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शासन व्यवस्था

विद्यालयों और आँगनवाड़ियों में जलापूर्ति की स्थिति

  • 10 Mar 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति को दी गई जानकारी के अनुसार, अक्तूबर 2020 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा 100% जलापूर्ति कवरेज प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रारंभ किये गए 100 दिवसीय अभियान के बावजूद केवल आधे सरकारी विद्यालयों और आँगनवाड़ियों में नल द्वारा जलापूर्ति की सुविधा है।

  • समिति ने जल जीवन मिशन की प्रगति के बारे में भी संज्ञान लिया।

प्रमुख बिंदु:

100 दिवसीय अभियान:

  • इस अभियान का उद्देश्य पीने और खाना पकाने के लिये स्वच्छ जल की आपूर्ति और हर स्कूल, आँगनवाड़ी, आश्रमशाला या आवासीय आदिवासी स्कूल में शौचालय के लिये नल का पानी प्रदान करना है।
  • इसे 2 अक्तूबर, 2020 (गांधी जयंती) को लॉन्च किया गया था।
  • 100 दिन की यह अवधि 10 जनवरी, 2021 तक के लिये थी। हालाँकि कुछ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने संकेत दिया है कि उन्हें कार्य पूरा करने के लिये अधिक समय की आवश्यकता है। इसलिये इस अभियान को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।

संबंधित अवलोकन:

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  • 15 फरवरी, 2021 तक केवल 48.5% आँगनवाड़ियों और 53.3% विद्यालयों में नल द्वारा जलापूर्ति की सुविधा उपलब्ध थी।
  • उत्तर प्रदेश में 8% से कम और पश्चिम बंगाल में 11% विद्यालयों में जलापूर्ति की सुविधा उपलब्ध थी, जबकि असम, झारखंड, यूपी, छत्तीसगढ़ और बंगाल में केवल 2-6% आँगनवाड़ियों में नल द्वारा जलापूर्ति की सुविधा उपलब्ध थी।
  • सात राज्य: आंध्र प्रदेश, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और पंजाब ने 100% कवरेज हासिल किया है।
  • विद्यालयों और आँगनबाड़ी केंद्रों में लगभग 1.82 लाख ‘ग्रे वाटर मैनेजमेंट स्ट्रक्चर’ और 1.42 लाख वर्षा जल संचयन संरचनाओं का निर्माण किया गया।

प्रदूषित जल से संबंधित बच्चों के स्वास्थ्य मुद्दे:

  • बच्चे जल जनित रोगों (डायरिया, हैजा, टाइफाइड) के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
  • पीने योग्य पानी की कमी के कारण बच्चों में अन्य पोषण संबंधी समस्याएँ और स्वास्थ्य संबंधी खतरे उभर कर सामने आ रहे हैं।

जल जीवन मिशन:

  • जल जीवन मिशन (JJM) द्वारा वर्ष 2024 तक ‘सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन’ (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण घर में प्रति व्यक्ति/दिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।
  • JJM स्थानीय स्तर पर जल की एकीकृत मांग और आपूर्ति पक्ष प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण, घरेलू जल अपशिष्ट का पुनः उपयोग,  जल प्रबंधन जैसे अनिवार्य तत्त्वों के लिये स्थिरता उपायों को अपनाने का काम अन्य सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ शामिल किया जाएगा।
  • यह मिशन जल के सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है, इसके प्रमुख घटक के रूप में व्यापक सूचना, शिक्षा और संचार शामिल हैं।
  • JJM जल के संबंध में एक ऐसे जन आंदोलन की कल्पना करता है, जिसमें हर व्यक्ति की सहभागिता हो।
  • वित्तपोषण पैटर्न: केंद्र और राज्यों के बीच फंड शेयरिंग पैटर्न हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिये 90:10, अन्य राज्यों के लिये 50:50 और केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 100% है।
  • बजट 2021-22 में जल जीवन मिशन (शहरी) को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सतत् विकास लक्ष्य-6 के अनुसार सभी वैधानिक शहरों में कार्यशील नल के माध्यम से सभी घरों में पानी की आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज प्रदान करने के लिये शुरू किया गया है।

सुझाव:

  • स्थायी समिति ने उल्लेख किया है कि पाइपलाइन में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित किये बिना मात्र नल कनेक्शन के  प्रावधान से उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी साथ ही यह   JJM के उद्देश्य को भी पूरा नहीं करेगा।
  • इसने ज़िला स्तर पर जल आपूर्ति की वास्तविक समय पर निगरानी किये जाने को कहा है।
  • केंद्र सरकार को जल शोधन या ‘रिवर्स ऑस्मोसिस’ (RO) संयंत्रों को तत्काल आधार पर स्थापित करने के उपाय करने चाहिये ताकि बच्चों को पीने के पानी के प्रदूषित होने से नुकसान न हो।

‘ग्रे वाटर’:

  • ग्रे पानी को ऐसे अपशिष्ट जल के रूप में परिभाषित किया जाता है जो घरेलू प्रक्रियाओं (जैसे- बर्तन धोना, कपड़े धोना और नहाना) से उत्पन्न होता है।
  • ग्रे पानी में हानिकारक बैक्टीरिया और यहाँ तक ​​कि मल पदार्थ शामिल हो सकते हैं जो मिट्टी और भूजल को दूषित करते हैं।

स्रोत- द हिंदू

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