अंतर्राष्ट्रीय संबंध
निजी दूरसंचार कंपनियों ने आय को कम करके बताया
- 22 Jul 2017
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संदर्भ
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार देश की छ: अग्रणी निजी दूरसंचार कंपनियों ने अपनी आय को 61000 करोड़ रुपए कम करके बताया है, जिससे सरकारी खज़ाने को 7697.62 करोड़ रुपए के राजस्व लाभ से वंचित होना पड़ा है।
- प्रमुख बिंदु
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक ने शुक्रवार को संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा कि देश की प्रमुख छ: निजी दूरसंचार कंपनियों ने अपनी आय को 61,000 करोड़ रुपए कम करके बताया है।
- इनमें एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, आरकॉम, एयरसेल तथा एसएसटीएल शामिल हैं। राजस्व की यह हानि एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया, आरकॉम तथा एयरसेल द्वारा वित्तीय वर्ष 2010-11 से 2014-15 के दौरान की गई है, जबकि एसएसटीएल के द्वारा 2006-07 से 2014–15 तक के दौरान की गई है।
- कैग ने लाइसेंस समझौते के तहत निर्धारित राजस्व के बारे में न बताने पर दूरसंचार विभाग द्वारा इन कंपनियों के विरुद्ध कोई भी सक्रिय कदम न उठाने पर भी सवाल उठाया है।
- कैग ने नोट किया कि शॉर्ट-पेड राजस्व पर ब्याज की बकाया राशि 4,531.62 करोड़ रुपए है, जिससे सरकार को कुल 12,220 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक
- भारत सरकार के अंतर्गत यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण पद है।
- संविधान के अनुच्छेद 148 के अनुसार, भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इसका कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
- वह किसी भी समय राष्ट्रपति को संबोधित करके अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा पद त्याग कर सकता है।
- संविधान के अनुच्छेद 148(1) तथा 124(4) के अनुसार उसे महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक पद-त्याग के पश्चात् भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ के किसी पद को ग्रहण नहीं कर सकता।
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक संघ और राज्यों के लेखों के संबंध में ऐसे कर्त्तव्यों का पालन और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करता है, जो संसद द्वारा विहित की जाती हैं।
- उसके कर्त्तव्यों और शक्तियों का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 149 से 151 के अंतर्गत किया गया है।
- उसके कार्यालय का प्रशासनिक व्यय, कर्मचारियों के वेतन आदि भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं।