कैंसर के उपचार में सहायक उचित आहार प्रबंधन | 01 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘नेचर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि उचित आहार प्रबंधन से कैंसर के उपचार में सहायता मिल सकती है।
प्रमुख बिंदु :
- कैंसर से संबंधित इस अध्ययन में यह पाया गया कि ‘रेड मीट’ और अंडों में पाए जाने वाले अमीनो एसिड का सेवन बंद कर देने से चूहों में कैंसर के उपचार में काफी मदद मिलती है और यह ट्यूमर के बढ़ने की गति पर भी अंकुश लगाता है।
- हम जो भोजन करते हैं वह हमारे उपापचय (Metabolism) को कैसे परिवर्तित करता है और इन परिवर्तनों का हमारे कोशिकीय उपापचय में इस परिवर्तन का ट्यूमर के विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है, ये दोनों ही बातें एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy) की कम मात्रा का कोलोरेक्टल कैंसर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन अध्ययन में पाया गया कि यदि इसके साथ एक निश्चित मात्रा में अमीनो एसिड मिलाया जाए तो यह ट्यूमर कोशिकाओं के विकास क्रम को रोक सकता है।
- कोलोरेक्टल कैंसर पेट या मलाशय का कैंसर है, जो पाचन तंत्र के निचले सिरे पर स्थित होता है।
- इसी तरह, नरम ऊतक वाले सारकोमा (Sarcoma) कैंसर के मामले में भी अमीनो एसिड की निश्चित मात्रा और विकिरण उपचार (Radiation Therapy) को एक साथ मिला दिया जाए तो यह भी ट्यूमर के आकार को कम करने में मदद कर सकता है।
क्या होता है कैंसर?
- कैंसर से अभिप्राय शरीर के भीतर कुछ कोशिकाओं का अनियंत्रित होकर बढ़ना है।
- अनुपचारित कैंसर आसपास के सामान्य ऊतकों या शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है तथा इसके कारण बहुत से गंभीर रोग, विकलांगता यहाँ तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
- मूलतः कैंसर को प्राथमिक ट्यूमर कहा जाता है।
- शरीर के दूसरे हिस्से में फैले कैंसर को मेटास्टैटिक या माध्यमिक कैंसर कहा जाता है।
- मेटास्टैटिक कैंसर में प्राथमिक कैंसर के समान ही कैंसर कोशिकाएँ पाई जाती हैं।
- आमतौर पर मेटास्टैटिक कैंसर शब्द का प्रयोग ठोस ट्यूमर को इंगित करने के लिये किया जाता है जो शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलता है।