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भारतीय राजव्यवस्था

इंटीग्रिटी पैक्ट

  • 26 Oct 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय सतर्कता आयोग, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988

मेन्स के लिये: 

सरकारी संगठनों में पारदर्शिता एवं जबावदेहिता सुनिश्चित करने में संदर्भ में संशोधन का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission-CVC) ने सरकारी संगठनों में खरीद गतिविधियों के लिये ‘इंटीग्रिटी पैक्ट/समझौता ’(Integrity Pact) अपनाने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SOP) में संशोधन किया है। 

प्रमुख बिंदु:

  • नवीनतम आदेश जनवरी 2017 में जारी की गई मानक संचालन प्रक्रिया को संशोधित करता है।
  • CVC द्वारा एक संगठन में इंटीग्रिटी एक्सटर्नल मॉनीटर्स (Integrity External Monitors- IEMs) के कार्यकाल को अधिकतम तीन वर्ष तक के लिये सीमित किया गया है।

इंटीग्रिटी पैक्ट:

  • इंटीग्रिटी पैक्ट एक प्रकार का सतर्कता उपकरण है, यह भावी विक्रेताओं/ बोलीदाताओं एवं खरीदार के मध्य एक समझौते की परिकल्पना प्रस्तुत करता है जो अनुबंध के किसी भी पहलू पर भ्रष्ट प्रभाव का प्रयोग रोकने के लिये दोनों पक्षों को प्रतिबद्ध करता है।
    • यह पैक्ट/समझौता सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता, इक्विटी और प्रतिस्पर्द्धा को सुनिश्चित करता है। 

इंटीग्रिटी एक्सटर्नल मॉनीटर्स:

  • इंटीग्रिटी एक्सटर्नल मॉनीटर्स (Integrity External Monitors-IEM) द्वारा स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से दस्तावेज़ों की समीक्षा की जाती है, साथ ही इस बात का निर्धारण किया जाता है कि पार्टियों ने समझौते के तहत अपने दायित्वों का पालन सही से किया है या नहीं।
  • अगर IEM को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के तहत गंभीर अनियमितताएँ देखने को मिलती हैं, तो वे संबंधित संगठन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी या सीधे मुख्य सतर्कता अधिकारी (Chief Vigilance Officer- CVO) और CVC को इससे संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं। 

IEM की प्राथमिकता:

  • संशोधित प्रावधान: संशोधित प्रावधान के तहत IEM का विकल्प सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (Public Sector Undertakings- PSU) के अधिकारियों तक ही सीमित होगा जो सचिव स्तर से केंद्र सरकार के पदों से सेवानिवृत्त हुए हैं या जिनका वेतनमान समान हैं।
    • PSUs के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (Chairman and Managing Directors (CMDs) पद के लिये सेवानिवृत्त अधिकारियों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में अनुसूची 'ए' कंपनियों तथा प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी स्तर के अधिकारी और कम-से-कम अतिरिक्त सचिव स्तर या इसके समकक्ष अधिकारी नियुक्ति के पात्र होंगे।
    • सशस्त्र बलों के अधिकारी जो जनरल के समकक्ष रैंक से सेवानिवृत्त हुए हों , की नियुक्ति पर भी विचार किया जा सकता है।
    • उन व्यक्तियों को वरीयता दी जाएगी जिन्होंने किसी अन्य क्षेत्र में कार्य किया हो या किसी संगठन में मुख्य सतर्कता अधिकारी (Chief Vigilance Officer-CVO) के रूप में कार्यरत रहे हों।
  • पूर्व प्रावधान: वर्ष 2017 के आदेश के तहत वे अधिकारी जो केंद्र सरकार के अतिरिक्त सचिव स्तर पर या इससे ऊपर के स्तर या समकक्ष वेतनमान से सेवानिवृत्त हुए हों, वे सार्वजनिक उपक्रमों, अनुसूची 'ए' कंपनियों, पीएसबी, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में बोर्ड स्तर के अधिकारी पद के लिये पात्र थे। 
    • सशस्त्र बलों के अधिकारी जो लेफ्टिनेंट-जनरल और उससे ऊपर के पद से सेवानिवृत्त हुए हों, उनकी नियुक्ति पर भी विचार किया जा सकता था।

IEM के रूप में नियुक्ति:

  • संशोधित प्रावधान के तहत IEM के रूप में नियुक्ति के लिये संबंधित मंत्रालय, विभाग या संगठन को CVC के लिये उपयुक्त व्यक्तियों के पैनल को अग्रेषित करना होगा।
  • पूर्व प्रावधान: वर्ष 2017 के आदेश के अनुसार, CVC द्वारा बनाए गए पैनल में पहले से ही नियुक्त लोग शामिल हो सकते हैं या वे अन्य उचित व्यक्तियों के नामों का प्रस्ताव प्रस्तुत कर सकते हैं।
  • कार्यकाल:
    • संशोधित प्रावधान के अनुसार, IEM को किसी संगठन में तीन साल की अवधि के लिये नियुक्त किया जाएगा।
    • पूर्व प्रावधान: वर्ष 2017 के आदेश के अनुसार IEM का प्रारंभिक कार्यकाल तीन वर्ष के लिये था जिसे संबंधित संगठन से CVC द्वारा प्राप्त अनुरोध पर दो वर्ष के दूसरे कार्यकाल के लिये बढ़ाया जा सकता था।

केंद्रीय सतर्कता आयोग:

  • CVC एक सर्वोच्च सतर्कता संस्थान है, जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकरण से मुक्त है
  • यह केंद्र सरकार के अधीन सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी के अलावा केंद्र सरकार के संगठनों में विभिन्न अधिकारियों को योजना बनाने, क्रियान्वयन, समीक्षा करने और उनके सतर्कता कार्यों में सुधार करने से संबंधित सलाह प्रदान करता है।
    •  यह एक स्वतंत्र निकाय है जिसकी जबावदेहिता केवल संसद के प्रति है।
  • इसकी स्थापना फरवरी 1964 में के. संथानम (K. Santhanam) की अध्यक्षता में गठित भ्रष्टाचार निरोधक समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
  • संसद द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 (CVC Act) को CVC पर वैधानिक स्थिति प्रदान करते हुए अधिनियमित किया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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