सौर ऊर्जा स्वदेशी अभिनव उत्‍पादों के माध्यम से रोज़गार को बढ़ावा | 17 Mar 2018

चर्चा में क्यों?

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के सहयोग से भारत सरकार ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत सी महत्त्वपूर्ण पहलों (आर्थिक एवं पर्यावरणीय दृष्टि से) को शुरू किया है।
  • यही कारण है कि सौर ऊर्जा स्वदेशी अनुसंधान और विकास (R&D) के माध्यम से सौर प्रौद्योगिकी आधारित अभिनव उत्‍पादों को विकसित करके करोड़ों वंचित लोगों को रोज़गार प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है।
  • ऐसे ही विकसित सौर उपकरणों में ‘सूर्यज्योति’ (जो एक सूक्ष्म सौर गुंबद है), एक सौर जल शोधक और एक सोलर जैकेट जैसे उपकरण शामिल हैं, जो इस दिशा में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें सौर ऊर्जा का योगदान 100 गीगावाट का होगा।
  • वस्तुतः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग कुछ ऐसी अभिनव वस्तुओं का निर्माण करने के लिये प्रयासरत है जिनमें सौर ऊर्जा का उपयोग होने के साथ-साथ इनकी सहायता से लोग अपने दैनिक जीवन में लाभान्वित भी हो सकें।
  • इस तरह की अभिनव वस्‍तुओं के विकास का उद्देश्‍य जीवन स्‍तर बेहतर करने के साथ-साथ लोगों के खर्चों में कमी लाना है।

क्या है सौर ऊर्जा?

  • सूर्य से प्राप्त शक्ति को सौर ऊर्जा कहते हैं। इस ऊर्जा को ऊष्मा या विद्युत में बदलकर अन्य प्रयोगों में लाया जाता है। सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को प्रयोग में लाने के लिये सोलर पैनलों की आवश्यकता होती है।
  • सोलर पैनलों में सोलर सेल (फोटोवोल्टेइक) होते हैं, जो ऊर्जा को उपयोग करने लायक बनाते हैं।
  • भारतीय भू-भाग पर पाँच हज़ार लाख किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर के बराबर सौर ऊर्जा आती है।
  • साफ धूप वाले दिनों में सौर ऊर्जा का औसत पाँच किलोवाट घंटा प्रति वर्गमीटर होता है।
  • एक मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिये लगभग तीन हेक्टेयर समतल भूमि की ज़रूरत होती है।
  • प्रकाश विद्युत विधि में सौर ऊर्जा को विद्युत में बदलने के लिये फोटोवोल्टेइक सेलों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसके अलावा सौर तापीय विधि में सूर्य की ऊर्जा से हवा या तरल पदार्थों को गर्म किया जाता है और इसका उपयोग घरेलू काम में किया जाता है।

सोलर जैकेट एवं सौर जल शोधक

  • सोलर जैकेट उपकरण दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहकर काम करने वाले रक्षा और वनकर्मियों के लिये बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। 
  • इससे एक केंद्रित प्रकाश का उत्सर्जन होता है, यह ‘पहचान टैग’ को प्रकाशित करती है और इसमें मोबाइल फोन को चार्ज करने की सुविधा भी है।
  • देश की स्‍वच्‍छ ऊर्जा संबंधी ज़रूरतों को ध्‍यान में रखते हुए इन अभि‍नव सौर ऊर्जा उपकरणों को विकसित किया गया है। पाँच सौर जल शोधक भी तैयार किये गए हैं जिनकी सहायता से हर मशीन प्रतिदिन लगभग 400 लीटर जल को परिष्कृत करती है।
  • सौर जल शोधक एक महत्त्वपूर्ण अभिनव वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी उत्‍पाद है जो प्रतिदिन 300-400 लीटर पेयजल सुलभ कराने में समर्थ है। यह जल शोधक विशेषकर गाँवों में अवस्थित स्‍कूलों, प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों और पर्यटक लॉज के लिये उपयोगी है जहाँ पारंपरिक बिजली की आपूर्ति बहुत ही अनियमित है या उपलब्ध नहीं है।
  • वर्तमान में सोलर जैकेट में निम्‍नलिखित सुविधाएँ मौजूद हैं:
    ► बीम सुविधाओं से युक्‍त टॉर्च।
    ► पहचान कोड (प्रकाशित)।
    ► मोबाइल फोन को चार्ज करने की सुविधा।
    ► जीपीएस (स्‍वैच्छिक)।
    ► पॉकेट सोलर फैन (स्‍वैच्छिक)।

सूर्यज्योति – सूक्ष्‍म सौर गुंबद

  • सूक्ष्‍म सौर गुंबद (सूर्यज्योति) डीएसटी द्वारा विकसित किया गया एक अनूठा उपकरण है। इसकी सहायता से देश के करोड़ों झुग्गी निवासियों और आदिवासियों तक रोशनी की पहुँच सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • वर्ष 2016 में इसके अंतर्गत मात्र 30 उपयोगकर्त्ता (यूज़र) ही थे, जबकि वर्तमान में इनकी संख्या बढ़कर 5000 से भी अधिक हो गई है। वर्तमान में काफी संख्या में लोग अपने-अपने घरों को रोशन करने के लिये ‘सूर्यज्योति’ से लाभान्वित हो रहे हैं।
  • सरकार द्वारा वर्ष 2019 तक ‘सूर्यज्योति’ से 1,00,000 घरों को कवर करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।

विशेषताएँ

  • सौर ऊर्जा की बचत शोधित जल के रूप में होती है।
  • इन्‍वर्टर का उपयोग नहीं किया जाता है।
  • कुछ भी प्रदूषण नहीं होता है।
  • अत्‍यंत कम रख-रखाव की आवश्‍यकता पड़ती है।
  • किसी बैटरी की आवश्‍यकता नहीं है।
  • विशेष डीसी-डीसी कन्‍वर्टर का विकास।

सौर ऊर्जा द्वारा संचालित बॉयोमीट्रिक एटीएम 

  • सौर ऊर्जा पर आधारित आगामी अभिनव परियोजनाओं में सौर ऊर्जा द्वारा संचालित बॉयोमीट्रिक एटीएम शामिल है।
  • इस एटीएम को ग्रामीण क्षेत्रों के लिये डिज़ाइन किया जा रहा है जहाँ साक्षरता स्तर पर्याप्त नहीं हैं।
  • बॉयोमीट्रिक आधारित ‘बीएस-एटीएम’ का एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया है जो उपयोगकर्त्ताओं (यूज़र) के अनुकूल है।
  • इस एटीएम में ऊर्जा की कम खपत होती है और यह पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसे संचालित करने के लिये सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। 
  • भारतीय स्टेट बैंक और बंधन बैंक ने अपने दो ग्रामीण बैंकों में यह मशीन लगाने में रुचि दिखाई है।

सरकार का लक्ष्य

  • भारत का लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना है. इसमें 100 गीगावाट सौर ऊर्जा और 75 गीगावाट पवन ऊर्जा होगी। 
  • विगत तीन साल (2014-17) में भारत में सौर ऊर्जा का उत्पादन अपनी स्थापित क्षमता से चार गुना बढ़कर 10 हज़ार मेगावाट के आँकड़े को पार कर गया है।
  • सौर ऊर्जा उत्पादन में सर्वाधिक योगदान रूफटॉप सौर ऊर्जा (40%) और सोलर पार्क (40%) का है। यह देश में बिजली उत्पादन की स्थापित क्षमता का 16 % है।
  • सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर स्थापित क्षमता का 60% करना है। 
  • वर्ष 2035 तक देश में सौर ऊर्जा की मांग सात गुना तक बढ़ने की संभावना है।

सौर ऊर्जा की लागत में लगातार आ रही कमी की वज़ह से अब यह ताप बिजली से मुकाबले की स्थिति में है। यदि भारत में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकेगा तो इससे जीडीपी दर भी बढ़ेगी और भारत सुपर पावर बनने की राह पर भी आगे बढ़ सकेगा। वर्ष 2040 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ सकता है। भविष्य की इस मांग को सौर ऊर्जा से पूरा करने की दिशा में ठोस प्रयास होने चाहिये।