आंतरिक सुरक्षा
भारत में इंटरनेट का निलंबन
- 18 Dec 2019
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये:
SFLC , ICRIER
मेन्स के लिये:
नागरिकता संशोधन विधेयक, इंटरनेट बंद होने के आर्थिक परिणाम
चर्च में क्यों?
हाल ही में नागरिकता संशोधन विधेयक,2019 के संसद में पारित होने के पश्चात देश के विभिन्न भागों में इस विधेयक का विरोध शुरू हो गया। परिणामस्वरूप सरकार द्वारा सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए देश के विभिन्न भागों में इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया। पिछले कई दिनों में सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (SFLC) में इंटरनेट बंद होने से संबंधित अनेकों सूचनाओं से भरा पड़ा है। गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर विश्व में इंटरनेट बंद होने की घटनाओं को ट्रैक करता है।
इंटरनेट बंद के कारण :
- चूँकि भारत विश्व का सबसे बड़ा एवं विकासशील इंटरनेट बाज़ार है और इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं का आदान-प्रदान करना अत्यंत आसान होता है जिसका प्रयोग देश के भीतर दंगे भड़काने और विभिन्न हिंसक प्रतिक्रियाओं के लिये भी किया जाता है। फलतः आपातकालीन स्थिति में सूचनाओं के संप्रेषण को रोकने हेतु इंटरनेट बंद किया जाता है।
- जब किसी क्षेत्र में अफवाहों,फेक न्यूज़ या अन्य कारणों से सरकार या प्रशासन को कानून के प्रवर्तन में समस्या आती है तो प्रारंभिक और निवारक प्रतिक्रिया के रूप में सरकार द्वारा इंटरनेट बंद कर दिया जाता है।
इंटरनेट बंद का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:
- भारत में इंटरनेट बंद की लागत बहुत अधिक है। अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद (Indian Council Research for International Economic Relation-ICRIER) की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पाँच वर्षों में लगभग 16000 घंटे इंटरनेट बंद रहा जिसकी लागत लगभग 3 बिलियन डॉलर के आसपास होने का अनुमान है।
भारत में 2019 में इंटरनेट बंद होने की घटनाएँ :
- हाल ही में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को संसद में पारित किया गया जिसके विरोध में जनांदोलन एवं विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं फलतः कानून व्यवस्था का कारण बताकर पश्चिम बंगाल के हावड़ा, मुर्शिदाबाद, मालदा इत्यादि स्थानों, उत्तरप्रदेश के अलीगढ़, मेरठ और सहारनपुर जिलों तथा जम्मू-कश्मीर,असम एवं मेघालय के विभिन्न हिस्सों में इंटरनेट बंद कर दिया गया।
- बीते नवंबर महीने में उच्चतम न्यायालय द्वारा जब अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया गया तब भी देश के विभिन्न हिस्सों में तनाव और हिंसा की आशंका के चलते प्रतिबंधात्मक उपाय के रूप में इंटरनेट बंद की घटनाएँ व्यापक स्तर पर देखी गई थी।
- 5 अगस्त 2019 को जब संसद द्वारा संविधान में उल्लिखित अस्थायी धारा 370 जो कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में विशेष उपबंध करती है, के निरसन और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन विधेयक को पारित किया गया था तब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कारणों से इंटरनेट सेवा को प्रतिबंधित कर दिया गया था जो कि जम्मू-कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों में आज भी प्रतिबंधित है।
- गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में पिछले 135 दिनों से इंटरनेट सेवा बंद है जो भारत में इंटरनेट बंद के संदर्भ में एक रिकॉर्ड है। इसके पहले 2017 में दार्जिलिंग में 100 दिनों तक दूरसंचार सेवाओं को प्रतिबंधित किया गया था।
ऐसे राज्य जिनमें सर्वाधिक इंटरनेट बंद की घटनाएँ हो चुकी हैं :
इंटरनेट बंद की घटनाओं की आवृत्तियों के अनुसार, सर्वाधिक इंटरनेट सेवा बंद करने वाले राज्य निम्नलिखित हैं :-
- जम्मू-कश्मीर : SFLC (softwere freedom law center) के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2012 से लगभग 180 बार इंटरनेट बंद की घटनाएँ हो चुकी हैं। यहाँ इंटरनेट बंद का मुख्य कारण सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़,बड़े सर्च अभियान.गोलीबारी और CRPF के जवानों पर हमला इत्यादि हैं।
- राजस्थान : राजस्थान में वर्ष 2015 से लगभग 67 बार इंटरनेट बंद की घटनाएँ हो चुकी हैं जिसका मुख्य कारण अफ़वाहों को रोकना और सांप्रदायिक हिंसा के संदर्भ में बंद का आयोजन किया जाना है।
- उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में वर्ष 2015 से लगभग 19 बार इंटरनेट बंद की घटनाएँ हो चुकी हैं। जिसका मुख्य कारण सांप्रदायिक एवं आपराधिक घटनाओं के बाद कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखना था।
इंटरनेट बंद से संबंधित कानून :
- दूरसंचार अस्थायी सेवा निलंबन ( लोक आपात या लोक सुरक्षा ) नियम, 2017 के अंतर्गत देश के गृह मंत्रालय के सचिव या राज्य के सक्षम पदाधिकारी को दूरसंचार सेवाओं के निलंबन का अधिकार दिया गया है।
- भारतीय टेलिग्राफ अधिनियम,1885 की धारा 5(2) के तहत केंद्र एवं राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया गया है कि वे लोक संकट या जन सुरक्षा या भारत की संप्रभुता और अखंडता तथा राज्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए संदेश सेवा (Messaging) को प्रतिबंधित कर सकती हैं।
- आपराधिक प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 144 के अंतर्गत भी दूरसंचार सेवाओं को प्रतिबंधित किया जा सकता है। धारा 144 जिला मजिस्ट्रेट, उप-विभागीय मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा अधिकार प्राप्त अधिकारी को सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए दूरसंचार सेवाओं के निलंबन का अधिकार देती है।