SPIT SEQ | 12 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मेडिटेनोम लैब्स द्वारा SPIT SEQ नामक परीक्षण प्रणाली विकसित की गई है जो तपेदिक के बैक्टीरिया में मौजूद हर उत्परिवर्तन का विस्तृत विश्लेषण करेगी।
प्रमुख बिंदु:
- भारत में तपेदिक की मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंस (Multi-Drug Resistant) की संख्या विश्व में सबसे ज़्यादा है।
- इस परीक्षण के माध्यम से डॉक्टरों को तपेदिक के रोगी के लिये सटीक दवा चुनने में कम समय लगेगा जबकि आमतौर पर इस प्रक्रिया में एक महीने का समय लगता है।
- यह परीक्षण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium Tuberculosis) के पूरे जीनोम अनुक्रमण पर आधारित है, यह अनुक्रमण बैक्टीरिया के कारण जारी रहता है।
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस
(Mycobacterium Tuberculosis)
- माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस रोग पैदा करने वाला एक बैक्टीरिया है, इससे तपेदिक या क्षय रोग (T.B.) होता है।
- वर्ष 1882 में इसकी खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट कोच ने की थी।
- यह एक खतरनाक बैक्टीरिया है, जो स्तनधारी जीवों के फेफड़ों को प्रभावित करता है।
- जीनोम परियोजना के अंतर्गत वर्ष 1998 में इसके जीनोम अनुक्रम का पता लगा था।
- यह परीक्षण बैक्टीरिया के जीनोम उत्परिवर्तन का आकलन करने में डॉक्टर की सहायता करता है जिससे तपेदिक के रोगियों को ज़्यादा सटीक दवाएँ उपलब्ध कराई जा सकती है।
- प्रत्यक्ष संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing) 10 दिनों में सभी तपेदिक प्रतिरोधी दवाओं के उत्परिवर्तन की समीक्षा करता है।
जीनोम अनुक्रमण
(Genome Sequencing)
- जीनोम अनुक्रमण (Genome Sequencing) के तहत DNA अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
- इसके अंतर्गत DNA में मौजूद चारों तत्त्वों- एडनीन (A), ग्वानीन (G), साइटोसीन (C) और थायमीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है।
- DNA अनुक्रमण विधि से लोगों की बीमारियों का पता लगाकर उनका समय पर इलाज करना और साथ ही आने वाली पीढ़ी को रोगमुक्त करना संभव है।
- WHO की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में 2.7 मिलियन तपेदिक के मामले ज्ञात थे।
- सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि कुल वैश्विक स्तर में से भारत में तपेदिक से 27% मौतें होती हैं।
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस धीमी गति से बढ़ता है, इससे इसके स्पष्टीकरण में 6-8 सप्ताह का समय लग जाता है और टीबी निदान के साथ ही दवा प्रतिरोध परीक्षण में भी देरी हो जाती है। SPIT SEQ परीक्षण के माध्यम से 10 दिनों के अंदर परीक्षण करके तपेदिक रोगियों का बेहतर इलाज किया जा सकेगा।