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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मवेशी संरक्षण कानून बनाने की शक्तियाँ राज्यों के पास

  • 19 Jul 2017
  • 3 min read

संदर्भ 
केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य सरकारें पशुओं के संरक्षण के लिये विधि बना सकती हैं। इस मामले में राज्यों को भारतीय संविधान के तहत विशिष्ट शक्तियाँ प्राप्त हैं।  

प्रमुख बिंदु 

  • गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिये राजस्थान उच्च न्यायालय के सुझाव के जवाब में केंद्रीय सरकार ने मंगलवार को राज्य सभा को बताया कि राज्य विधानसभाओं में मवेशियों के संरक्षण के लिये कानून बनाने के लिये अनन्य शक्तियाँ हैं।

क्या है संवैधानिक स्थिति ?

  • संविधान के अनुच्छेद 246(3) के तहत भारत संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण के तहत, मवेशियों का संरक्षण एक ऐसा मामला है जिस पर राज्यों की विधायिका के पास कानून बनाने की विशेष शक्तियाँ हैं। क्योंकि मवेशी अथवा पशुधन राज्य सूची का विषय है।
  • इस अनुच्छेद के अनुसार किसी राज्य के विधानमंडल को सातवीं अनुसूची की सूची 2 में ( राज्य अनुसूची ) प्रगणित किसी भी विषय के संबंध में उस राज्य या उसके किसी भाग के लिये विधि बनाने की अनन्य शक्तियाँ हैं।
  • राज्य सूची में वर्तमान में 62 विषय हैं, संविधान के लागू होने के समय इसमें 66 विषय थे।

राजस्थान उच्च न्यायालय

  • गौरतलब है कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने 31.5.2017 के आदेश के अनुसार सलाह दी थी कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिये।
  • न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि वह गायों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये कदम उठाए और गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करे। 

घटनाओं की श्रृंखला

  • हाल के कुछ दिनों में गायों के वध, खपत और परिवहन पर लोगों, ज़्यादातर मुस्लिम और दलितों पर हमले की घटनाओं के कारण केंद्र सरकार की यह प्रतिक्रिया सामने आई है। विपक्षी दलों की मांग पर भीड़ द्वारा हत्या के मुद्दे पर राज्य सभा में चर्चा हो सकती है।
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