सिंगरेनी ताप विद्युत संयंत्र | 25 Feb 2023

प्रिलिम्स के लिये:

सिंगरेनी ताप विद्युत संयंत्र, फ्लू गैस डिसल्फराइज़ेशन (FGD), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।

मेन्स के लिये:

भारत में थर्मल पावर सेक्टर की स्थिति, ताप विद्युत संयंत्र से जुड़े मुद्दे।

चर्चा में क्यों?

तेलंगाना स्थित सिंगरेनी ताप विद्युत संयंत्र (Singareni Thermal Power Plant- STPP) दक्षिण भारत में पहला सार्वजनिक क्षेत्र का कोयला आधारित विद्युत उत्पादन स्टेशन बनने हेतु तैयार है, जो देश के सार्वजनिक उपक्रमों में पहला फ्लू गैस डिसल्फराइज़ेशन (FGD) संयंत्र है।

  • उत्पन्न फ्लाई ऐश के 100% उपयोग के साथ STPP ने दो बार सर्वश्रेष्ठ फ्लाई ऐश उपयोग पुरस्कार जीता है

फ्लू गैस डिसल्फराइज़ेशन:  

  • परिचय: 
    • FGD संयंत्र विद्युत उत्पादन हेतु कोयले को जलाने से उत्पन्न सल्फर और अन्य गैसों (नाइट्रोजन ऑक्साइड) को संसाधित करेगा।
      • FGD संयंत्र, वायुमंडल में छोड़े जाने से पहले ग्रिप गैस से सल्फर डाइऑक्साइड को अलग कर देता है जिससे पर्यावरण पर इसका प्रभाव कम हो जाता है।
  • FGD सिस्टम के प्रकार: 
    • FGD सिस्टम को उस चरण के आधार पर "वेट" या "ड्राई" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जिसमें फ्लू गैस अभिक्रिया होती है। FGD सिस्टम के चार प्रकार हैं: 
      • वेट FGD सिस्टम तरल अवशोषक का उपयोग करते हैं।
      • स्प्रे ड्राई एब्ज़ाॅर्बर (SDA) सेमी-ड्राई सिस्टम होते हैं जिनमें विलियन के साथ थोड़ी मात्रा में जल मिलाया जाता है।
      • सर्कुलेटिंग ड्राई स्क्रबर्स (CDS) या तो ड्राई अथवा सेमी-ड्राई प्रणाली है।
      • ड्राई सॉर्बेंट इंजेक्शन (DSI) सूखे सॉर्बेंट को सीधे भट्टी में या भट्टी में डाले जाने के बाद डक्टवर्क में इंजेक्ट करता है।
  • मंत्रालय के दिशा-निर्देश:
    • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों के लिये FGD संयंत्रों की स्थापना की समय-सीमा गैर-सेवामुक्त संयंत्रों के लिये दिसंबर 2026 के अंत तक और सेवानिवृत्त होने वाले संयंत्रों के लिये दिसंबर 2027 के अंत तक निर्धारित की है। 
      • हालाँकि यह उन संयंत्रों के लिये अनिवार्य नहीं है जो वर्ष 2027 के दिसंबर अंत तक सेवामुक्त होने जा रहे हैं, बशर्ते वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण से छूट प्राप्त हों। 
  • उपयोग: 
    • FGD संयंत्र द्वारा उत्पादित जिप्सम का उपयोग उर्वरक, सीमेंट, कागज़, कपड़ा एवं निर्माण उद्योगों में किया जाएगा तथा इसकी बिक्री से FGD संयंत्र के रखरखाव में योगदान की संभावना है।

भारत में ताप विद्युत क्षेत्र की स्थिति: 

  • परिचय:  
    • ताप विद्युत क्षेत्र भारत में विद्युत उत्पादन का प्रमुख स्रोत रहा है, जो देश की कुल स्थापित विद्युत क्षमता का लगभग 75% है। 
    • मई 2022 तक भारत में ताप विद्युत की कुल स्थापित क्षमता 236.1 गीगावाट है, जिसमें से 58.6% कोयले से और बाकी लिग्नाइट, डीज़ल तथा गैस से प्राप्त होती है।   
  • ताप विद्युत संयंत्रों से संबंधित मुद्दे: 
    • पर्यावरणीय प्रभाव: ताप विद्युत संयंत्र वायु में बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं। इससे वायु प्रदूषण होता है, जिसका संयंत्रों के आसपास रहने वाले लोगों पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव देखा जाता है।  
      • ताप विद्युत संयंत्र बहुत अधिक जल की खपत करते हैं, जिससे कुछ क्षेत्रों में जल की कमी हो जाती है। 
    • कोयले की आपूर्ति: भारत के ताप विद्युत संयंत्र कोयले परअत्यधिक निर्भर हैं, जो कि अधिकतर दूसरे देशों से आयात किया जाता है। इसके कारण आपूर्ति बाधित होने और कीमतों में उतार-चढ़ाव का जोखिम बना रहता है।
      • वित्त वर्ष 2022 में भारत ने 208.93 मिलियन टन कोयला आयात किया था जिसका मूल्य करीब 2.3 लाख करोड़ रुपए था। 
    • वित्तीय स्थिति: भारत के कई ताप विद्युत संयंत्र सरकारी संस्थाओं के स्वामित्त्व में हैं और कोयले की बढ़ती कीमतों, कम मांग तथा अन्य कारकों के कारण वित्तीय नुकसान का सामना कर रहे हैं।
      • इस कारण कई संयंत्र बंद हो गए हैं या कम क्षमता पर कार्य कर रहे हैं।
    • काल प्रभावन अवसरंचना: भारत के कई ताप विद्युत संयंत्र वर्ष 1970 एवं 1980 के दशक में बनाए गए थे और उनके आधुनिकीकरण की ज़रूरत है। 
      • मौजूदा पर्यावरण मानकों को पूरा करने के लिये इन संयंत्रों का उन्नयन (Upgrading) करना महंगा हो सकता है।
    • नवीकरणीय ऊर्जा से प्रतिस्पर्द्धा: जैसे-जैसे नवीकरणीय ऊर्जा सस्ती होती जा रही है, ताप विद्युत संयंत्रों को बढ़ती प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ रहा है।
      • इससे थर्मल पावर की मांग में कमी आई है और कुछ संयंत्रों के लिये लाभप्रद रूप से कार्य करना कठिन हो गया है।

आगे की राह

  • प्रदूषण नियंत्रण उपायों को लागू करना: जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, FGD संयंत्रों की स्थापना ताप विद्युत संयंत्रों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रमुख चरणों में से एक है।
    • सरकार को उत्सर्जन कम करने और पर्यावरण की रक्षा के लिये सभी ताप विद्युत संयंत्रों में FGD प्लांट और अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपायों लागू करना अनिवार्य बनाना चाहिये।
  • कोयले की गुणवत्ता में सुधार: भारत में ताप विद्युत संयंत्रों में उपयोग किये जाने वाले कोयले की गुणवत्ता अपेक्षाकृत कम होती है, जिसके कारण उच्च उत्सर्जन होने एवं कम दक्षता स्थिति देखी जाती है।
    • इसलिये सरकार को कोयले की धुलाई (Coal Washing) और बेनिफिशिएशन जैसी तकनीकों में निवेश कर ताप विद्युत संयंत्रों को आपूर्ति किये जाने वाले कोयले की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देना चाहिये। 
  • मौजूदा संयंत्रों का आधुनिकीकरण: भारत के कई ताप विद्युत संयंत्र पुराने और अक्षम हैं।
    • सरकार को संयंत्र मालिकों को नई तकनीकों में निवेश करने, उपकरणों को अद्यतित करने तथा दक्षता में सुधार और उत्सर्जन को कम करने के लिये सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाकर संयंत्र के आधुनिकीकरण के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।
  • दक्षता बढ़ाना: विद्युत् उत्पादन की लागत को कम करने और ताप विद्युत क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार के लिये दक्षता में सुधार किया जाना एक महत्त्वपूर्ण घटक है।
    • सरकार को ताप विद्युत संयंत्रों को ऊर्जा-कुशल प्रथाओं और तकनीकों जैसे सुपरक्रिटिकल और अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीकों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. कोयले की राख में आर्सेनिक, सीसा और पारद अंतर्विष्ट होते हैं।
  2. कोयला संचालित विद्युत संयंत्र पर्यावरण में सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन के ऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं।
  3. भारतीय कोयले में राख की मात्रा अधिक पाई जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. भारत में निम्नलिखित उद्योगों में से कौन-सा एक जल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है? (2013)

(a) अभियांत्रिकी
(b) कागज़ एवं लुगदी
(c) वस्त्रोद्योग
(d) ताप शक्ति

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू