जैव विविधता और पर्यावरण
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 रिपोर्ट
- 04 Apr 2019
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल हे में बोस्टन स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (Health Effects Institute- HEI) द्वारा तैयार की गई स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट 2019 में बताया गया है कि 2017 में वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न बीमारियों से 1.2 मिलियन भारतीयों की मौत हो गई।
प्रमुख बिंदु
- वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर के लिये वैश्विक जोखिम वाले कारकों में पाँचवे स्थान पर है, जो केवल व्यावहारिक और उपापचयिक (Metabolic) कारकों के कारण अधिक है, जिसमें दोषपूर्ण आहार, उच्च रक्तचाप, तंबाकू का सेवन और उच्च रक्त शर्करा प्रमुख है।
- विश्व स्तर पर वायु प्रदूषण (PM 2.5, घरेलू और ओज़ोन उत्सर्जन) अनुमान के मुताबिक, 2017 में इसके चलते लगभग 4.9 मिलियन लोगों की मौत हुई जो दुनिया भर में होने वाली मौतों का 8.7% और कुल विकलांगता का 5.9% है।
- भारत और चीन में वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव देखा गया है इसके बाद पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और नाइज़ीरिया हैं।
- 2017 में PM 2.5 प्रदूषण के संपर्क में आने से टाइप -2 मधुमेह से संबंधित मौतों और विकलांगता के लिये वैश्विक स्तर पर उच्च रक्त शर्करा और शरीर के अत्यधिक वज़न के बाद इसे तीसरा प्रमुख जोखिम वाले कारक के रूप में पाया गया।
- विश्व स्तर पर इस तरह का एक्सपोज़र वर्ष 2017 में लगभग 2.76 लाख लोगों की मौत और 15.2 मिलियन लोगों में स्थायी रूप से विकलांगता का कारण बना।
- चीन, इंडोनेशिया, मेक्सिको और ब्राज़ील के बाद भारत में यह प्रभाव सबसे अधिक था।
रिपोर्ट में भारत की स्थिति
- भारत में वायु प्रदूषण अब सभी स्वास्थ्य जोखिमों में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण है जो धूम्रपान के ठीक ऊपर है।
- 2017 में असुरक्षित वायु के संपर्क में आने के कारण 1.2 मिलियन से अधिक भारतीयों की मौत हो गई।
- 1.2 मिलियन वार्षिक अकाल मौतों में से 673,100 मौतें बाह्य PM2.5 के संपर्क में आने के कारण हुईं और 481,700 से अधिक मौतें भारत में घरेलू वायु प्रदूषण के कारण हुईं।
- 2017 में भारत की लगभग 60% आबादी घरेलू प्रदूषण के संपर्क में थी। हालाँकि, रिपोर्ट यह भी मानती है कि भारत में ठोस ईंधन से खाना पकाने वाले परिवारों का अनुपात 2005 के 76% से घटकर 2017 में 60% (846 मिलियन) हो गया है जो LPG से संबंधित सरकार की योजना के कारण हुआ है।
- संपूर्ण भारतीय आबादी 10 µg / m3 के WHO वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश के ऊपर PM2.5 सांद्रता वाले क्षेत्रों में रहती है तथा केवल 15% आबादी ही WHO के कम-से-कम कड़े लक्ष्य 35 µg / m3 के नीचे PM2.5 सांद्रता वाले क्षेत्रों में रहती है।
- 2017 में PM2.5 प्रदूषण के संपर्क में आने से 55,000 लोगों की मौत हुई। उल्लेखनीय है कि भारत ने प्रदूषण स्रोतों को संबोधित करने के लिये बड़े कदम उठाए हैं जैसे- प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, घरेलू LPG कार्यक्रम, भारत स्टेज VI मानक वाले वाहनों के चलन में तेज़ी तथा नए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम।
- पूरी तरह से वायु गुणवत्ता के लिये एक निरंतर प्रतिबद्धता के साथ यदि इन पहलों को कार्यान्वित किया जाता है तो आने वाले वर्षों में महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ की स्थिति प्राप्त हो सकती है।
टाइप 2 डाईबिटीज़ (Type 2 Diabetes)
- यह एक चिरकालिक स्थिति है जो शरीर में मौजूद शर्करा (ग्लूकोज़) के चयापचयी क्रियाओं को प्रभावित करती है। शर्करा शरीर के ईंधन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- टाइप 2 डायबिटीज़ में किसी व्यक्ति का शरीर या तो इंसुलिन के प्रभावों का प्रतिरोध करता है या फिर सामान्य ग्लूकोज़ स्तर को बनाए रखने के लिये पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है।
- इंसुलिन एक हार्मोन है जो कोशिकाओं में शर्करा की गति को नियंत्रित करता है।
- इसके कारण बार-बार प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, बहुत भूख लगना, अनपेक्षित वज़न घटने जैसे लक्षण प्रदर्शित होते हैं
PM 2.5 (Particulate Matter 2.5)
- PM 2.5 एक वायुमंडलीय कण है जिसका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। इसका आकार मानव के बाल के व्यास का लगभग 3 प्रतिशत है।
- इससे श्वसन संबंधी समस्याएँ होती हैं तथा यह दृश्यता को भी कम करता है। यह एक अंतःस्रावी व्यवधान है जो इंसुलिन स्राव और इंसुलिन संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकता है, इस प्रकार यह मधुमेह में भी योगदान देता है।
- बहुत छोटे होने के कारण इसे सिर्फ इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से देखा जा सकता है।
स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान Health Effects Institute (HEI)
- इस संगठन की स्थापना 1980 में की गई।
- स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान स्वतंत्र गैर-लाभकारी संस्थान है जो वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर अनुसंधान करता है।
- इसका मुख्यालय बोस्टन, मैसेचुसेट्स, संयुक्त राज्य अमेरिका में है।