लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

जैव विविधता और पर्यावरण

संप्रभु ग्रीन बॉण्ड

  • 08 Feb 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संप्रभु ग्रीन बॉण्ड की विशेषताएँ, बजट 2022 में प्रमुख घोषणाएँ।

मेन्स के लिये:

वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन, संप्रभु ग्रीन बॉण्ड।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बजट 2022 में वित्त मंत्री ने हरित बुनियादी ढाँचे के लिये संसाधन जुटाने हेतु संप्रभु ग्रीन बॉण्ड जारी करने का प्रस्ताव किया है।

  • इसके माध्यम से प्राप्त आय को सार्वजनिक क्षेत्र की ऐसी परियोजनाओं में निवेश किया जाएगा, जो अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को कम करने में मदद करती हैं।
  • यह घोषणा वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।

ग्रीन बॉण्ड क्या हैं?

  • ग्रीन बॉण्ड विभिन्न कंपनियों, देशों एवं बहुपक्षीय संगठनों द्वारा विशेष रूप से सकारात्मक पर्यावरणीय या जलवायु लाभ वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करने हेतु जारी किये जाते हैं और निवेशकों को निश्चित आय भुगतान प्रदान करते हैं।
  • इन परियोजनाओं में नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ परिवहन एवं हरित भवन आदि शामिल हो सकते हैं।
  • ग्रीन बॉण्ड के माध्यम से प्राप्त आय को हरित परियोजनाओं के लिये प्रयोग किया जाता है। यह अन्य मानक बॉण्डों के विपरीत है, जिसकी आय जारीकर्त्ता के विवेक पर विभिन्न उद्देश्यों हेतु उपयोग की जा सकती है।
  • वर्ष 2007 में इस बाज़ार की स्थापना के बाद से अंतर्राष्ट्रीय हरित बॉण्ड बाज़ार में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का संचयी निर्गमन हुआ है।
  • लंदन स्थित ‘क्लाइमेट बॉण्ड्स इनिशिएटिव’ के अनुसार, वर्ष 2020 के अंत तक 24 राष्ट्रीय सरकारों ने कुल मिलाकर 111 बिलियन डॉलर के संप्रभु ग्रीन, सोशल और सस्टेनेबिलिटी बॉण्ड जारी किये थे।

ग्रीन बॉण्ड हेतु सॉवरेन गारंटी का क्या महत्त्व है?

  • सॉवरेन ग्रीन निर्गम सरकारों एवं नियामकों को जलवायु कार्रवाई और सतत् विकास के इरादे का एक शक्तिशाली संकेत भेजता है।
  • यह घरेलू बाज़ार के विकास को उत्प्रेरित तथा संस्थागत निवेशकों को प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
  • यह स्थानीय जारीकर्त्ताओं के लिये बेंचमार्क मूल्य निर्धारण, तरलता और एक प्रदर्शन प्रभाव प्रदान करेगा, जिससे स्थानीय बाज़ार के विकास का समर्थन करने में मदद मिलेगी।
  • विश्व ऊर्जा आउटलुक रिपोर्ट 2021 का अनुमान है कि उभरती/विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में नेट ज़ीरो तक पहुँचने के लिये अतिरिक्त 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का 70% खर्च करने की आवश्यकता है, सॉवरेन जारी करने से पूंजी के इन बड़े प्रवाहों को शुरू करने में मदद मिल सकती है।

बजट में घोषित जलवायु कार्रवाई पर अन्य उपाय क्या हैं?

  • बजट में जलवायु कार्रवाई पर कई उपाय शामिल थे, जैसे:
    • बैटरी स्वैपिंग नीति।
    • उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के निर्माण के लिये पीएलआई योजना के तहत अतिरिक्त आवंटन।
    • सरकार एक नया विधेयक पेश कर रही है जिसका उद्देश्य भारत में कार्बन बाज़ार के लिये एक नियामक ढाँचा प्रदान करना है ताकि ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।

आगे की राह 

  • फ्रांँसीसी मॉडल का अनुसरण: भारत, फ्रांँस के उदाहरण का अनुसरण कर सकता है, जिसमें बजट प्रक्रिया हेतु प्रत्येक बजट लाइन के लिये एक हरे रंग का गुणांक प्रदान किया जाता है, जिसके अनुसार बजट व्यय का निर्धारण छह पर्यावरणीय प्राथमिकताओं- जलवायु परिवर्तन शमन, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन, जल प्रबंधन, परिपत्र अर्थव्यवस्था, प्रदूषण, और यूरोपीय संघ की जैव विविधता के सापेक्ष हरे  गुणांक के आधार पर किया जाता है।
  • सामंजस्यपूर्ण मानक: एक मज़बूत ग्रीन बॉण्ड  बाज़ार विकसित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू दिशा-निर्देशों व मानकों में सामंजस्य स्थापित करना सबसे महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक है।
    • हरित निवेश का गठन करने के संदर्भ में एकरूपता की भी आवश्यकता होती है, क्योंकि विभिन्न टैक्सोनॉमी एक सीमा पार ग्रीन बॉण्ड बाज़ार का विरोध करेंगे।
  • निजी क्षेत्र से लाभ प्राप्त करना: उभरते बाज़ारों में जारीकर्त्ताओं को ग्रीन बॉण्ड से संबंधित लाभों और प्रक्रियाओं द्वारा ज्ञान प्राप्त कर उपयुक्त क्षमता निर्माण प्रयासों से बाज़ार में प्रवेश हेतु संस्थागत बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी।

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2