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भारतीय राजव्यवस्था

पुद्दुचेरी द्वारा राज्य के दर्जे की मांग

  • 01 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, केंद्रशासित प्रदेश, अनुच्छेद -3।

मेन्स के लिये:

नए राज्यों के निर्माण और संबंधित मुद्दों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री ने पुद्दुचेरी केंद्रशासित प्रदेश (UT) को राज्य का दर्जा देने की मांग की है।

  • पुद्दुचेरी के लिये राज्य की मांग एक लंबे समय से लंबित मुद्दा है, जिससे यह पुद्दुचेरी में और अधिक उद्योगों को आमंत्रित कर तथा पर्यटन के लिये बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कर रोज़गार क्षमता पैदा करने के लिये किसी भी शक्ति का प्रयोग करने में असमर्थ है।

केंद्रशासित प्रदेश

  • UT उन संघीय क्षेत्रों को संदर्भित करता है जो स्वतंत्र होने के लिये बहुत छोटे हैं या आसपास के राज्यों के साथ विलय करने हेतु बहुत अलग (आर्थिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से) हैं या आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं या राजनीतिक रूप से अस्थिर हैं।
    • इन कारणों से वे अलग-अलग प्रशासनिक इकाइयों के रूप में नहीं रह सके और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित करने की आवश्यकता थी। 
  • केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। संघशासित प्रदेशों में लेफ्टिनेंट गवर्नरों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा उनके प्रशासकों के रूप में नियुक्त किया जाता है।
    • हालाँकि पुद्दुचेरी, जम्मू और कश्मीर और दिल्ली इस संबंध में अपवाद हैं तथा आंशिक राज्य की स्थिति के कारण एक निर्वाचित विधायिका और सरकार है।
  • वर्तमान में भारत में 8 केंद्रशासित प्रदेश हैं- दिल्ली, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली तथा दमन एवं दीव, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप व पुद्दुचेरी।

प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि:
    • वर्ष 1949 में जब भारत के संविधान को अपनाया गया था, तब भारतीय संघीय ढाँचे में शामिल थे:
      • भाग A राज्यों में ब्रिटिश भारत के नौ तत्कालीन गवर्नर प्रांत शामिल थे।
      • भाग B राज्यों में विधायिकाओं के साथ नौ पूर्ववर्ती रियासतें शामिल थीं।
      • भाग C राज्यों में तत्कालीन मुख्य आयुक्त के अंतर्गत ब्रिटिश भारत प्रांत और कुछ पूर्ववर्ती रियासतें शामिल थीं।
      • भाग D राज्य में केवल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल थे।
    • वर्ष 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के बाद, भाग सी और भाग डी राज्यों को 'केंद्रशासित प्रदेश' की एक श्रेणी में मिला दिया गया। संघ शासित प्रदेश की अवधारणा को संविधान के सातवें संशोधन अधिनियम, 1956 द्वारा जोड़ा गया था।
  • मांग का कारण:
    • भाषायी और सांस्कृतिक कारण देश में नए राज्यों के निर्माण का प्राथमिक आधार हैं।
    • अन्य कारक हैं:
    • स्थानीय संसाधनों के लिये प्रतियोगिता।
    • कुछ क्षेत्रों के प्रति सरकार की लापरवाही।
    • संसाधनों का अनुचित आवंटन।
    • संस्कृति, भाषा, धर्म आदि में अंतर।
    • रोज़गार के पर्याप्त अवसर पैदा करने में अर्थव्यवस्था की विफलता
    • लोकप्रिय लामबंदी और लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया भी इसका एक कारण है।
    • 'मिट्टी के पुत्र' जैसी भावनाएँ।
  • नए राज्यों के निर्माण से उत्पन्न मुद्दे:
    • अलग-अलग राज्य का दर्ज़ा उनकी सत्ता संरचनाओं पर प्रमुख समुदाय/जाति/जनजाति के आधिपत्य को जन्म दे सकता है।
    • इससे उप-क्षेत्रों के बीच अंतर-क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता का उदय हो सकता है।
    • नए राज्यों के निर्माण के कुछ नकारात्मक राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं जैसे विधायकों का एक छोटा समूह अपनी इच्छा से सरकार बना या बिगाड़ सकता है।
    • अंतर्राज्यीय जल, बिजली और सीमा विवाद बढ़ने की भी संभावना है।
    • राज्यों के विभाजन के लिये नई राजधानियों के निर्माण और बड़ी संख्या में प्रशासकों को बनाए रखने के लिये भारी धन की आवश्यकता होगी जैसा कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के विभाजन में हुआ था।
    • छोटे राज्यों का निर्माण केवल पहले से मौजूद संस्थानों जैसे- ग्राम पंचायत, ज़िला कलेक्टर आदि को सशक्त किये बिना पुराने राज्य की राजधानी से नई राज्य की राजधानी में सत्ता हस्तांतरित तथा  राज्यों के पिछड़े क्षेत्रों में विकास का प्रसार करता है।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • भारतीय संविधान केंद्र सरकार को मौज़ूदा राज्यों से नए राज्य बनाने या एक राज्य को दूसरे में विलय करने का अधिकार देता है तथा इस प्रक्रिया को राज्यों का पुनर्गठन कहा जाता है।
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 2 के अनुसार संसद कानून द्वारा ऐसे नियमों और शर्तों पर संघ में प्रवेश या नए राज्यों की स्थापना कर सकती है।
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार, केंद्र सरकार के पास नए राज्य को निर्मित करने, किसी भी राज्य के आकार को बढ़ाने या घटाने और किसी भी राज्य की सीमाओं या नाम को परिवर्तित करने की शक्ति है।

Pondichery

पुद्दुचेरी

  • पुद्दुचेरी शहर दक्षिण-पूर्वी भारत में स्थित पुद्दुचेरी केंद्रशासित प्रदेश की राजधानी है।
  • इस UT का गठन वर्ष 1962 में फ्रांस के भारत में  चार पूर्व उपनिवेशों में से एक के रूप में किया गया था 
    • पांडिचेरी (अब पुद्दुचेरी) और कराईकल भारत के दक्षिणपूर्वी कोरोमंडल तट के साथ यनम, पूर्वी तट के साथ उत्तर में, और माहे, केरल राज्य से घिरे पश्चिमी मालाबार तट पर स्थित है।
  •  वर्ष 1674 में इसकी उत्पत्ति एक फ्राँसीसी व्यापार केंद्र के रूप में हुई थी, जब इसे एक स्थानीय शासक से खरीदा गया था। 
  • पांडिचेरी उपनिवेश 17वीं शताब्दी के अंत तक फ्राँसीसी और डच के बीच लगातार लड़ाई का केंद्र  बना रहा और इस पर कई बार ब्रिटिश सैनिकों द्वारा कब्जा किया गया। हालाँकि यह वर्ष 1962 तक भारत में स्थानांतरित होने तक फ्राँसीसी औपनिवेशिक अधिकार में बना रहा।

आगे की राह 

  • राजनीतिक विचारों के बजाय आर्थिक और सामाजिक व्यवहार्यता को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
  • धर्म, जाति, भाषा या बोली के बजाय विकास, विकेंद्रीकरण और शासन जैसी लोकतांत्रिक चिंताओं को नए राज्य की मांगों को स्वीकार करने हेतु वैध आधार देना बेहतर है।
  • इसके अलावा विकास और शासन की कमी जैसी मूलभूत समस्याओं जैसे- सत्ता का संकेंद्रण, भ्रष्टाचार, प्रशासनिक अक्षमता आदि का समाधान किया जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू 

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