रक्षा विनिर्माण के लिये सामरिक भागीदारी मॉडल | 14 Mar 2018

संदर्भ

  • रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council-DAC) ने मई, 2017 में रक्षा क्षेत्र में सामरिक भागीदारी पर नीति को मंज़ूरी दी थी। इसे रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DPP)-2016 के तहत प्रकाशित किया गया था।
  • DAC रक्षा मंत्रालय की अधिग्रहण (Procurement) संबंधी मामलों का निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था है जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।

क्या है सामरिक भागीदारी मॉडल (Strategic Partnership Model -SPM)

  • इस अवधारणा का पहली बार उल्लेख धीरेन्द्र सिंह समिति की जुलाई 2015 की एक रिपोर्ट में किया गया था।
  • इस मॉडल के तहत रक्षा क्षेत्र में निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मिलकर काम करेंगे। 
  • इस नीति के प्रारंभिक चरण में सरकार किसी एक मुख्य सैन्य प्रणाली के निर्माण हेतु सामरिक भागीदार के रूप में एक निजी भारतीय इकाई की पहचान करेगी।
  • चयनित कंपनियाँ इन प्रणालियों के उत्पादन के लिये विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित कर सकती हैं।
  • ये कंपनियाँ विदेशी प्रतिष्ठानों के साथ नियमों के अनुसार भागीदारी कर रक्षा उपकरणों को देश में ही बना सकेंगी। बाद में इस सूची में अन्य रक्षा उपकरणों को भी शामिल किया जाएगा।
  • DPP-2016 के अध्याय-I में रक्षा क्षेत्र में पूंजीगत अधिग्रहण की निम्नलिखित श्रेणियाँ उल्लेखित हैं-
    ♦ Buy (Indian-IDDM)
    ♦ Buy (Indian)
    ♦ Buy & Make (Indian)
    ♦ Buy & Make 
    ♦ Buy (Global)
  • सामरिक भागीदारी मॉडल (एसपीएम) डीपीपी-2016 के अध्याय-I में उल्लेखित इन मौजूदा श्रेणियों के अतिरिक्त पूंजीगत अधिग्रहण की एक पृथक श्रेणी है।

रणनीतिक भागीदारी मॉडलमार्ग के तहत अधिग्रहण के लिये चार खंडों की पहचान की गई है जो कि निम्नलिखित है-

  • लड़ाकू विमान (Fighter Aircraft)
  • हेलीकॉप्टर (Helicopters)
  • पनडुब्बियाँ (Submarines)
  • बख्तरबंद लड़ाकू वाहन/मुख्य युद्धक टैंक (Armoured Fighting Vehicles (AFVs)/Main Battle Tanks (MBTs)

लाभ 

  • इस नीति का उद्देश्य रक्षा उपकरणों के विनिर्माण में निजी क्षेत्र की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये एक पारदर्शी, वस्तुनिष्ठ और कार्यात्मक व्यवस्था के निर्माण हेतु संस्थागत प्रयासों को बढ़ावा देना है।
  • यह रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा तथा दक्षता, महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी को तीव्रता से अपनाने, एक बहुस्तरीय औद्योगिक पारितंत्र के निर्माण, एक व्यापक कौशल आधार के विकास को सुनिश्चित करने के साथ ही नवाचार को ट्रिगर करेगा जिससे आयात पर निर्भरता में कमी आएगी और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में आत्म-निर्भरता का विकास होगा। 
  • SPM नीति से सरकार की महत्त्वाकांक्षी परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा तथा साथ ही स्वदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और छोटे उद्योगों की मदद से देश में रक्षा उपकरण उत्पादन का माहौल बनाने में मदद मिलेगी।
  • यह नीति तैयार करने के लिये सरकार ने सभी संबद्ध पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श किया है, जिससे वे रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में लंबे समय तक भागीदार बने रह सकें।
  • सरकार के इस कदम से भारतीय कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने और रक्षा उत्पादन क्षेत्र का घरेलू बुनियादी ढाँचा तैयार करने में मदद मिलेगी।