सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड योजना | 31 Jul 2017
संदर्भ
सरकार ने हाल ही में अपने सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड योजना को और आकर्षक बनाने के लिये इसमें कुछ बदलाव की घोषणा की है। इससे लक्ष्य के अनुसार वित्त जुटाया जा सकेगा और सोने के आयात के कारण होने वाले आर्थिक दबाव को कम किया जा सकेगा।
सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड योजना क्या है ?
- सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड योजना की शुरुआत नवंबर 2015 को की गई थी।
- इस योजना के तहत कम से कम एक ग्राम सोना और अधिक से अधिक पाँच सौ ग्राम सोने के वज़न के मूल्य के बराबर बॉन्ड ख़रीदे जा सकते हैं। इसकी मियाद आठ वर्ष है। इसमें ब्याज की दर 2.5 प्रतिशत है।
इसका उद्देश्य
- इसका उद्देश्य देश के मंदिरों तथा घरों में जमा सोने की विशाल मात्रा को उत्पादक कार्यों में लगाना, सोने का आयात कम करना, विदेशी मुद्रा का संरक्षण करना तथा चालू खाता घाटे को कम करना है।
नया बदलाव
- इस योजना को और अधिक आकर्षक बनाने तथा समृद्ध व्यक्तियों, अमीर किसानों और ट्रस्ट को प्रोत्साहित करने के लिये नए बदलाव में वार्षिक निवेश की व्यक्तिगत सीमा को पाँच सौ ग्राम प्रति व्यक्ति से बढ़ाकर चार किलोग्राम कर दी गई है।
- ट्रस्ट के लिये यह सीमा बीस किलोग्राम तक कर दिया गया है। यह सीमा वित्त वर्ष के आधार पर होगी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय मंत्रिपरिषद् ने वित्त मंत्रालय को विभिन्न ब्याज दरों के साथ इन बांडों को लागू करने की मंज़ूरी दे दी है।
- कैबिनेट के इन बदलावों के बाद अब संयुक्त हिंदू परिवार भी 4 किलोग्राम तक सोना खरीद सकेंगे।
- निवेश की इस सीमा में बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों के पास गिरवी रखे बॉन्ड शामिल नहीं होंगे।
सोने में ही निवेश क्यों ?
- इसका मूल कारण यह है कि अधिकांश भारतीय सोने को समय की कसौटी पर खरा और सुरक्षित परिसंपत्ति मानते हैं तथा निवेश के अन्य विकल्पों की तुलना में इस पर अधिक भरोसा करते हैं।
अब तक सीमित सफलता
- सॉवरेन स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) योजना ने अब तक केवल सीमित सफलता हासिल की है। इसका मुख्य कारण बुलियन की अंतर्राष्ट्रीय कीमत के मुकाबले इसका अवास्तविक मूल्य निर्धारण पैटर्न है ।
- बुलियन की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक तनाव, यू.एस. संघीय दर और डॉलर के उतार-चढ़ाव के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। वे 5-10% प्रति वर्ष की कीमत बैंड में आगे बढ़ती हैं।
- पिछली एसजीबी की कीमतें 3,150 रूपए प्रति ग्राम से लेकर 2,750 रूपए प्रति ग्राम के बीच रही, जो अक्सर बाज़ार दर की वास्तविकताओं के अनुकूल नहीं थी, जिसके कारण एसजीबी उपभोक्ताओं को अपने निवेश पर 2.5% लाभ अर्जित करने के बावजूद भी पैसा खोना पड़ा।
- एसजीबी का मूल्य आदर्श रूप से एसजीबी की जारी तिथि से पहले की 60 दिन की अवधि के बुलियन मूल्य का औसत होना चाहिये।