अंतर्राष्ट्रीय संबंध
कॉर्बेट पार्क में शिकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश
- 22 Feb 2017
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समाचारों में क्यों?
गौरतलब है कि हाल ही में जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में शिकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया गया है। जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की संवेदनशीलता को देखते हुए वन विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया है। जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में संवेदनशील जगहों पर वन कर्मियों को तैनात किया गया है, उन्हें शिकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।
क्यों दिया गया गोली मारने का आदेश?
- विदित हो कि ख़ुफ़िया स्रोतों से प्राप्त जानकारियों के आधार पर यह बताया गया है कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिणी भाग से शिकारियों के एक दल ने इस पार्क में प्रवेश किया है जो बाघों को मारकर उनके अंगों एवं खाल के व्यापार में एक सक्रिय शिकारी गिरोह है।इस सूचना के बाद उद्यान के संवेदनशील और ऊँचाई वाली जगहों पर हथियारबंद वन कर्मियों को तैनात करने के साथ शिकारियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया है।
- जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में अगले कुछ दिनों तक विशेष अभियान चलाया जाएगा । ग्रामीणों को भी अभियान की सूचना दी गई है और आगाह किया गया है कि वे लकड़ी बीनने या मवेशियों को लेकर वे उद्यान में न जाएँ। हालाँकि कॉर्बेट पार्क के निदेशक ने कहा है कि देखते ही गोली मारने का आदेश वन कर्मियों के आत्मरक्षा के लिये जारी किया गया है।
क्यों संवेदनशील है जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान?
- जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत में एक महत्त्वपूर्ण उद्यान है। यह उद्यान उत्तराखंड में स्थित है। विदित हो कि जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के जंगलों में पिछले कुछ महीनों में पाँच बाघों की हत्या कर दी गई है।
- यह हालिया वर्षों में किसी अभयारण्य में अवैध शिकार के सबसे बड़े मामलों में से एक है। वर्ष 2015 में बाघों की संख्या के संबंध में जारी आँकड़े के अनुसार 340 बाघों की कुल संख्या के साथ उत्तराखंड बाघों की संख्या के मामले में कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर था।
- जहाँ एक ओर बाघों की बढ़ती जनसंख्या को लेकर हम खुश हो रहे थे वहीं हाल के दिनों में शिकार की बढ़ती घटनाओं के कारण चिंतनीय परिस्थितियाँ बन गईं हैं।
निष्कर्ष
- वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा जुटाए गए आँकड़े पुष्टि करते हैं कि वर्ष 2016 में कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध शिकार किये गए बाघों की संख्या 19 है। यह वर्ष 2015 में अवैध शिकार के कुल मामलों के तीन चौथाई के बराबर है।
- अवैध शिकार के 19 में से 9 मामले तो अकेले इस वर्ष जनवरी में ही सामने आए हैं। हालाँकि उत्तराखंड वन विभाग के अनुसार वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2016 के अंत तक कुल 6 बाघों के शिकार के मामले सामने आए हैं, वहीं 56 बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है।
- आँकड़ों का गणित चाहे जो भी हो बाघों को शिकार बंद होना चाहिये और जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान की प्राकृतिक सुन्दरता बनी रहनी चाहिये।
- दरअसल, बाघों का संरक्षण मुख्य रूप से पैदल सैनिकों के ऊपर निर्भर करता है। पैदल सैनिक वे फॉरेस्ट गार्ड और रेंजर्स होते हैं जो जंगलों में लगातार गस्त लगाते हैं। लेकिन यह चिंतनीय है कि लगभग छह महीने से उनके वेतन का भुगतान ही नहीं किया गया।
- ऐसी परिस्थितियों में फॉरेस्ट गार्ड एवं रेंजर्स की शिकारियों के साथ मिलीभगत की खबरें भी आती हैं। अतः इस चिंता का भी समाधान आवश्यक है।