भारत-विश्व
भारत-चीन के बीच छठी रणनीतिक आर्थिक वार्ता
- 10 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
7 से 9 सितंबर, 2019 तक नई दिल्ली में भारत और चीन के बीच छठी रणनीतिक आर्थिक वार्ता (Strategic Economic Dialogue-SED) का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- इस वार्ता में बुनियादी ढाँचा, ऊर्जा, उच्च तकनीक, संसाधन संरक्षण और नीति समन्वय पर संयुक्त कार्य समूहों की बैठकें आयोजित हुईं।
- इस वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व नीति आयोग (National Institution for Transforming India- NITI Aayog) के उपाध्यक्ष, डॉ. राजीव कुमार ने और चीनी पक्ष का नेतृत्व चीन के राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (National Development and Reform Commission-NDRC) के अध्यक्ष, हे लिफेंग (He Lifeng) ने किया।
- वार्ता के दौरान के दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिये ठोस कदम उठाने पर बल दिया गया।
- दोनों पक्षों द्वारा इस बात पर सहमत व्यक्त की गई कि द्विपक्षीय व्यापार और निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने तथा दोनों पक्षों के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये रणनीतिक आर्थिक वार्ता (Strategic Economic Dialogue- SED) एक महत्त्वपूर्ण तंत्र के रूप में उभरा है।
- दोनों पक्षों के बीच छह कार्य समूहों के व्यावहारिक और परिणाम उन्मुख विचार-विमर्श के माध्यम से निम्नलिखित विषयों पर आपसी सहमति बनी:
1. नीति समन्वय (Policy Coordination):
- दोनों पक्षों ने व्यापार और निवेश के वातावरण की समीक्षा के लिये गहन विचार-विमर्श किया, जिससे कि भविष्य में होने वाली अनुबंधों के लिये पूरक और वास्तविक तालमेल की पहचान की जा सके।
- नवाचार और निवेश में सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया जिसमें फिनटेक तथा उससे संबंधित प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- दोनों पक्षों ने संचार के नियमित चैनलों को सक्रिय करने के लिये अपनी गतिविधियों के वार्षिक कैलेंडरों का आदान-प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की।
2. आधारिक संरचना पर कार्य समूह (Working Group on Infrastructure):
- दोनों पक्षों द्वारा चेन्नई-बंगलूरु-मैसूर रेलवे उन्नयन परियोजना (Chennai-Bangalore-Mysore Railway Upgradation Project) के व्यावहारिक अध्ययन में उल्लेखनीय प्रगति और चीन द्वारा भारतीय रेलवे के वरिष्ठ प्रबंधन कर्मचारियों का व्यक्तिगत प्रशिक्षण का उल्लेख किया गया, उल्लेखनीय है कि ये दोनों कार्य पूरे किये जा चुके हैं।
- सहयोग के सभी क्षेत्रों में अपने अगले कदमों की पहचान करने के साथ-साथ पायलट सेक्शन के रूप में दिल्ली-आगरा हाई स्पीड रेलवे सेवा (Delhi-Agra High Speed Railway) की संभावना को तलाश करने वाले प्रोजेक्ट के अध्ययन को आगे बढ़ाने पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
- दोनों पक्षों ने परिवहन क्षेत्र में उद्यमों का समर्थन देने के साथ-साथ सहयोग के लिये नई परियोजनाओं की पहचान करने पर भी सहमति व्यक्त की।
3. हाई-टेक पर कार्य समूह (Working Group on High-Tech):
- दोनों पक्षों ने 5वीं SED के बाद प्राप्त हुई उपलब्धियों का आकलन किया और व्यापार को आसान बनाने की नियामक प्रक्रियाओं, कृत्रिम बुद्धि का विकास, उच्च तकनीक निर्माण और दोनों देशों में अगली पीढ़ी के मोबाइल संचार पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
- तकनीकी नवाचार, औद्योगिक स्थिति और सहयोग को बढ़ावा देने वाले तंत्रों के साथ-साथ भारत-चीन की डिजिटल भागीदारी, डेटा गवर्नेंस और संबंधित उद्योग नीति पर चर्चा की गई।
4. संसाधन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण पर कार्य समूह
(Working Group on Resource Conservation and Environmental Protection)
- जल प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, अपशिष्ट निर्माण और विध्वंस तथा संसाधन संरक्षण के क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा एवं समीक्षा की गई। दोनों पक्षों ने इस क्षेत्र में नवाचार की भूमिका पर भी विचार-विमर्श किया।
- कम लागत वाली निर्माण तकनीक, बाढ़ और कटाव नियंत्रण, वायु प्रदूषण आदि में नई प्रकार की अवधारणाओं के प्रभावी उपयोग पर भी चर्चा की गई।
- उन्होंने उभरते हुए क्षेत्रों, जैसे वेस्ट टू पावर (Waste to Power), सीवेज़ गाद के साथ सेप्टेज़ का सह-प्रसंस्करण (Co-processing of Septage with Sewage Sludge), झंझा जल प्रबंधन (Storm Water Management) आदि में सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकताओं पर भी बल दिया।
- उपरोक्त क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये दोनों पक्षों ने निरंतर बातचीत और संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान को लगातार बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की।
5. ऊर्जा पर कार्य समूह (Working Group on Energy):
- दोनों देशों ने भविष्य में सहयोग के लिये क्षेत्रों की पहचान की और अक्षय ऊर्जा, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, स्मार्ट ग्रिड तथा ग्रिड एकीकरण, स्मार्ट मीटर एवं ई-मोबिलिटी क्षेत्रों पर काम करने का भी संकल्प लिया।
- दोनों पक्षों ने वैकल्पिक सामग्री द्वारा सौर सेल के निर्माण के लिये नई तकनीक को विकसित करने और सौर सेलों की दक्षता में सुधार लाने के लिये अनुसंधान एवं विकास कार्यों में सहयोग पर सहमति व्यक्त की।
- दोनों पक्ष ई-मोबिलिटी और ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में सहयोग करने पर भी सहमत हुए।
6. फार्मास्यूटिकल्स पर कार्य समूह (Working Group on Pharmaceuticals):
- संयुक्त कार्य समूहों ने यह माना कि दोनों पक्षों में व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये संचार को और मज़बूत करना चाहिये।
- यह भी तय किया गया कि दोनों पक्षों द्वारा व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिये, दवा उद्योग में अनुपूरक लाभ को मज़बूत करना चाहिये और भारतीय जेनेरिक दवाओं एवं चीनी API को बढ़ावा देने के लिये सहयोग की खोज करनी चाहिये। इससे दोनों देशों में फॉर्मास्यूटिकल उद्योग के विकास को लाभ मिलेगा।
दोनों समकक्षों ने द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया और व्यावहारिक एवं परिणाम-उन्मुख विचार-विमर्श के माध्यम से ठोस नतीजे प्राप्त किये। दोनों पक्षों ने अन्य प्रमुख मुद्दों के समाधान, सहयोग के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के लिये, दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण एवं स्थायी साधन के रूप में SED तंत्र का उपयोग अति प्रभावी ढंग से करने पर सहमति व्यक्त की।
पृष्ठभूमि:
- रणनीतिक आर्थिक वार्ता (SED) की स्थापना, दिसंबर 2010 में चीनी प्रधानमंत्री, वेन जियाबाओ की भारत यात्रा के दौरान पूर्ववर्ती योजना आयोग और चीन के राष्ट्रीय विकास एवं सुधार आयोग (National Development and Reform Commission-NDRC) द्वारा की गई, SED ने तब से लेकर अब तक द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रभावी तंत्र के रूप में काम किया है। नीति आयोग ने अपने गठन के बाद इस संवाद को अधिक गति प्रदान करते हुए इसे आगे बढ़ाया है। SED के तत्त्वावधान में, दोनों पक्षों के वरिष्ठ प्रतिनिधि रचनात्मक विचार-विमर्श के लिये एक साथ आते हैं और व्यक्तिगत सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करते हैं तथा सफलतापूर्वक व्यापार करने एवं द्विपक्षीय व्यापार तथा निवेश के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिये सेक्टर-विशिष्ट चुनौतियों और अवसरों की पहचान करते हैं।
संरचना:
- भारतीय पक्ष में नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) और चीनी पक्ष में राष्ट्रीय विकास और सुधार आयोग (NDRC) SED तंत्र का नेतृत्व करते हैं, जिसमें दोनों देशों की राजधानी में बारी-बारी से एक वार्षिक वार्ता का आयोजन किया जाता है।
- नवंबर 2012 में नई दिल्ली में आयोजित किये गए दूसरे SED में, नीति समन्वय, अवसंरचना, पर्यावरण, ऊर्जा और उच्च प्रौद्योगिकी पर 5 स्थायी संयुक्त कार्यदलों का गठन करने का निर्णय लिया गया था ताकि SED के अंतर्गत इन क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत किया जा सके।
- पाँचवें SED के बाद फॉर्मास्यूटिकल्स पर छठे संयुक्त कार्य समूह का भी गठन किया गया है।