नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में सरकार द्वारा स्टेंट के अधिकतम मूल्य तय किये गये

  • 16 Feb 2017
  • 9 min read

सन्दर्भ :

सस्‍ती और बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा प्रदान करने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप भारत सरकार द्वारा हृदय में लगाये जाने वाले स्टेंट (stent) की मूल्‍य सीमा तय करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस कदम से स्टेंट की कीमतों में उल्लेखनीय रूप से कमी आयेगी ।

क्या है स्टेंट :

स्टेंट एक जाल नुमा छोटी ट्यूब होती है, जिसे हृदय में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए धमनियों में लगाया जाता है। इस समय भारत में बिकने वाले स्टेंट का प्रति नग दाम 25,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक है। भारत में बिकने वाले ज्यादातर स्टेंट दवाओं में घुल जाने वाले होते हैं ।

प्रमुख बिंदु :

  • सरकार ने स्टेंट को आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में डालकर उसे अनुसूचित औषधि घोषित किया था, जिसे देखते हुए राष्ट्रीय औषधि मूल्य  निर्धारण  प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA)  ने स्टेंट के लिए अधिकतम मूल्य तय करने का यह फैसला किया है ।
  • सरकार ने अस्पतालों के लिए यह भी अनिवार्य किया है कि वे सर्जिकल प्रक्रिया या पैकेज की लागत से स्टेंट के दाम का अलग से बिल बनाएँ ।
  • एनपीपीए के आदेश के मुताबिक अब धातुओं के स्टेंट के दाम की सीमा 7260 रुपये प्रति स्टेंट जबकि दवा में घुलनशील स्टेंट और बायोडिग्रेडेबल स्टेंट के दाम 29,600 रुपये प्रति नग(इन कीमतों में सभी कर शामिल नहीं हैं )  होगी । 

सरकार के इस कदम के आलोचनात्मक पक्ष  :

जहाँ एक ओर स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे इलाज पर आने वाला खर्च घटेगा । अपोलो जैसे जाने-माने हॉस्पिटल्स के अनुसार स्टेंट के दाम में कटौती से एंजियोप्लास्टी और सुलभ हो सकेगी । निश्चित रूप से मरीजों को इसका लाभ मिलेगा | वहीं दूसरी ओर विनिर्माता, सरकार द्वारा सभी स्टेंट के दाम 30,000 रुपये से कम रखे जाने के फैसले को लेकर चिंता जता रहे हैं । 

  • घरेलू विनिर्माताओं के संगठन एआईमेड ने तो सरकार के इस  फैसले को ‘उद्योग की हत्या’ के समान बताया है।
  • उद्योग जगत के कुछ पर्यवेक्षक अभी भी सरकार के इस फैसले के असर को लेकर आशंकित हैं और उनका कहना है कि अस्पताल के शुल्क या पैकेज की कोई सीमा तय नहीं की गई है। 
  • वहीँ फोर्टिस जैसे कुछ अस्पतालों के विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के नियमन से चीन और कनाडा से कम गुणवत्ता वाले स्टेंट बड़े पैमाने पर बाजार में पट सकते हैं। 
  • अमेरिका के एफडीएस से स्वीकृत सभी स्टेंड अब बाजार में नहीं मिलेंगे क्योंकि सरकार ने सभी स्टेंट को एक ही श्रेणी में डाल दिया है ।
  • विनिर्माता भी सरकार के इस फैसले से नाखुश हैं । 
  • फैसले पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा जा रहा है कि कानून व नियम तार्किक और क्रियान्वयन के योग्य होने चाहिए, जिससे आसानी से काम हो सके, न कि व्यवधान उत्पन्न करने वाले। 
  • आलोचकों के अनुसार अधिसूचना में सबसे खराब बात यह है कि एनपीपीए को उम्मीद है कि बाजार में उपलब्ध सम्पूर्ण स्टॉक अब रातों-रात नए दाम में उपलब्ध हो जाएगा । 
  • अस्पताल अपने यहाँ रखे माल पर होने वाले नुकसान में राहत चाहेंगे, जो उन्होंने रोक रखा है । 
  • ध्यातव्य है कि औषधि विभाग नियम पालन न करने पर विनिर्माताओं पर जुर्माना लगाएगा। 
  • अगर आयातक और विनिर्माता न्यायालय की शरण में जाते हैं तो इससे आम लोगों व मरीजों को नुकसान होगा । 
  • आदर्श स्थिति यह होती कि नियम को लागू करने व अगले बैच के उत्पाद के साथ तालमेल होता ।

सरकार का पक्ष :

  • कीमत तय करने के अपने फैसले को सही बताते हुए एनपीपीए ने कहा, 'इस क्षेत्र के सभी हिस्सेदारों के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद यह पाया गया कि कोरोनरी स्टेंट्स की आपूर्ति शृंखला के हर स्तर पर कीमतें बढ़ जाती हैं, जो अतार्किक है और इससे मरीजों की जेब पर भारी बोझ पड़ता है।
  • नई कीमतों से ‘मेक इन इंडिया’ को बड़े पैमाने पर प्रोत्‍साहित करने का अवसर मिलेगा |
  • बाजार में बेयर मेटल  स्टेंट (बीएमएस) का 10 प्रतिशत हिस्‍सा है। उसकी कीमत 7260 रुपये सीमित कर दी गई है। 
  • इसी तरह ड्रग एल्‍यूटिंग स्टेंट (डीईएस) का बाजार में 90 प्रतिशत हिस्‍सा है, जिसकी कीमत 29,600 रुपये सीमित कर दी गई है। हालाँकि इन कीमतों में वैट और अन्‍य स्‍थानीय कर शामिल नहीं हैं। 
  • दरअसल अभी स्‍टंट पर तमाम राज्‍यों में 5 प्रतिशत वैट लगाया जाता है, जिसके हिसाब से बीएमएस और डीईएस का खुदरा मूल्‍य क्रमश: 7623 रुपये और 31,080 रुपये होगा। 
  • 60 दिन के अंदर राष्‍ट्रीय औषधि मूल्‍य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने यह कीमतें तय की हैं। 
  • मंत्रालय का कहना है कि पहले स्टेंटों की बिक्री से मनमाना नफा कमाया जाता था, जिस पर इस नि‍र्णय से बहुत प्रभाव पड़ा है। 
  • नई कीमतों से उद्योगों पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। पहले बीएमएस का खुदरा मूल्‍य 45,000 रुपये और डीईएस का 1,21,000 रुपये था। अब बीएमएस की कीमत घटकर 7623 और डीईएस की 31,080 हो गई है। इस तरह मरीजों को औसतन 80-90 हजार रुपये का लाभ होगा। 
  • स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने हृदय में लगाये जाने वाले स्टेंट को 19 जुलाई, 2016 को आवश्‍यक औषधि सूची 2015 में शामिल किया था। इसी तरह रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने 21 दिसंबर, 2016 को हृदय में लगाये जाने वाले स्टेंट को औषधि मूल्‍य नियंत्रण आदेश, 2013 की अनुसूची 1 में शामिल किया था। 
  • सरकार ने आश्‍वासन दिया है कि स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय को निर्देशित किया जाएगा कि कीमतों को बढ़ने से रोका जाये तथा डॉक्‍टरों की फीस और अस्‍पताल में मरीज के रहने की अवधि के संबंध में निगरानी रखी जाये ताकि कीमतों की कमी का लाभ मरीजों को मिल सके |
  • अस्‍पतालों में जो स्टेंट पहले से जमा हैं, उनकी कीमतों में भी संशोधन किया जायेगा। अगर तयशुदा कीमतों की अवलेहना होती है तो एनपीपीए को यह अधिकार दिया गया है कि‍वह अतिरिक्‍त कीमत को 15 प्रतिशत ब्‍याज के साथ वसूल करे। 
  • मंत्रालय ने ‘फार्मा जन समाधान’ और ‘फार्मा सही दाम’ नामक दो मोबाइल एप्प शुरू किये हैं। इनके द्वारा कोई भी व्‍यक्ति मंत्रालय के पास शिकायत भेज सकता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow