सिंगापुर: भारत का शीर्ष FDI स्रोत | 29 May 2019
चर्चा में क्यों?
पिछले वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल, 2018 से 31 मार्च, 2019) के दौरान सिंगापुर (Singapore) से होने वाला विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Foreign direct investment-FDI) मॉरीशस (Mauritius) की तुलना में दोगुना रहा। दोनों देशों के बीच कर संधि को पुन: लागू करने के बाद विदेशी प्रवाह के लिये यह अभी तक का सबसे पसंदीदा मार्ग रहा।
- देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पिछले छह सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुँच गया है। भारत में निवेश करने वाले अन्य प्रमुख देशों में जापान, नीदरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, साइप्रस, संयुक्त अरब अमीरात और फ्राँस शामिल हैं।
- वर्ष 2018-19 में मॉरीशस के 8.1 अरब डॉलर के मुकाबले सिंगापुर से अनुमानत: 16.2 बिलियन डॉलर के FDI का प्रवाह हुआ। यह केवल तीसरी बार है कि सिंगापुर से होने वाले निवेश प्रवाह में मॉरीशस की तुलना में इतना अधिक उछाल आया है, इस संबंध में निवेश सलाहकारों द्वारा कर संधि में बदलाव के कारण टैक्स ट्रीटमेंट (Tax Treatment) में आई अनुरूपता को मुख्य कारक बताया जा रहा है।
- इसके अलावा, सिंगापुर ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (ease of doing business) के मोर्चे पर बहुत-से अन्य लाभ भी उपलब्ध करा रहा हैं जैसे- विदेशी स्रोतों से प्राप्त पूंजीगत लाभ पर शून्य कर (zero tax), आदि। संभवतः FDI के प्रवाह में आए बदलाव का एक कारण यह भी है।
दोहरा कराधान क्या है?
- दोहरे कराधान (Double Taxation) का तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जिसमें एक ही कंपनी या व्यक्ति (करदाता) की एकल आय एक से अधिक देशों में कर योग्य हो जाती है। ऐसी स्थिति विभिन्न देशों में आय पर कराधान के भिन्न नियमों के कारण उत्पन्न होती है।
दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA)
- दोहरे कराधान से मुक्ति के लिये दो देशों की सरकारें 'दोहरा कराधान अपवंचन समझौता' (Double Taxation Avoidance Agreement- DTAA) निष्पादित करती हैं जिसका उपयोग परस्पर दोहरे कराधान की समस्या से राहत प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है।
- भारत में आयकर अधिनियम की धारा 90 द्विपक्षीय राहत से संबंधित है। इसके अंतर्गत भारत की केंद्रीय सरकार ने दूसरे देशों की सरकारों के साथ दोहरे कराधान की समस्या से निपटने के लिये समझौते किये हैं इन समझौतों को ‘दोहरा कराधान अपवंचन समझौता (DTAA)’ कहा जाता है।
कर संधि (Tax Treaty)
- एक द्विपक्षीय कर समझौता (bilateral tax agreement), जिसे कर संधि भी कहा जाता है, दो अधिकार क्षेत्रों (उदाहरण के लिये, दो देशों) के बीच होने वाला एक समझौता है जो कराधान के मुद्दों के बारे में संघर्ष या दोहराव को संबोधित करता है।
- इस प्रकार के कर समझौते आमतौर पर दोहरे कराधान की समस्या के संदर्भ में अस्तित्व में लाए जाते हैं जब एक व्यक्ति या कंपनी एक से अधिक क्षेत्राधिकार में कार्य करती है। इसका कारण यह है कि इस बात की बहुत अधिक संभावना होती है कि दो देशों के बीच प्रवाहित आय (Income Flow) पर दो बार करारोपण हो जाए।
- इस समझौते के तहत कर संग्रह के लिये सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा आपसी सहयोग भी शामिल होता है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign direct investment-FDI)
- यह एक समूह द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय या निगम में स्थायी हितों को स्थापित करने के इरादे से किया गया निवेश होता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक और देश में आर्थिक विकास के लिये गैर-ऋण वित्त का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
भारत और सिंगापुर के बीच समझौता
- सिंगापुर और भारत के बीच DTAA (Avoidance of Double Taxation Agreement) को वर्ष 1994 में लागू किया गया था। इस समझौते के प्रावधानों पर 29 जून, 2005 को एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर कर इन्हें संशोधित किया गया था।
- इसके दूसरे प्रोटोकॉल पर 24 जून, 2011 को हस्ताक्षर किये गए, जो 1 सितंबर, 2011 को लागू हुआ। इस समझौते से सिंगापुर और भारत के बीच आय के दोहरे कराधान को समाप्त किया गया तथा दोनों देशों के निवासियों पर पड़ने वाले समग्र कर बोझ को कम किया गया।
- मौजूदा भारत-सिंगापुर DTAA में संशोधन करने वाला तीसरा प्रोटोकॉल 27 फरवरी, 2017 को लागू हुआ।
- तीसरा प्रोटोकॉल 1 अप्रैल, 2017 से लागू होने वाले DTAA को संशोधित करता है, ताकि कंपनी में शेयरों की बिक्री पर होने वाले पूंजीगत लाभ के स्रोत आधारित कराधान हेतु लाभ प्रदान किये जा सकें। यह राजस्व हानि पर अंकुश लगाता है, दोहरे गैर-कराधान को प्रतिबंधित करता है और निवेश के प्रवाह को सुव्यवस्थित करता है।
- इसके साथ यह उम्मीद की जा रही है कि अब भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कर चोरी के ज़रिये अवैध धन का दुरुपयोग करने में सक्षम नहीं होंगी।