सामाजिक न्याय
सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020
- 21 May 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
अनौपचारिक कार्यबल की मदद करने में सामाजिक सुरक्षा संहिता (SS Code) 2020 की प्रभावशीलता पर कई लोगों द्वारा सवाल उठाया जा रहा है।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के साथ दो अन्य संहिताएँ पारित की गई जो व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता (Occupational Safety, Health & Working Conditions Code), 2020 तथा औद्योगिक संबंध संहिता (Industrial Relations Code), 2020 हैं।
- सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में सामाजिक सुरक्षा, सेवानिवृत्ति और कर्मचारी लाभ से संबंधित नौ नियमों को शामिल किया गया है।
प्रमुख बिंदु
सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के प्रमुख प्रावधान:
- कवरेज बढ़ाया गया:
- संहिता ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों, निश्चित अवधि के कर्मचारियों और गिग श्रमिकों, प्लेटफॉर्म श्रमिकों, अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिकों आदि को शामिल करके कवरेज क्षेत्र को व्यापक बना दिया है।
- राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण:
- असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के उद्देश्य से इन सभी श्रमिकों का पंजीकरण एक ऑनलाइन पोर्टल पर किया जाएगा और यह पंजीकरण एक सरल प्रक्रिया के माध्यम से स्व-प्रमाणन के आधार पर किया जाएगा।
- सभी रिकॉर्ड और रिटर्न इलेक्ट्रॉनिक रूप से बनाए रखने होंगे।
- असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करने के उद्देश्य से इन सभी श्रमिकों का पंजीकरण एक ऑनलाइन पोर्टल पर किया जाएगा और यह पंजीकरण एक सरल प्रक्रिया के माध्यम से स्व-प्रमाणन के आधार पर किया जाएगा।
- सामाजिक सुरक्षा निधि:
- इसे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने के लिये वित्तीय की व्यवस्था हेतु बनाया जाएगा।
- समान परिभाषाएँ:
- सामाजिक सुरक्षा लाभों का उद्देश्य मजदूरी निर्धारित करने में एकरूपता है।
- इसने मज़दूरी की एक विस्तृत परिभाषा प्रदान की है।
- सामाजिक सुरक्षा लाभों को कम करने वाले वेतन की अनुचित संरचना को हतोत्साहित करने हेतु उच्चतम सीमा के साथ विशिष्ट बहिष्करण (Specific Exclusions) हेतु प्रावधान किये गए हैं।
- सामाजिक सुरक्षा लाभों का उद्देश्य मजदूरी निर्धारित करने में एकरूपता है।
- परामर्श का दृष्टिकोण:
- इसके लिये अधिकारियों द्वारा एक सुविधाजनक दृष्टिकोण अपनाया गया है। निरीक्षकों की मौजूदा भूमिका के विपरीत संहिता निरीक्षक-सह-सुविधाकर्त्ता की एक बढ़ी हुई भूमिका प्रदान करती है जिससे नियोक्ता अनुपालन के लिये समर्थन और सलाह की तलाश प्राप्त कर सकते हैं।
- व्यवसाय केंद्र:
- मानव संसाधन की मांग को पूरा करने और रोज़गार सूचना की निगरानी के लिये व्यवसाय केंद्र (Career Centre) की स्थापना की जाएगी।
- कठोर दंड:
- कर्मचारियों के योगदान के विफल होने पर न केवल 1,00,000 रुपए का जुर्माना लगता है, बल्कि एक से तीन वर्ष की कैद भी हो सकती है। बार-बार अपराध के मामले में कठोर दंड का प्रावधान भी है और बार-बार अपराध के मामले में कोई समझौता करने की अनुमति नहीं है।
चिंताएँ:
- ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया:
- अनौपचारिक कार्यकर्त्ताओं पर लाभार्थियों के रूप में पंजीकरण करने की ज़िम्मेदारी है, इसके अलावा उनके पास डिजिटल साक्षरता और कनेक्टिविटी नहीं होती है।
- साथ ही अनौपचारिक कार्यकर्त्ताओं में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लेकर जागरूकता का भी अभाव है।
- अंतर-राज्यीय व्यवस्था और सहयोग का अभाव:
- असंगठित श्रमिक भारत के कोने-कोने में फैले हुए हैं। इस संहिता के निहितार्थ इतने विविध होंगे कि राज्यों द्वारा इन्हें प्रशासित नहीं किया जा सकेगा।
- जटिल प्रक्रियाएँ और अतिव्यापी क्षेत्राधिकार:
- असंगठित कार्यबल के लिये एक सरल और प्रभावी तरीके से समग्र सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करने का विचार केंद्र-राज्य की प्रक्रियात्मक जटिलताओं तथा इनके क्षेत्राधिकार या संस्थागत अतिव्यापन लुप्त हो जाता है।
- मातृत्व लाभ:
- असंगठित क्षेत्र में कार्यरत महिलाएँ मातृत्व लाभ (Maternity Benefit) के दायरे से बाहर रहती हैं।
- कर्मचारी भविष्य निधि:
- अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिये कर्मचारी भविष्य निधि तक पहुँच की व्यवस्था भी नई संहिता में अधूरी है।
- ग्रेच्युटी का भुगतान:
- हालाँकि नई संहिता में ग्रेच्युटी के भुगतान का विस्तार किया गया था, फिर भी यह अनौपचारिक श्रमिकों के एक विशाल बहुमत के लिये दुर्गम बना हुआ है।
आगे की राह
- सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 मौजूदा सामाजिक सुरक्षा कानूनों का विलय करता है और अनौपचारिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रशासन के दायरे में शामिल करने का प्रयास करता है। हालाँकि संहिता की जाँच से पता चलता है कि सामाजिक सुरक्षा का सार्वभौमिकरण की आकांक्षा अभी भी अधूरी बनी हुई है।
- एक ऐसे समय में जब भारत श्रम के मुद्दों विशेष रूप से अनौपचारिकता पर केंद्रित ब्रिक्स बैठक की अध्यक्षता कर रहा है, स्वयं के बारे यह मानने में भी विफल है कि भारत सामाजिक सुरक्षा के बिना ही प्रौढ़ (Ageing) हो रहा है और युवा कार्यबल का जनसांख्यिकीय लाभांश जो प्रौढ़ावस्था का समर्थन कर सकता है, 15 वर्षों में समाप्त हो जाता है।
- सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान का उपयोग कार्यबल को कुछ हद तक औपचारिक बनाने के लिये किया जा सकता है।
- नियोक्ताओं को अपने कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिये।
- चूँकि यह राज्य की ज़िम्मेदारी है लेकिन प्राथमिक ज़िम्मेदारी अभी भी नियोक्ताओं के पास है क्योंकि वे श्रमिकों की उत्पादकता का लाभ उठा रहे हैं।