पेगासस स्पाइवेयर | 01 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये :
पेगासस स्पाइवेयर
मेन्स के लिये :
साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकप्रिय मेसेजिंग प्लेटफोर्म व्हाट्सएप ने दावा किया कि इज़राइली स्पाइवेयर, पेगासस (Pegasus) द्वारा विश्व भर के लगभग 20 देशों में व्हाट्सएप प्रयोगकर्त्ताओं की गोपनीयता और व्यक्तिगत सूचनाओं की जासूसी की गई।
प्रमुख बिंदु:
- रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भी इस स्पाइवेयर द्वारा पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं को निशाना बनाया गया।
- गौरतलब है की व्हाट्सएप ने पेगासस स्पाइवेयर विकसित करने वाली कंपनी एन.एस.ओ ग्रुप (NSO Group) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय न्यायालय में मुकदमा दायर किया है।
- रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पाइवेयर विश्व भर में लगभग 1400 मोबाइल उपकरणों पर भेजा गया।
- जिसमे विश्व भर के कम-से-कम 100 मानवाधिकार कार्यकर्त्ता, पत्रकार और सिविल सोसाइटी के सदस्य शामिल हैं।
पेगासस स्पाइवेयर क्या है?
- पेगासस एक स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जिसे इजराइली साइबर सुरक्षा कंपनी NSO द्वारा विकसित किया गया है।
- पेगासस स्पाइवेयर ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जो उपयोगकर्त्ताओं के मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियाँ को नुकसान पहुँचाता है।
- इस तरह की जासूसी के लिये पेगासस ऑपरेटर एक खास लिंक उपयोगकर्त्ताओं के पास भेजता है, जिस पर क्लिक करते ही यह स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर उपयोगकर्त्ता की स्वीकृति के बिना स्वयं ही इंस्टाल हो जाता है।
- इस स्पाइवेयर के नए संस्करण में लिंक की भी आवश्यकता नहीं होती सिर्फ एक मिस्ड विडियो काल के द्वारा ही इंस्टाल हो जाता है। पेगासस स्पाइवेयर इंस्टाल होने के बाद पेगासस ऑपरेटर को फोन से जुडी सारी जानकारियाँ प्राप्त हो जाती हैं।
- पेगासस स्पाइवेयर की प्रमुख विशेषता ये है कि यह पासवर्ड द्वारा रक्षित उपकरणों को भी निशाना बना सकता है और यह मोबाइल के रोमिंग में होने पर डाटा नहीं भेजता।
- पेगासस मोबाइल में संगृहीत सूचनाएँ, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे कम्युनिकेशन एप्स के संदेश स्पाइवेयर ऑपरेटर को भेज सकता है।
- यह स्पाइवेयर, उपकरण की कुल मेमोरी का 5% से भी कम प्रयोग करता है, जिससे प्रयोगकर्त्ता को इसके होने का आभास भी नहीं होता।
- पेगासस स्पाइवेयर ब्लैकबेरी, एंड्रॉयड, आईओएस (आईफोन) और सिंबियन-आधारित उपकरणों को प्रभावित कर सकता है।
- पेगासस स्पाइवेयर ऑपरेशन पर पहली रिपोर्ट 2016 में सामने आई, जब संयुक्त अरब अमीरात में एक मानवाधिकार कार्यकर्त्ता को उनके आईफोन 6 पर एक एसएमएस लिंक के साथ निशाना बनाया गया था।