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भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टेबलकॉइन

  • 24 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्टेबलकॉइन

मेन्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी का महत्त्व और उपयोगिता तथा इससे संबंधित चुनौतियाँ

चर्चा में क्यों?

वित्तीय सुरक्षा पर टीथर और अन्य ‘स्टेबलकॉइन’ के खतरों की जाँच हेतु अमेरिका एक औपचारिक समीक्षा शुरू करने पर विचार कर रहा है।

  • ‘टीथर’ वर्ष 2014 में बनाया गया पहला ‘स्टेबलकॉइन’ था।

प्रमुख बिंदु

  • ‘स्टेबलकॉइन’ के विषय में
    • ‘स्टेबलकॉइन’ एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, जो आमतौर पर मौजूदा सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा से संबद्ध होती है।
      • क्रिप्टोकरेंसी, नेटवर्क आधारित डिजिटल संपत्ति का ही एक रूप है, जिसे बड़ी संख्या में कंप्यूटरों के माध्यम से वितरित किया जाता है।
    • ‘स्टेबलकॉइन’ में आरक्षित संपत्ति का एक रिज़र्व मौजूद होता है, आमतौर पर अल्पकालिक प्रतिभूतियाँ जैसे कि नकद, सरकारी ऋण या वाणिज्यिक पत्र आदि।
    • ‘स्टेबलकॉइन’ काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे लोगों को बिटकॉइन जैसे निवेश के रूप में कार्य करने वाली क्रिप्टोकरेंसी में अधिक निर्बाध रूप से लेन-देन करने की अनुमति देते हैं।
    • वे पुरानी दुनिया की मुद्रा और नई दुनिया की क्रिप्टो के बीच एक सेतु के रूप में होने के साथ ही पूरी तरह से सुरक्षित होल्डिंग्स की तरह काम करते हैं।
  • प्रकार:
    • फिएट-संपार्श्विक ‘स्टेबलकॉइन’:
      • ये 1:1 के अनुपात में अमेरिकी डॉलर, यूरो या पौंड जैसे फिएट मनी द्वारा समर्थित हैं।
      • उदाहरण: टीथर, जेमिनी डॉलर और ट्रूएसडी।
    • अन्य संपत्तियों द्वारा समर्थित ‘स्टेबलकॉइन’:
      • कुछ ‘स्टेबलकॉइन, कई अन्य संपत्तियों (वाणिज्यिक कागज़ात, बाॅण्ड, अचल संपत्ति, कीमती धातु आदि) की एक बास्केट द्वारा समर्थित हैं।
      • कमोडिटी और कीमती धातु की कीमतों में उतार-चढ़ाव के अधीन इन स्थिर सिक्कों के मूल्य में समय के साथ उतार-चढ़ाव हो सकता है।
      • उदाहरण: ‘डिजीक्स गोल्ड’- सोने द्वारा समर्थित।
    • क्रिप्टो-संपार्श्विक स्टेबलकॉइन: 
      • क्रिप्टो-संपार्श्विक स्टेबलकॉइन अपने समूहों की तुलना में अधिक विकेंद्रीकृत हैं और क्रिप्टोकरेंसी द्वारा समर्थित हैं।
      • फ्लिपसाइड (Flipside) मूल्य अस्थिरता और मूल्य अस्थिरता के जोखिम को दूर करने के लिये ये स्टेबलकॉइन अति-संपार्श्विक (Over-Collateralised) हैं।
      • उदाहरण: डाई (Dai)।
    • गैर-संपार्श्विक स्टेबलकॉइन:
      • इन स्टेबलकॉइन को कोई समर्थन प्राप्त नहीं है और सही अर्थों में ये विकेंद्रीकृत हैं तथा गैर-संपार्श्विक स्टेबलकॉइन की आपूर्ति एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित होती है।
      • उदाहरण: आधार (Basis)।
  • चिंताएँ:
    • अल्पकालिक ऋण से संबंधित:
      • कई स्टेबलकॉइन अल्पकालिक ऋण के प्रकारों द्वारा समर्थित होते हैं जो कि तरलता की अवधि में प्रवण होते हैं, जिसका अर्थ है कि मुसीबत के समय में व्यापार करना कठिन या असंभव हो सकता है।
    • सभी स्टेबलकॉइन स्टेबल नहीं होते:
      • सभी स्टेबलकॉइन वास्तव में 100% मूल्य-स्थिर नहीं होते हैं। उनका मूल्य उनकी अंतर्निहित संपत्ति पर निर्भर करता है।
    • परिसंपत्ति संक्रमण जोखिम:
      • स्टेबलकॉइन आरक्षित होल्डिंग्स के परिसमापन से जुड़े संभावित परिसंपत्ति संक्रमण जोखिम उत्पन्न करते हैं।
        • संक्रमण (Contagion) का अर्थ है कि आर्थिक संकट का एक बाज़ार या क्षेत्र से दूसरे में फैलना और यह घरेलू या अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर हो सकता है।
      • जोखिम मुख्य रूप से संपार्श्विक स्टेबलकॉइन से जुड़े होते हैं जो आकार, तरलता और उनकी परिसंपत्ति होल्डिंग्स के जोखिम के साथ-साथ ऑपरेटर की पारदर्शिता तथा शासन के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
    • वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम:
      • स्टेबलकॉइन में वित्तीय सेवाओं के प्रावधान की दक्षता बढ़ाने की क्षमता है, अगर उन्हें एक महत्त्वपूर्ण पैमाने पर अपनाया जाता है तो ये वित्तीय स्थिरता के समक्ष जोखिम भी उत्पन्न कर सकते हैं।
    • उत्तरदायित्व की कमी:
      • इनमें पारदर्शिता का अभाव होता है अर्थात् इनका ऑडिट सभी के द्वारा नहीं किया जा सकता है और इनका संचालन गैर-बैंक वित्तीय मध्यस्थों की तरह होता है जो पारंपरिक वाणिज्यिक बैंकों के समान सेवाएंँ प्रदान करते हैं, लेकिन सामान्य बैंकिंग विनियमन के बाहर।
    • नियामक चुनौती:
      • विविध अर्थव्यवस्थाओं, क्षेत्राधिकारों, कानूनी प्रणालियों व आर्थिक विकास और ज़रूरतों के विभिन्न स्तरों में नियामक प्रयासों का अंतर्राष्ट्रीय समन्वय इनके नियमन में एक और चुनौती है।
      • वैश्विक स्तर पर स्टेबलकॉइन के लिये अभी तक एक समान नियामक दृष्टिकोण नहीं है। 

आगे की राह 

  • स्टेबलकॉइन की एक समान श्रेणी नहीं होती है लेकिन फिर भी ये विभिन्न क्रिप्टो उपकरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो कानूनी, तकनीकी, कार्यात्मक और आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रूप से भिन्न हो सकते हैं।
  • इसलिये जोखिमों को सीमित करने और नवाचारों को सुलभ माहौल प्रदान करने हेतु, स्टेबलकॉइन मुद्रा उद्योग को नियामकों के साथ मिलकर एक ढांँचा तैयार करना चाहिये जो इस नवजात उद्योग को अतिविनियमन (Overregulation) से बचाने में मदद कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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