अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-बांग्लादेश परिवहन कनेक्टिविटी का महत्त्व: विश्व बैंक
- 12 Mar 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बैंक की रिपोर्ट "कनेक्टिंग टू थ्राइव: चैलेंजेज़ एंड अपॉर्च्युनिटीज़ ऑफ ट्रांसपोर्ट इंटीग्रेशन इन ईस्टर्न साउथ एशिया" में कहा गया है कि भारत और बांग्लादेश के बीच निर्बाध परिवहन कनेक्टिविटी बांग्लादेश तथा भारत की राष्ट्रीय आय को क्रमशः 17% और 8% तक बढ़ाने की क्षमता रखती है। ।
- रिपोर्ट में बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौते (MVA) का विश्लेषण किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
विभिन्न मुद्दे:
- व्यापार:
- दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में बांग्लादेश के व्यापार का लगभग 10% और भारत के व्यापार का मात्र 1% हिस्सा है।
- उच्च टैरिफ, पैरा-टैरिफ और नॉन टैरिफ बाधाएँ भी प्रमुख व्यापार बाधाओं के रूप में मौजूद हैं। बांग्लादेश और भारत में टैरिफ का औसत वैश्विक औसत के दोगुने से अधिक है।
- दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार में बांग्लादेश के व्यापार का लगभग 10% और भारत के व्यापार का मात्र 1% हिस्सा है।
- सीमा पारगमन संबंधी जटिलता:
- परिवहन एकीकरण में कमी बांग्लादेश और भारत के बीच की सीमा को दुर्गम बनाता है। भारत-बांग्लादेश के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण सीमा चौकी पेट्रापोल-बेनापोल को पार करने में कई दिन लगते हैं।
- इसके विपरीत पूर्वी अफ्रीका सहित दुनिया के अन्य क्षेत्रों में सीमाओं को पार करने में लगने वाला समय छह घंटे से भी कम है।
- परिवहन एकीकरण में कमी बांग्लादेश और भारत के बीच की सीमा को दुर्गम बनाता है। भारत-बांग्लादेश के बीच सबसे महत्त्वपूर्ण सीमा चौकी पेट्रापोल-बेनापोल को पार करने में कई दिन लगते हैं।
- पूर्वोत्तर की अलग स्थिति:
- भारतीय ट्रकों को बांग्लादेश से होकर जाने की अनुमति नहीं है। भारत का उत्तर-पूर्व क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग है और केवल 27 किलोमीटर चौड़े सिलीगुड़ी कॉरिडोर के माध्यम से जुड़ा हुआ है, जिसे "चिकन नेक" भी कहा जाता है। इस कारण परिवहन मार्ग बहुत लंबा और महँगा है।
बेहतर कनेक्टिविटी के लाभ:
- वास्तविक आय में वृद्धि:
- बांग्लादेश के सभी ज़िले एकीकरण से लाभान्वित होंगे तथा पूर्वी ज़िलों की वास्तविक आय में बड़ा लाभ होगा।
- बांग्लादेश के सीमावर्ती राज्य जैसे उत्तर-पूर्व में असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा तथा पश्चिम में पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे दूर स्थित राज्यों को भी सहज कनेक्टिविटी का अधिक आर्थिक लाभ मिलेगा।
- निर्यात में वृद्धि:
- बांग्लादेश से भारत को किये जाने वाले निर्यात में 297% की वृद्धि और भारत से बांग्लादेश को किये जाने वाले निर्यात में 172% की वृद्धि होगी।
- सामरिक महत्त्व:
- भौगोलिक रूप से बांग्लादेश की अवस्थिति इसे भारत, नेपाल, भूटान और अन्य पूर्वी एशियाई देशों के लिये एक रणनीतिक प्रवेश द्वार बनाती है। क्षेत्रीय व्यापार, पारगमन और रसद नेटवर्क में सुधार करके बांग्लादेश एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है।
महत्त्वपूर्ण सिफारिशें:
- MVA को सशक्त बनाना:
- चालक के लाइसेंस और वीज़ा नियमों में सामंजस्य बिठाना।
- एक कुशल क्षेत्रीय पारगमन सुविधा की स्थापना।
- व्यापार और परिवहन दस्तावेज़ों को युक्तिसंगत एवं डिजिटल बनाना।
- व्यापार मार्गों के चयन प्रक्रिया को उदार बनाना।
- क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार:
- क्षेत्रीय गलियारों के साथ कोर परिवहन और रसद अवसंरचना ढाँचे की प्रभावी क्षमता में विस्तार करना।
- परिवहन सेवा बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करना।
- भूमि पत्तन और समुद्री पत्तनों पर आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना।
- बांग्लादेश और भारत में ‘ऑफ-बॉर्डर कस्टम क्लीयरेंस’ सुविधाएँ विकसित करना।
- स्थानीय समुदायों का एकीकरण:
- स्थानीय बाज़ारों को क्षेत्रीय गलियारों से जोड़ना।
- निर्यात-उन्मुख मूल्य शृंखलाओं में रसद संबंधी बाधाओं को दूर करना।
- वृहत् समुदाय और घरेलू स्तर पर निर्यात-उन्मुख कृषि मूल्य शृंखलाओं में महिलाओं की भागीदारी में सुधार करना।
बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल मोटर वाहन समझौता:
BBIN:
- इस समझौते को यात्री, व्यक्तिगत व माल ढुलाई वाहनों के यातायात नियमन हेतु अमल में लाया गया है।
- इस समझौते का मुख्य उद्देश्य इस उप क्षेत्र में सड़क यातायात को सुरक्षित, आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल बनाना है।
- वर्ष 2015 में बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल के बीच भूटान की राजधानी थिंपू में BBIN मोटर वाहन समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- समझौते के अनुसार, सदस्य देश अन्य देशों में पंजीकृत वाहनों को कुछ नियमों और शर्तों के तहत अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देंगे। सीमा शुल्क और अन्य शुल्क का निर्धारण संबंधित देशों द्वारा किया जाएगा तथा इन्हें द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय मंचों पर अंतिम रूप दिया जाएगा।
- MVA के कार्यान्वयन में देरी हुई है क्योंकि देश कुछ प्रावधानों पर स्पष्टीकरण चाहते हैं।
- उद्देश्य:
- व्यक्तियों और सामानों की सीमा पार आवाजाही को सुविधाजनक बनाकर लोगों को सहज संपर्क प्रदान करना और आर्थिक संपर्क बढ़ाना।