इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज, लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क में कमी | 18 Aug 2017

चर्चा में क्यों ? 
इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) को कम करने के दूरसंचार नियामक का प्रस्ताव दूरसंचार क्षेत्र में कटुता बढ़ाने और इसकी वित्तीय स्थिति को बिगाड़ने का कार्य करेगा। अतः सरकार को उपभोक्ता और इस क्षेत्र की व्यवहार्यता की रक्षा के लिये अवश्य हस्तक्षेप करना चाहिये।

इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज क्या है?

  • आईयूसी एक भुगतान है जिसे एक ऑपरेटर को, जिसके नेटवर्क पर कॉल आती है, प्रारंभिक नेटवर्क से कॉल प्राप्त करने की सेवा के लिये उस दूसरे ऑपरेटर को भुगतान करता है जिसके नेटवर्क में कॉल समाप्त होती है। 
  • वर्तमान में 2जी के समय की तुलना में प्रति कॉल नेटवर्क का उपयोग कम है। आईयूसी में कटौती करने के पीछे यही तर्क है।  
  • हालाँकि, स्पेक्ट्रम की ऊँची लागत के कारण नेटवर्क की लागत बढ़ गई है। आईसीयू की कम लागत का अर्थ उपभोक्ता के लिये कॉल की लागत को कम करना है जो आखिरकार, कॉल की लागत वहन करता है। 
  • आईयूसी में कटौती दूरसंचार कंपनियों के राजस्व को कम कर देगा। अब, भारती और वोडाफोन जैसे बड़े नेटवर्क के लिये, जो एक-दूसरे को आईयूसी के रूप में भुगतान करते हैं, आईयूसी के रूप में इसे प्राप्त होने के कारण कम या ज्यादा ऑफसेट मिलता है, क्योंकि उनके पास लगभग समान संख्या में ग्राहक हैं। 
  • छोटे नेटवर्क आईयूसी के रूप में जितना प्राप्त करते हैं उससे अधिक वे बड़े नेटवर्क को आईयूसी के रूप में भुगतान करते हैं।

दूरसंचार कंपनियों का वित्त प्रदर्शन 

  • रिलायंस जिओ की आक्रामक प्रवेश और सरकार द्वारा स्पेक्ट्रम की ऊँची फीस के आग्रह के कारण देश में दूरसंचार कंपनियों का वित्त प्रदर्शन बुरी स्थिति से गुज़र रहा है। 
  • बैंकों के कर्ज के बढ़ते पहाड़ को दूरसंचार कंपनियों के ऋण से और बड़ा होने से रोकने के लिये  सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिये। 
  • सरकार लाइसेंस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में इकट्ठा होने वाले भारी राजस्व के हिस्से को कम करके ऐसा कर सकती है।