शासन व्यवस्था
दूसरे राज्यों के लिये विशेष उपबंध
- 14 Aug 2019
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चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने संविधान के माध्यम से जम्मू और कश्मीर के विशेष राज्य के दर्ज़े को समाप्त कर दिया है। हालाँकि 11 अन्य राज्यों के लिये ‘विशेष उपबंधों’ की एक शृंखला संविधान का हिस्सा बनी हुई है।
संविधान का भाग XXI
- यह भाग 'अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबंध' वाले अनुच्छेद 370 (जम्मू और कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी प्रावधान) के अलावा, अनुच्छेद 371, 371A, 371B, 371C, 371D, 371E, 371F, 371G, 371H, 371J को शामिल करता है।
- यह भारतीय संघ के अन्य राज्यों के संबंध में विशेष उपबंधों को परिभाषित करता है।
विशेष उपबंध लेकिन विशेष उपचार नहीं
- ये सभी उपबंध अलग-अलग राज्यों की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं तथा विशिष्ट सुरक्षा उपायों की एक विस्तृत शृंखला पर आधारित हैं जिन्हें इन राज्यों के लिये महत्त्वपूर्ण समझा जाता है।
- 371 से 371J अनुच्छेदों की इस शृंखला में अनुच्छेद 371I जो गोवा से संबंधित है, इसका आधार यह है कि इसमें ऐसा कोई उपबंध नहीं है जिसे ‘विशेष’ कहा जा सके।
- अनुच्छेद 371E, जो आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से संबंधित है, भी ‘विशेष’ नहीं है।
- अनुच्छेद 370 में संशोधन से पूर्व जो विशेष उपबंध थे, स्पष्टतया वे अनुच्छेद 371, 371A से 371H तथा 371J में वर्णित अन्य राज्यों के विशेष उपबंधों की तुलना में बहुत अधिक थे।
जम्मू और कश्मीर के अलावा संविधान द्वारा अन्य राज्यों को निम्नलिखित विशेष प्रावधानों की गारंटी दी गई है:
महाराष्ट्र और गुजरात (Article 371)
राज्यपाल का विशेष उत्तरदायित्व है-
- विदर्भ, मराठवाड़ा और शेष महाराष्ट्र तथा गुजरात में सौराष्ट्र एवं कच्छ के लिये ‘पृथक् विकास बोर्ड’ स्थापित करना।
- उक्त क्षेत्रों में विकासात्मक व्यय के लिये धन का समान आवंटन और राज्य सरकार के तहत तकनीकी शिक्षा तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण हेतु पर्याप्त सुविधाएँ एवं रोज़गार के पर्याप्त अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से समान व्यवस्था सुनिश्चित करना।
नगालैंड (Article 371B, 13th Amendment Act, 1962)
- नगा धर्म या सामाजिक प्रथाओं, नगा प्रथागत कानून एवं प्रक्रिया, नगा प्रथागत कानून के अनुसार दीवानी और आपराधिक न्यायिक प्रशासन के निर्णयों के मामलों में संसद कानून नहीं बना सकती है।
- संसद राज्य विधानसभा की सहमति के बिना भूमि और संसाधनों के स्वामित्व और हस्तांतरण में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- वर्ष 1960 में केंद्र और नगा पीपुल्स कन्वेंशन के मध्य 16 बिंदुओं के समझौते के बाद संविधान में यह प्रावधान किया गया था जिसके फलस्वरूप वर्ष 1963 में नगालैंड का निर्माण हुआ।
- इसमें त्वेनसांग (Tuensang) ज़िले के लिये 35 सदस्यीय एक क्षेत्रीय परिषद की स्थापना का प्रावधान था जो विधानसभा में त्वेनसांग सदस्यों का चयन करेगी।
- त्वेनसांग ज़िले का एक सदस्य त्वेंनसांग मामलों का मंत्री होता है। त्वेनसांग ज़िले के संबंध में अंतिम निर्णय राज्यपाल अपने विवेकानुसार ही लेगा।
असम (Article 371B, 22nd Amendment Act, 1969)
- इसके अंतर्गत भारत का राष्ट्रपति राज्य विधानसभा के जनजातीय क्षेत्रों से चुने गए सदस्यों से या ऐसे सदस्यों से जिन्हें वह उचित समझता है, एक समिति का गठन कर सकता है।
मणिपुर (Article 371C, 27th Amendment Act, 1971)
- राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि यदि वह चाहे तो राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों से मणिपुर विधानसभा के लिये चुने गए सदस्यों से एक समिति का गठन कर सकता है एवं इस समिति का उचित संचालन सुनिश्चित करने हेतु राज्यपाल को विशेष उत्तरदायित्व सौंप सकता है।
- राज्यपाल, राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में प्रतिवर्ष राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना (अनुच्छेद 371-D, 32वाँ संशोधन अधिनियम, 1973 के स्थान पर आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014)।
- राष्ट्रपति को राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के लिये शिक्षा एवं रोज़गार के समान अवसर सुनिश्चित करने होंगे।
- राष्ट्रपति को राज्य सरकार के सहयोग की आवश्यकता होती है, जिससे राज्य के विभिन्न भागों में स्थानीय काडर के लिये लोक सेवाओं को संगठित किया जा सके तथा किसी भी स्थानीय काडर में आवश्यकतानुसार सीधी भर्ती की जा सके।
- किसी भी शैक्षिक संस्थान में राज्य के किस भाग के छात्रों को प्रवेश में वरीयता दी जाएगी, यह निर्धारित करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।
- राष्ट्रपति, राज्य में सिविल सेवा के पदों पर कार्यरत अधिकारियों की शिकायतों एवं विवादों के निपटान हेतु विशेष प्रशासनिक अधिकरण की स्थापना कर सकता है। यह अधिकरण लोक सेवाओं में भर्ती, आवंटन, पदोन्नति आदि से संबंधित शिकायतों एवं विवादों की सुनवाई करेगा।
- अनुच्छेद 371E संसद को आंध्र प्रदेश राज्य में केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना करने का अधिकार देता है लेकिन वास्तव में यह संविधान के इस भाग में अन्य उपबंधों के अर्थ में एक 'विशेष उपबंध' नहीं है।
सिक्किम (Article 371F, 36th Amendment Act, 1975)
- सिक्किम विधानसभा के सदस्य लोकसभा में सिक्किम के प्रतिनिधियों का चयन करेंगे।
- सिक्किम की जनसंख्या के विभिन्न अनुभागों के अधिकार एवं हितों की रक्षा के लिये संसद को यह अधिकार दिया गया है कि सिक्किम विधानसभा में कुछ सीटें इन्हीं अनुभागों से आने वाले व्यक्तियों द्वारा भरी जाएँ, ऐसा प्रावधान कर सके।
- राज्य के राज्यपाल का विशेष दायित्व है कि वह सिक्किम में शांति स्थापित करने की व्यवस्था करे तथा राज्य की जनसंख्या के समान सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिये संसाधनों एवं अवसरों का उचित आवंटन सुनिश्चित करे।
- पूर्व के सभी कानून जिनसे सिक्किम का गठन हुआ, जारी रहेंगे और किसी भी अदालत में किसी भी रूपांतरण या संशोधन के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।
मिज़ोरम (Article 371G, 53rd Amendment Act, 1986)
- इस प्रावधान के अनुसार, संसद ‘मिज़ो’, मिज़ो प्रथागत कानून और प्रक्रिया, धार्मिक एवं सामाजिक न्याय के कानून, मिज़ो प्रथागत कानून के अनुसार दीवानी और आपराधिक न्यायिक प्रशासन के निर्णयों के मामलों में, भूमि के स्वामित्व एवं हस्तांतरण संबंधी मुद्दों पर कानून नहीं बना सकती जब तक कि राज्य विधानसभा ऐसा करने हेतु प्रस्ताव न दे।
अरुणाचल प्रदेश (Article 371H, 55th Amendment Act, 1986)
- अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल पर राज्य में कानून एवं व्यवस्था सुनिश्चित करने का विशेष दायित्व है। अपने इस दायित्व का निर्वहन करने में राज्यपाल, राज्य मंत्री परिषद से परामर्श कर व्यक्तिगत निर्णय ले सकता है तथा उसका निर्णय ही अंतिम निर्णय माना जाएगा और इसके प्रति वह जवाबदेह नहीं होगा।
कर्नाटक (Article 371J, 98th Amendment Act, 2012)
- हैदरबाद-कर्नाटक क्षेत्र हेतु पृथक् विकास बोर्ड की स्थापना करने का प्रावधान है, जिसकी कार्यप्रणाली से संबंधित रिपोर्ट प्रतिवर्ष राज्य विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।
- उक्त क्षेत्रों में विकासात्मक व्यय हेतु समान मात्रा में धन आवंटित किया जाएगा और सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में इस क्षेत्र के लोगों को समान अवसर तथा सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
- हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में नौकरियों और शैक्षिक एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों तथा राज्य सरकार के संगठनों में संबंधित व्यक्तियों के लिये जो जन्म या मूल-निवास के संदर्भ में उस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, आनुपातिक आधार पर सीटें आरक्षित करने हेतु एक आदेश दिया जा सकता है।