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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ताइवान और सोलोमन द्वीपसमूह

  • 17 Sep 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सोलोमन द्वीपसमूह ने ताइवान (Taiwan) के साथ अपने राजनीतिक संबंधों की समाप्ति की घोषणा की, साथ ही अब वह चीन के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित करेगा।

प्रमुख बिंदु:

  • अब विश्व भर में केवल 16 देश ही ताइवान को एक देश के रूप में मान्यता प्रदान कर रहे हैं, जिसमें से प्रशांत महासागर के पाँच छोटे द्वीपीय देश शामिल हैं। भारत ताइवान को अलग देश के रूप में मान्यता नही प्रदान करता है।
  • मार्शल आइलैंड्स (Marshall Islands) और पलाऊ (Palau) के अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध हैं तथा उनके द्वारा ताइवान को मान्यता देते रहने की संभावना बनी हुई है, वहीं विश्लेषकों के अनुसार नौरू (Nauru), किरिबाती (Kiribati) एवं तुवालु (Tuvalu) देशों द्वारा जल्द ही ताइवान को दी गई मान्यता रद्द करने की संभावना बढ़ गई है।
  • चीन ने सोलोमन द्वीपसमूह द्वारा एक चीन सिद्धांत (One China Principle) को मान्यता देने के फैसले की सराहना की गई है।
  • 660,000 की जनसंख्या के साथ सोलोमन द्वीपसमूह प्रशांत क्षेत्र में ताइवान का सबसे बड़ा राजनीतिक सहयोगी था।
  • इस देश की अर्थव्यवस्था कृषि, मछलीपालन और वानिकी पर निर्भर करती है तथा इस देश में अविकसित खनिज संसाधन मौज़ूद हैं।
  • सोलोमन द्वीपसमूह ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच स्थित है जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध स्थल था। इसकी राजधानी होनियारा (Honiara) है।

एक चीन सिद्धांत (One China Principle):

  • एक चीन सिद्धांत के अनुसार ताइवान, चीन का ही भाग है यदि कोई देश ताइवान के साथ राजनीतिक संबंध बनाता है तो उसे चीन के साथ राजनीतिक संबंध समाप्त करने होंगे।
  • इस सिद्धांत के तहत अधिकांश देशों के औपचारिक संबंध ताइवान के बजाय चीन के साथ हैं। चीन, ताइवान को अपना एक अलग प्रदेश मानता है, इसलिये संभावना व्यक्त करता है कि एक दिन ताइवान का चीन में विलय हो जाएगा।
  • ताइवान की सरकार का यह मानना है कि यह एक स्वतंत्र देश है जो औपचारिक रूप से रिपब्लिक ऑफ चाइना (Republic of China) नाम से जाना जाता है, लेकिन एक चीन सिद्धांत के कारण ताइवान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पृथक हो गया है।
  • वर्ष 1949 में चीनी गृहयुद्ध में हार के पश्चात् राष्ट्रवादी पार्टी (Kuomintang- कुओमितांग) द्वारा मुख्य भूमि से अलग ताइवान में च्यांग काई शेक (Chiang Kai-Shek) के नेतृत्व में रिपब्लिक ऑफ चाइना नाम से सरकार की स्थापना की गई थी। इसी समय से चीन में स्थापित पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (Peoples Republic of China) की साम्यवादी सरकार ने इस सिद्धांत की घोषणा की और स्वयं को चीन का वास्तविक प्रतिनिधि बताया।
  • शुरुआत में अमेरिका समेत कई देश साम्यवादी चीन के बजाय ताइवान को प्रमुखता देते रहे लेकिन बदलती भू-राजनीति के फलस्वरूप वर्ष 1970 के बाद सभी देश चीन की सरकार को मान्यता देने लगे।

स्रोत: द हिंदू

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