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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

श्रीनिवास रामानुजन

  • 22 Dec 2020
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

प्रतिवर्ष महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती (22 दिसंबर)को राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) के रूप में मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु

रामानुजन के बारे में

Srinivasa-Ramanujan

  • श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को तमिलनाडु के इरोड (मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था और  26 अप्रैल, 1920 को मात्र 32 वर्ष की आयु में तमिलनाडु के कुंभकोणम में उनकी मृत्यु हुई थी।
  • रामानुजन ने काफी कम उम्र में ही गणित का कौशल हासिल कर लिया था, मात्र 12 वर्ष की आयु में उन्होंने त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी।
  • वर्ष 1903 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय की एक छात्रवृत्ति प्राप्त की, किंतु अगले ही वर्ष यह छात्रवृत्ति वापस ले ली गई, क्योंकि वे गणित की तुलना में किसी अन्य विषय पर अधिक ध्यान नहीं दे रहे थे।
  • वर्ष 1913 में उन्होंने ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच. हार्डी के साथ पत्र-व्यवहार शुरू किया, जिसके बाद वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज़ चले गए।
  • वर्ष 1918 में लंदन की रॉयल सोसाइटी के लिये उनका चयन हुआ।
  • रामानुजन ब्रिटेन की रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थे और कैम्ब्रिज़ विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुने जाने वाले पहले भारतीय थे।

गणित में योगदान

  • सूत्र और समीकरण
    • रामानुजन ने अपने 32 वर्ष के अल्प जीवनकाल में लगभग 3,900 परिणामों (समीकरणों और सर्वसमिकाओं) का संकलन किया है। उनके सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में पाई (Pi) की अनंत श्रेणी शामिल थी।
    • उन्होंने पाई के अंकों की गणना करने के लिये कई सूत्र प्रदान किये जो परंपरागत तरीकों से अलग थे।
  • खेल सिद्धांत
    • उन्होंने कई चुनौतीपूर्ण गणितीय समस्याओं को हल करने के लिये नवीन विचार प्रस्तुत किये, जिन्होंने खेल सिद्धांत के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • खेल सिद्धांत में उनका योगदान विशुद्ध रूप से अंतर्ज्ञान पर आधारित है और इसे अभी तक गणित के क्षेत्र में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।
  • रामानुजन की पुस्तकें
    • वर्ष 1976 में जॉर्ज एंड्रयूज ने ट्रिनिटी कॉलेज की लाइब्रेरी में रामानुजन की एक नोटबुक की खोज की थी। बाद में इस नोटबुक को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया था।
  • रामानुजन नंबर
    • गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या यानी 1729 को माना जाता है।
    • यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है। 
      • 1729, 10 और 9 के घनों का योग है- 10 का घन है 1000 और 9 का घन है 927 और इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है। 
      • 1729, 12 और 1 के घनों का योग भी है- 12 का घन है 1728 और 1 का घन है 1 और इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।
  • अन्य योगदान: रामानुजन के अन्य उल्लेखनीय योगदानों में हाइपर जियोमेट्रिक सीरीज़, रीमान सीरीज़, एलिप्टिक इंटीग्रल, माॅक थीटा फंक्शन और डाइवर्जेंट सीरीज़ का सिद्धांत आदि शामिल हैं।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

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