लैंड-पूलिंग के माध्यम से छह हवाईअड्डों का विकास | 10 Oct 2017
संदर्भ
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार भूमि अधिग्रहण हेतु एक लैंड-पूलिंग मॉडल (land-pooling model) अपनाकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (public-private partnership -PPP) के माध्यम से तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में हवाईअड्डों का निर्माण करने की योजना बना रही है।
प्रमुख बिंदु
- इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार ने उक्त राज्यों के चेन्नई, कोलकाता, बागडोगरा, पुणे, वाराणसी और नालंदा शहरों में एक-एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे (greenfield airport) को विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा है।
- विदित हो कि ‘भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण’ (Airports Authority of India -AAI) अपने हवाई अड्डों के विस्तार के लिये अगले चार वर्षों में 18,000 करोड़ रुपए व्यय करेगा।
- सरकार ने उन स्थानों पर लैंड-पूलिंग अपनाने की योजना बनाई है, जहाँ भूमि की कमी है। ध्यातव्य है कि इससे फंड की आवश्यकता और भू-स्वामियों का प्रतिरोध आदि अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करने में सहायता मिलेगी।
- ध्यान देने योग्य है कि इस प्रकार के मॉडल को अभी तक विमानन क्षेत्र में नहीं अपनाया गया है।
- इस मॉडल के अंतर्गत विभिन्न लोगों द्वारा खरीदी गई भूमि को एक साथ पूल कर लिया जाएगा तथा उनके स्वामियों को किसी विकसित क्षेत्र में भूमि का एक निश्चित भाग दे दिया जाएगा, जिसकी कीमत उनकी वास्तविक भू-जोत से अधिक होगी।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने इस मॉडल के अध्ययन के लिये देश के पर्यावरणीय योजना और प्रौद्योगिकी केंद्र का सहयोग प्राप्त किया है।
- इस मॉडल के तहत तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार की राज्य सरकारों को उनके राज्यों में हवाईअड्डों के विकास के लिये भूमि की पहचान करने को कहा गया है।
- सरकार का कहना है कि वे अपने राज्यों में न्यूनतम 2,500 एकड़ भूमि की पहचान करें। उसके पश्चात् सरकार इन स्थलों की तकनीकी व्यवहार्यता की जाँच करेगी।
- इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार पहले ही तमिलनाडु राज्य में चेन्नई के लिये एक दूसरे हवाई अड्डे के विकास हेतु भूमि की पहचान करने के लिये दो बैठकें कर चुकी है।
- हालाँकि पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार को इस बात से अवगत करा दिया है कि दुर्गापुर के अंडल हवाईअड्डे को कोलकाता के लिये दूसरे हवाई अड्डे के रूप में विकसित किया जा सकता है।
- स्रोतों के मुताबिक, केंद्र सरकार देश में हवाई अड्डों की क्षमता में वृद्धि करने के निम्नलिखित क्षेत्रों पर ही मुख्य रूप से ध्यान केन्द्रित कर रही हैं -
♦ मौजूदा टर्मिनलों का विकास
♦ नए टर्मिनलों का निर्माण
♦ नए हवाईअड्डों के निर्माण की आवश्यकता
- यद्यपि पिछले वर्ष नागरिक विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने यह कहा था कि अगले 10 से 15 वर्षों में हवाईअड्डों की क्षमता को दोगुना करने के लिये केंद्र सरकार को 3 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।
- नागरिक विमानन मंत्रालय के आतंरिक पर्यवेक्षणों से यह स्पष्ट हुआ है कि अगले 10-15 वर्षों में देश के 200 हवाईअड्डों में उड़ानों का उचित प्रकार से संचालन करने की अभूतपूर्व क्षमता विकसित हो जाएगी।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी क्या है?
- सार्वजनिक निजी भागीदारी सार्वजनिक अवसंरचना प्रोजेक्ट जैसे एक नई टेलीकम्युनिकेशन प्रणाली, एअरपोर्ट अथवा परमाणु संयंत्र के लिये एक प्रकार का फंडिंग मॉडल है।
- इसमें सार्वजनिक भागीदार स्थानीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर की सरकारें होती हैं, जबकि निजी भागीदार एक निजी स्वामित्व वाला व्यवसाय, सार्वजनिक निगम अथवा किसी विशेष क्षेत्र के विशेषज्ञों से युक्त कारोबारियों का संघ भी हो सकता है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
- यह भारत सरकार के नागरिक विमानन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- यह भारत में नागरिक विमानन अवसंरचना का सृजन, उनका नवीकरण, प्रबंधन और नियंत्रण करता है।
- यह 125 हवाई अड्डों जिसमें 18 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, 7 सीमा शुल्क हवाई अड्डे, 78 घरेलू हवाई अड्डे और सैन्य एयरफील्ड में 26 नागरिक एन्क्लेव शामिल हैं, पर नियंत्रण रखता है।