एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हेतु नया नियम | 20 Feb 2018
मुद्दा क्या है?
आपसी तालमेल, बेहतर समन्वय और पानी की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये सरकार ने स्वच्छ गंगा के प्रयासों के तहत नदी के किनारे एक शहर में एक ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ऑपरेटर रखने की योजना बनाई है।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने मथुरा अवस्थित गंदा पानी साफ करने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की अवसंरचना के एकीकरण के लिये टेंडर जारी किया है।
- गौरतलब है कि इस योजना के अंतर्गत वार्षिक आधार पर सरकारी और निजी साझेदारी के तहत 30 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) की क्षमता वाले नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण होना है।
- शुरुआत में सरकार द्वारा मात्र 40 फीसदी राशि दी जाएगी, जबकि 60 फीसदी राशि ऑपरेटर को खुद ही खर्च करनी होगी।
- यदि ऑपरेटर सही तरीके से सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का संचालन और रख-रखाव करता है, तब सरकार 15 वर्षों में शेष राशि भी चुका देगी।
- एक जानकारी के अनुसार, इलाहाबाद के 72 एमएलडी एवं कानपुर के 49 एमएलडी, पटना के 150 एमएलडी एवं कोलकाता के 136 एमएलडी क्षमता युक्त एसटीपी की अवसंरचना के एकीकरण के प्रयास चल रहे हैं।
- गंगा के किनारे हर शहर में कई एसटीपी हैं जिनमें से कुछ पुराने पड़ गए हैं और कुछ काम नहीं कर रहे हैं।
- अब नए नियम के मुताबिक अब पूरे शहर के एसटीपी के उत्थान, परिचालन और देख-भाल का काम एक ही ऑपरेटर करेगा।
- इस नियम का फायदा यह होगा कि जल संसाधन मंत्रालय को पाँच-छह अलग-अलग ऑपरेटरों के साथ डील नहीं करना पड़ेगा।
नए सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर
- मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के तहत प्रदूषण के उन्मूलन हेतु 2,525 किमी के दायरे में 97 नए सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये मंजूरी दे दी है।
एसटीपी यानी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्रक्रिया
- इसमें प्राथमिक/प्रारंभिक, माध्यमिक और तृतीयक तीन चरण शामिल होते हैं।