नियंत्रण रेखा के समानांतर शीघ्र ही स्मार्ट सुरक्षा घेरे का निर्माण | 01 May 2017
संदर्भ
नियंत्रण रेखा (line of control) के आस-पास होने वाले घुसपैठ को रोकने के लिये सेना ‘स्मार्ट सुरक्षा घेरे’(बाड़) का निर्माण कर रही है|
मौजूदा सुरक्षा घेरे को ‘विरोधी घुसपैठ बाधा प्रणाली’(Anti-Infiltration Obstacle System -AIOS) कहा जाता है तथा यह नियंत्रण रेखा से 700 मीटर की दूरी पर है|
विदित हो कि नियंत्रण रेखा के समानांतर कॉन्सर्टिना तार युक्त दोहरी पंक्ति वाले सुरक्षा घेरे का निर्माण वर्ष 2003 से 2005 के मध्य किया गया था|
मौजूदा सुरक्षा घेरे में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?
मौजूदा सुरक्षा घेरे में बर्फवारी के कारण अपरदन हो रहा है तथा हर मौसम में इसकी मरम्मत की आवश्यकता पड़ती है जिस पर प्रति वर्ष 50-60 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं| इसके अतिरिक्त इससे घुसपैठिये भी भारत में प्रवेश करने में सफल होते हैं|
नियंत्रण रेखा के समानांतर स्मार्ट घेरे का निर्माण कार्य जारी है जिससे चौबीस घंटे नियंत्रण रेखा पर निगरानी रखी जा सकेगी| पिछले वर्ष पठानकोट और उरी में हुए हमले के पश्चात नियंत्रण रेखा की सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया गया है| इन हमलों में आतंकियों ने नियंत्रण रेखा को पार करके ही सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया था|
विगत वर्ष सितम्बर में भारतीय सेना द्वारा आतंकवादी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के पश्चात नियंत्रण रेखा पर होने वाली घुसपैठ की घटनाओं में वृद्धि हुई है| भारत में पिछले दो दशकों में सेना के प्रतिष्ठानों पर होने वाले हमलों में भी वृद्धि हुई है|
‘स्मार्ट सुरक्षा घेरा’
ध्यातव्य है कि सरकार ने सीमा सुरक्षा के लिये अब ‘स्मार्ट सुरक्षा घेरा’ जैसी तकनीकी उपायों पर ध्यान देने का फैसला किया है। गौरतलब है कि ‘स्मार्ट फेंस’ नामक इस तकनीक में सीसीटीवी कैमरों, रात में देखने में सक्षम उपकरण, रडार, भूमिगत सेंसर और लेजर बैरियर जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
विदित हो कि इन्हीं तकनीकी उपायों के साथ गृह मंत्रालय अब कॉप्रेहेंसिव इंटीग्रेटेड बॉर्डर मैनेजमेंट सिस्टम (सीआईबीएमएस) नामक एक व्यवस्था पर काम कर रहा है।
नए सुरक्षा घेरे का निर्माण पहले से मौजूद सुरक्षा घेरे के स्थान पर ही किया जाएगा तथा इसकी अनुमानित लागत लगभग 1000 करोड़ रुपये होगी| सेना के अनुसार,उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिये स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है तथा इसके लिये आवश्यक धनराशि मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया गया है|
स्मार्ट सुरक्षा घेरे का परीक्षण पहले ही किया जा चुका है तथा परीक्षण के तौर पर इसका निर्माण 50 किलोमीटर तक किया जा चुका है| इस प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन सैन्य दस्तों के इंजीनियरों द्वारा किया जाएगा|