायोगैस (CBG), इथेनॉल बायोफ्यूल, बायो-मिथेनेशन, अवायवीय अपघटन (ऐनरोबिक डाइज़ेशन)

मेन्स के लिये:

हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये शुगर प्रेसमड, भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, वृद्धि, विकास और रोज़गार से संबंधित मुद्दे

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

भारत चीनी के अवशिष्ट उप-उत्पाद प्रेसमड को संपीड़ित बायोगैस (Compressed Biogas- CBG) बनाकर हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये एक मूल्यवान संसाधन के रूप में उपयोग करने पर विचार कर रहा है।

भारत विश्व की चीनी अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है तथा वर्ष 2021-22 से ब्राज़ील को पीछे छोड़कर अग्रणी चीनी उत्पादक के रूप में उभर रहा है। इसके अतिरिक्त यह विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक है।

संपीड़ित बायोगैस (CBG) क्या है?

  • CBG एक नवीकरणीय, पर्यावरण के अनुकूल गैसीय/गैस-युक्त ईंधन है जो कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय अपघटन से प्राप्त होता है। इसका उत्पादन बायो-मिथेनेशन अथवा अवायवीय अपघटन नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है, जिसमें बैक्टीरिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में विभिन्न प्रकार के कार्बनिक स्रोत (कृषि अपशिष्ट, पशु खाद, खाद्य अपशिष्ट, सीवेज कीचड़ तथा अन्य बायोमास सामग्री) को तोड़ देते हैं।
  • परिणामी बायोगैस में मुख्य रूप से मीथेन (आमतौर पर 90% से अधिक), कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड के अंश तथा नमी मौजूद होती है।
  • बायोगैस को CBG में परिवर्तित करने के लिये कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड और नमी जैसी अशुद्धियों को दूर करने के लिये शुद्धिकरण चरणों को नियोजित किया जाता है।
  • तत्पश्चात् शुद्ध की गई मीथेन गैस को उच्च दबाव में संपीड़ित किया जाता है, आमतौर पर लगभग 250 बार अथवा उससे अधिक, इसलिये इसे "संपीड़ित बायोगैस" कहा जाता है।

प्रेसमड क्या है?

  • परिचय:
    • प्रेसमड, जिसे फिल्टर केक अथवा प्रेस केक के रूप में भी जाना जाता है, चीनी उद्योग में एक अवशिष्ट उप-उत्पाद है जिसने हरित ऊर्जा उत्पादन के लिये एक मूल्यवान संसाधन के रूप में मान्यता प्राप्त की है।
    • यह उप-उत्पाद भारतीय चीनी मिलों को अवायवीय अपघटन के माध्यम से बायोगैस उत्पादन के लिये फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करके अतिरिक्त आय सृजन करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे संपीड़ित बायोगैस (CBG) का उत्पादन होता है।
      • अवायवीय अपघटन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से बैक्टीरिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थ- जैसे पशु खाद, अपशिष्ट जल बायोसोलिड और खाद्य अपशिष्ट को तोड़ देते हैं।
    • इनपुट के रूप में गन्ने की एक इकाई को संसाधित करते समय प्रेसमड की पैदावार आमतौर पर भार के हिसाब से 3-4% तक होती है।

नोट:

केंद्र सरकार की सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवार्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन स्कीम (SATAT) द्वारा निर्धारित न्यूनतम गारंटी मूल्य पर विचार करते हुए प्रेसमड में लगभग 460,000 टन CBG उत्पन्न करने की क्षमता है, जिसका मूल्य 2,484 करोड़ रुपए है।

  • CBG उत्पादन के लिये प्रेसमड उपयोग के लाभ:
    • कम जटिलताएँ: इसके लाभकारी गुणों में स्थायी गुणवत्ता, सोर्सिंग में सरलता तथा अन्य फीडस्टॉक्स की तुलना में कम जटिलताएँ शामिल हैं।
    • सरलीकृत आपूर्ति शृंखला: यह फीडस्टॉक आपूर्ति शृंखला से संबंधित जटिलताओं को समाप्त करती है, जैसा कि कृषि अवशेषों के मामले में पाया जाता है, जहाँ कटाई एवं एकत्रीकरण के लिये बायोमास कटिंग मशीनरी की आवश्यकता होती है।
    • एकल सोर्सिंग: फीडस्टॉक/चारा आम तौर पर एक या दो उत्पादकों अथवा चीनी मिलों से प्राप्त होता है, जबकि कृषि अवशेषों (जिनमें कई उत्पादक तथा किसान शामिल होते हैं) से यह प्राप्त करने के दिन (प्रतिवर्ष 45 दिनों) सीमित होते हैं।
    • गुणवत्ता और दक्षता: मवेशियों के गोबर जैसे विकल्पों की तुलना में इसमें गुणवत्ता में स्थिरता और अधिक रूपांतरण दक्षता बनाए रखते हुए कम फीडस्टॉक मात्रा की आवश्यकता होती है।
      • एक टन CBG का उत्पादन करने के लिये लगभग 25 टन प्रेसमड की आवश्यकता होती है। इसकी तुलना में समान गैस उत्पादन के लिये मवेशियों के गोबर की 50 टन की आवश्यकता होती है।
    • लागत-प्रभावशीलता: कृषि अवशेष तथा मवेशी गोबर जैसे अन्य फीडस्टॉक की तुलना में कम लागत (0.4-0.6 रुपए प्रति किलोग्राम)। यह पूर्व-शोधन लागत को समाप्त करता है क्योंकि इसमें कृषि अवशेषों के विपरीत कार्बनिक पॉलिमर लिग्निन की कमी होती है।
  • प्रेसमड उपयोग से संबंधित चुनौतियाँ:
    • प्रेसमड को बढ़ती कीमतों, अन्य उद्योगों में उपयोग के लिये प्रतिस्पर्द्धा तथा क्रमिक अपघटन के कारण भंडारण जटिलताओं जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिये नवीन भंडारण समाधान की आवश्यकता होती है।
    • एक जैविक अवशेष के रूप में पशु चारा, जैव ऊर्जा उत्पादन (बायोगैस अथवा जैव ईंधन के लिये) एवं कृषि मृदा संशोधन जैसे क्षेत्रों में इसकी मांग की जाती है। यह प्रतिस्पर्द्धा कभी-कभी विशिष्ट अनुप्रयोगों के लिये इसकी उपलब्धता को सीमित कर सकती है अथवा इसकी लागत बढ़ा सकती है।
    • एक जैविक अवशेष के रूप में इसकी मांग पशु चारा, बायोएनर्जी उत्पादन (बायोगैस अथवा जैव ईंधन के लिये) तथा कृषि मृदा संशोधन जैसे क्षेत्रों में की जाती है। यह प्रतिस्पर्द्धा कभी-कभी इसकी उपलब्धता को सीमित कर सकती है या विशिष्ट अनुप्रयोगों के चलते प्रतिस्पर्द्धा के कारण इसकी लागत में वृद्धि हो सकती है।

भारत का प्रेसमड उत्पादन परिदृश्य क्या है?

  • उत्पादन आँकड़े:
    • वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का चीनी उत्पादन 32.74 मिलियन टन तक पहुँच गया, जिससे लगभग 11.4 मिलियन टन प्रेसमड का उत्पादन हुआ।
  • गन्ना उत्पादक राज्य:
    • प्राथमिक गन्ना उत्पादक राज्य विशेष रूप से उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र, भारत के कुल गन्ना खेती क्षेत्र का लगभग 65% कवर करते हुए महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान करते हैं।
      • प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं बिहार शामिल हैं, जो भारत के कुल गन्ना उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं।

आगे की राह

  • CBG उत्पादन के लिये प्रेसमड की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिये विभिन्न हस्तक्षेप महत्त्वपूर्ण हैं:
    • राज्य स्तरीय नीतियाँ: राज्यों द्वारा सहायक बायोएनर्जी नीतियों का कार्यान्वयन, अनुमोदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के साथ प्रोत्साहन प्रदान करना।
    • मूल्य नियंत्रण तंत्र: प्रेसमड कीमतों को नियंत्रित करने के लिये तंत्र की स्थापना करना तथा चीनी मिलों एवं CBG संयंत्रों के बीच दीर्घकालिक समझौतों को प्रोत्साहित करना।
    • तकनीकी प्रगति: मीथेन उत्सर्जन को रोकने तथा गैस हानि को कम करने के लिये सर्वोतम प्रेसमड भंडारण तकनीकों के लिये अनुसंधान और विकास।
    • प्रशिक्षण पहल: संयंत्र और वैज्ञानिक उपकरण संचालन तथा फीडस्टॉक के वर्णन को लेकर CBG संयंत्र संचालकों के लिये प्रशिक्षण सत्र आयोजित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) किसके द्वारा अनुमोदित किया गया है? (2015)

(a) आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति
(b) कृषि लागत और मूल्य आयोग
(c) विपणन और निरीक्षण निदेशालय, कृषि मंत्रालय
(d) कृषि उपज बाज़ार समिति

उत्तर: (a)


प्रश्न. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवृत्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. जब 'बड चिप सेटलिंग्स (Bud Chip Settlings)' को नर्सरी में उगाकर मुख्य कृषि भूमि में प्रतिरोपित किया जाता है, तब बीज सामग्री में पर्याप्त बचत होती है।
  2. जब सैट्स का सीधे रोपण किया जाता है, तब एक कलिका (Single Budded) सैट्स का अंकुरित प्रतिशत कई कलिका सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।
  3. खराब मौसम की दशा में यदि सैट्स का सीधे रोपण होता है तो एक कलिका सैट्स का जीवित बचना बड़े सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।
  4. गन्ने की खेती उत्तक संवर्द्धन से तैयार की गई सैटलिंग से की जा सकती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4

उत्तर: (c)

व्याख्या:

उत्तक संवर्द्धन तकनीक:

  • उत्तक संवर्द्धन एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों के टुकड़ों को संवर्द्धित किया जाता है और प्रयोगशाला में उगाया जाता है।
  • यह मौजूदा वाणिज्यिक किस्मों के रोग मुक्त गन्ने के बीज के तेज़ी से उत्पादन और आपूर्ति का एक नया तरीका प्रदान करता है।
  • यह स्रोत पौधे की प्रति बनाने के लिये मेरिस्टेम का उपयोग करता है।
  • यह आनुवंशिक पहचान को भी संरक्षित करता है।
  • उत्तक संवर्द्धन तकनीक अपनी बोझिल प्रक्रिया और सीमाओं के कारण अलाभकारी होती जा रही है।

बड चिप तकनीक:

  • उत्तक संवर्द्धन के व्यवहार्य विकल्प के रूप में यह द्रव्यमान को कम करती है और बीजों के त्वरित गुणन को सक्षम बनाती है।
  • यह विधि दो से तीन कली सैट्स लगाने की पारंपरिक विधि की तुलना में अधिक किफायती और सुविधाजनक सिद्ध हुई है।
  • इसके तहत रोपण के लिये उपयोग की जाने वाली बीज सामग्री पर पर्याप्त बचत के साथ रिटर्न अपेक्षाकृत बेहतर है। अतः कथन 1 सही है।
  • शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि दो कलियों वाले सैट्स बेहतर उपज के साथ लगभग 65 से 70% अंकुरण प्रदान करते हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • खराब मौसम में बड़े सैट्स बेहतर ढंग से जीवित रहते हैं लेकिन रासायनिक उपचार से संरक्षित होने पर सिंगल बडेड सैट भी 70% अंकुरण प्रदान करते हैं। अतः कथन 3 सही नहीं है।
  • उत्तक संवर्द्धन का उपयोग गन्ने को अंकुरित करने और उगाने के लिये किया जा सकता है जिसे बाद में खेत में रोपित किया जा सकता है। अतः कथन 4 सही है। इसलिये विकल्प (c) सही उत्तर है।