शासन व्यवस्था
स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम
- 09 Mar 2022
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प्रिलिम्स के लिये:स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम, मुद्रा। मेन्स के लिये:ग्रामीण विकास, स्वयं सहायता समूहों, सरकारी नीतियों और हस्तक्षेपों में एसवीईपी का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन स्वायत्तशासी संगठन राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान (National Institute of Entrepreneurship and Small Business Development- NIESBUD) द्वारा स्टार्ट-अप ग्राम उद्यमशीलता कार्यक्रम (Start-up Village Entrepreneurship Programme- SVEP) पहल के ज़रिये ज़मीनी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहन देने हेतु एक सतत् स्वरूप विकसित करने के उद्देश्य से ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
प्रमुख बिंदु
साझेदारी का महत्त्व:
- इस साझेदारी के तहत ग्रामीण उद्यमियों को अपने कारोबार शुरू करने के संबंध में वित्तीय समर्थन प्राप्त करने के लिये बैंकिंग प्रणाली तक पहुंँच प्राप्त हो सकेगी। इसमें मुद्रा बैंक का समर्थन भी शामिल है।
- एकीकृत आईसीटी तकनीकों और उपकरणों से क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण मिलेगा। इसके तहत देश के गांँवों में उद्यमशीलता इको-सिस्टम को बढ़ाने हेतु उपक्रम सलाहकार सेवाएंँ भी प्रदान की जाएंगी।
- परियोजना के लाभार्थियों में दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) से संबंधित स्वसहायता समूह शामिल हैं। योजना न सिर्फ मौजूदा उद्यमों बल्कि नए उद्यमों की भी सहायता करती है।
- यह साझेदारी ग्रामीण समुदाय को उनके व्यापार को स्थापित करने में मदद करेगी और उनके स्थिर होने तक पूर्ण सहायता प्रदान करेगी।
- इस सटीक अंतःक्षेप से जन सामान्य को जानकारी, सलाह और वित्तीय समर्थन मिलेगा तथा गांँवों में समुदाय स्तर पर संगठित लोगों का दल बनाने में मदद मिलेगी।
SVEP से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- SVEP के बारे में:
- SVEP, ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत वर्ष 2016 से संचालित दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (Deendayal Antyodaya Yojana-National Rural Livelihood Mission- DAY-NRLM) का उप-घटक है।
- उद्देश्य:
- गरीबी से बाहर आने के लिये ग्रामीण गरीबों का समर्थन करना।
- व्यवसाय प्रबंधन और सॉफ्ट स्किल्स में वित्तीय सहायता एवं प्रशिक्षण के साथ स्वरोज़गार के अवसर प्रदान करना।
- उद्यमों को बढ़ावा देने हेतु स्थानीय सामुदायिक संवर्ग निर्मित करना।
- विशेषताएँ:
- यह ग्रामीण स्टार्ट-अप के तीन प्रमुख स्तंभों अर्थात् वित्त, इन्क्यूबेशन और कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को संबोधित करता है।
- यह मुख्य रूप से विनिर्माण, व्यापार और सेवा क्षेत्रों में व्यक्तिगत एवं समूह दोनों प्रकार के उद्यमों को बढ़ावा देता है।
- यह स्थानीय मांग और पारिस्थितिकी तंत्र के आधार पर व्यवसायों को लाभप्रद रूप में चलाने के लिये उद्यमियों की क्षमता के निर्माण पर निवेश करता है।
- व्यापार योजना और लाभ व हानि खाते की तैयारी जैसे तकनीकी पहलुओं के प्रसार में होने वाले नुकसानको कम करने हेतु मानक ई-लर्निंग मॉड्यूल बनाने के लिये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology- ICT) के उपयोग पर भी निवेश किया जाता है।
- गतिविधियाँ: SVEP के तहत गतिविधियाँ कुछ प्रमुख क्षेत्रों के साथ ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये रणनीतिक रूप से तैयार की गई हैं।
- प्रमुख क्षेत्रों में से सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों-उद्यम संवर्द्धन (Community Resource Persons-Enterprise Promotion) को विकसित करना है जो स्थानीय और ग्रामीण उद्यमों की स्थापना करने वाले उद्यमियों का समर्थन करते हैं।
- एक अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्र SVEP ब्लॉकों में ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (Block Resource Center) को बढ़ावा देना, सामुदायिक संसाधनों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों की निगरानी और प्रबंधन, SVEP ऋण आवेदनों का मूल्यांकन करना तथा संबंधित ब्लॉक में उद्यम से संबंधित जानकारी के भंडार के रूप में कार्य करना है।
- BRCs प्रभावी और स्वतंत्र रूप से संचालन के लिये एक स्थायी राजस्व मॉडल का समर्थन करने में भूमिका निभाते हैं।
- SVEP ने स्थानीय बाजार/ग्रामीण हाट की स्थापना की जिसने उद्यमियों को मांग आधारित उत्पादन, अपने उद्यम का विज्ञापन करने और आय के अवसरों को बढ़ाने के लिये प्रेरित किया है।
- एक विशिष्ट ग्रामीण हाट ज़्यादातर स्वदेशी, लचीली और बहुस्तरीय संरचना होती है जो विभिन्न प्रकृति की आर्थिक गतिविधियों को समायोजित करती है।
- स्थानीय बाज़ार/हाट/मार्केट एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक मंच के रूप में कार्य करता है जहाँ उत्पादों की एक शृंखला का कारोबार होता है।
- उपलब्धियाँ:
- भारतीय गुणवत्ता परिषद (Quality Council of India) द्वारा सितंबर 2019 में आयोजित SVEP की मध्यावधि समीक्षा में ब्लॉकों के लगभग 82 प्रतिशत उद्यमियों के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से होने की सूचना दी गई है, जो एनआरएलएम के स्तंभों में से एक सामाजिक समावेश को दर्शाता है।
- 75% उद्यमों का स्वामित्व और प्रबंधन महिलाओं के पास था तथा उद्यमी का मासिक औसत राजस्व 39,000 रुपए था व विनिर्माण के मामले में यह 47,800 रुपए, सेवाओं के मामले में 41,700 रुपए और व्यापार के मामले में 36,000 रुपए था।
- अध्ययन से यह भी पता चलता है कि उद्यमियों की कुल घरेलू आय का लगभग 57% हिस्सा SVEP उद्यमों के माध्यम से प्राप्त होता है।
विगत वर्षों के प्रश्नराष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण गरीबों की आजीविका के विकल्पों में कैसे सुधार करता है ? (2012)
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