आंतरिक सुरक्षा
2024 तक राज्यों में एनआईए कार्यालय होगा
- 28 Oct 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:आतंकवाद, एनआईए, राज्य सूची मेन्स के लिये:संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री ने घोषणा की कि देश के सभी राज्यों में आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीति के रूप में वर्ष 2024 तक राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) के कार्यालय होंगे।
- गृह मंत्री स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 'विज़न 2047' और 'पंच प्रण' के कार्यान्वयन हेतु एक कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय 'चिंतन शिविर' को संबोधित कर रहे थे।
संबोधन के मुख्य बिंदु:
- ‘नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड’ (NATGRID):
- राज्यों से नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) का उपयोग करने का आग्रह किया गया है जो अभी चालू था।
- NATGRID 11 एजेंसियों के डेटासेट को एक साझा मंच पर ले आता है।
- राज्यों से नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) का उपयोग करने का आग्रह किया गया है जो अभी चालू था।
- आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार:
- संसद में जल्द ही भारतीय दंड संहिता (IPC) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में संशोधन के साथ पेश किया जाएगा।
- वन डेटा वन एंट्री:
- सीमा और तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सीमावर्ती राज्यों को केंद्रीय एजेंसियों एवं सुरक्षा बलों के साथ समन्वय करना चाहिये।
- राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से लड़ने के लिये आंतरिक सुरक्षा संसाधनों के इष्टतम और तर्कसंगत उपयोग की आवश्यकता है।
- "वन डेटा वन एंट्री" के सिद्धांत के बाद एनआईए को एक राष्ट्रीय आतंकवादी डेटाबेस बनाए रखने के लिये वित्तीय अपराधों पर प्रवर्तन निदेशालय और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को नार्को अपराधों पर एक डेटासेट बनाए रखने के लिये सौंपा गया था।
- FCRA में संशोधन:
- वर्ष 2020 में विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA) में हुए संशोधनों से विदेशी धन के दुरुपयोग को सफलतापूर्वक रोकने के साथ इसकी प्रभावी निगरानी संभव हुई ।
- विदेशी धन प्राप्त करने के लिये FCRA अनिवार्य था।
भारत में कानून-व्यवस्था की स्थिति से संबंधित मुद्दे:
- सामान्य प्रशासन:
- विभिन्न सरकारी एजेंसियों में समन्वय की कमी है।
- कानूनों का खराब प्रवर्तन और प्रशासन की सामान्य विफलता का होना।
- पुलिस से संबंधित समस्याएँ:
- संगठनात्मक, आधारभूत संरचना और कार्यप्रणाली से संबंधित समस्याएँ
- अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप का होना।
- प्रमुख पदाधिकारियों के सशक्तिकरण का अभाव।
- आधुनिक तकनीक/जाँच के तरीकों का अभाव।
- संगठनात्मक व्यवहार:
- प्रशिक्षण का अभाव।
- अहंकार, संवेदनहीनता और परंपरागत विचारों के होने की गहरी वृत्ति।
- नैतिक मुद्धे:
- भ्रष्टाचार, मिलीभगत और जबरन वसूली की समस्या।
- मानवाधिकारों के प्रति असंवेदनशीलता।
- पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया और कार्मिक नीतियों का अभाव।
- अभियोजन से संबंधित मुद्दे:
- लोक अभियोजक सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को आकर्षित नहीं कर पाते हैं।
- जाँच और अभियोजन एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव देखने को मिलता है।
- साक्ष्य प्रस्तुत करने के संदर्भ में पुलिस का अविश्वास।
- न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित समस्याएँ:
- बड़ी संख्या में मामलों का लंबित होना।
- दोषसिद्धि की दर का कम होना।
संबंधित संवैधानिक और कानूनी प्रावधान:
- कानून और व्यवस्था सातवीं अनुसूची के तहत एक राज्य का विषय है, संविधान के अनुसार गृह मंत्रालय (MHA) राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है और मंत्रालय समय-समय पर राज्यों को सलाह भेज सकता है।
- अपराध को रोकना, पता लगाना, पंजीकृत करना और जाँच करना और अपराधियों पर मुकदमा चलाना राज्य सरकारों का प्राथमिक कर्तव्य है।
- हालांकि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को उनके पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करके उनके प्रयासों को पूरक बनाती है।
- इसके अलावा अपराध तथा कानून व्यवस्था से संबंधित घटनाओं को रोकने के लिये केंद्रीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी नियमित रूप से साझा की जाती है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी), एमएचए के तहत एक नोडल एजेंसी, अपराध के आँकड़ों को इकट्ठा करने, संकलित करने और विश्लेषण करने की प्रक्रिया में लगी हुई है ताकि राज्यों को अपराध के रोकथाम और नियंत्रण के लिये उपयुक्त रणनीति विकसित करने में मदद मिल सके।
- इसके अलावा ब्यूरो ने 'अपराध आपराधिक सूचना प्रणाली (सीसीआईएस)' नामक एक परियोजना के तहत देश भर में प्रत्येक ज़िला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) एवं राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) में कम्प्यूटरीकृत सिस्टम स्थापित किये हैं।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA):
- विषय:
- NIA भारत की केंद्रीय आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने के लिये अनिवार्य है। उसमें समाविष्ट हैं:
- विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- परमाणु और नाभिकीय सुविधाओं के विरुद्ध।
- हथियारों, ड्रग्स और नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी तथा सीमाओं के पार से घुसपैठ।
- संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, सम्मेलनों एवं प्रस्तावों को लागू करने के लिये अधिनियमित वैधानिक कानूनों के तहत अपराध।
- इसका गठन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम, 2008 के तहत किया गया था।
- एजेंसी को गृह मंत्रालय से लिखित उद्घोषणा के तहत राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जाँच करने का अधिकार है।
- NIA भारत की केंद्रीय आतंक रोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले सभी अपराधों की जाँच करने के लिये अनिवार्य है। उसमें समाविष्ट हैं:
- मुख्यालय: नई दिल्ली
आगे की राह
- अपराधों की प्रकृति बदल रही है, और वे सीमाहीन होते जा रहे हैं, इसलिये सभी राज्यों को एक साझा रणनीति बनाकर इसके विरुद्ध लड़ना होगा।
- “सहकारी संघवाद” की भावना के तहत इस रणनीति को तैयार करने और लागू करने के लिये केंद्र व राज्यों के बीच समन्वय एवं सहयोग की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत की आंतरिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों के प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। साथ ही, इन परिष्कृत हमलों के विरुद्ध रक्षात्मक उपायों की चर्चा कीजिये। (2021) |