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एसएफआईओ द्वारा मुखौटा कंपनियों के डाटाबेस का संकलन

  • 09 Jun 2018
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

मुखौटा कंपनियों पर कार्यबल (Task Force on Shell Companies) के गठन के बाद से अभी तक इसकी 8 बार बैठक हो चुकी है। इस दौरान कार्यबल ने मुखौटा कंपनियों के खतरों को नियंत्रित करने के लिये अति सक्रिय और समन्वित कदम उठाए हैं।

मुखौटा कंपनियों पर कार्यबल (Task Force on Shell Companies)

  • इस कार्यबल का गठन फरवरी 2017 में राजस्‍व सचिव तथा कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय सचिव की संयुक्‍त अध्‍यक्षता में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा किया गया था और इसे प्रणालीबद्ध तरीके से विविध एजेंसियों ने समन्‍वय के ज़रिये कर चोरी सहित गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल मुखौटा कंपनियों को नियंत्रित करने का दायित्‍व सौंपा।
  • वित्‍तीय सेवा विभाग, सीबीडीटी, सीबीईसी, सीबीआई, ईडी, एसएफआईओ, एफआईयू- आईएनडी, आरबीआई, सेबी, डीजी जीएसटीआई तथा डीजी – सीईआईबी इस कार्यबल के सदस्‍य हैं।
  • कार्यबल को इस उद्देश्‍य के लिये अपीलीय प्राधिकार (appellate authority) प्राप्त है।
  • कानून लागू करने वाली विभिन्‍न एजेंसियों के बीच सूचना साझा करने की मानक संचालन प्रक्रिया भी तय कर ली गई है और नोडल एजेंसी केंद्रीय आर्थिक गुप्‍तचर ब्‍यूरो (Central Economic Intelligence Bureau) द्वारा वितरित की गई है।
  • कार्यबल की प्रमुख उपलब्धियों में एसएफआईओ (Serious Fraud Investigation Office –SFIO) द्वारा सं‍कलित मुखौटा कंपनियों का डाटाबेस है।

SFIO द्वारा किया गया डेटा संकलन 

  • नवीनतम स्थिति के अनुसार, इस डाटाबेस में तीन सूचियाँ यानी कनफर्म्ड लिस्ट (Confirmed List), डेराइव्ड लिस्ट (Derived List) और सस्पेक्ट लिस्ट (Suspect List) है।
  • कनफर्म्ड लिस्ट में 16,537 मुखौटा कंपनियाँ हैं जो कंपनियों के लिये विभिन्‍न कानून लागू करने वाली एजेंसियों (Law Enforcement Agencies) से प्राप्‍त सूचना के आधार पर पक्‍के तौर पर गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल हैं।
  • डेराइव्ड लिस्ट में 16,739 कंपनियाँ हैं, जिनमें पूरी तरह मुखौटा कं‍पनियों के साथ 100 प्रतिशत साझा निदेशक हैं।
  • सस्पेक्ट लिस्ट में 80,670 संदिग्‍ध मुखौटा कंपनियाँ हैं। यह सूची SFIO द्वारा बनाई गई है। कार्यबल ने कुछ संकेतकों की पहचान की है जिनका इस्‍तेमाल और मुखौटा कंपनियों की पहचान करने में किया जाएगा।

वर्तमान स्थिति

  • वित्त वर्ष 2017-18 में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (Ministry of Corporate Affairs) की देख-रेख में चलाए गए अभियान में कंपनियों के रजिस्‍ट्रार (Registrars of Companies-ROCs) ने कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुच्‍छेद 248 के अंतर्गत 2,26,166 कंपनियों को चिन्हित किया और उनके नाम कंपनी रजिस्‍टर से हटाए।
  • ये ऐसी कंपनियाँ थीं जिन्होंने लगातार दो या उससे और अधिक वित्‍तीय वर्षों के लिये वित्‍तीय सूचना या वार्षिक रिटर्न दाखिल नहीं किया था।
  • तीन वित्‍तीय वर्षों (2013-14, 2014-15 तथा 2015-16) से पहले की अवधि हेतु वार्षिक रिटर्न दाखिल न करने के लिये 3,09,619 निदेशकों को कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुच्‍छेद 164(2)(a), जो कंपनी अधिनियम अनुच्‍छेद 167(1) के साथ पढ़ा जाता है, के अंतर्गत अयोग्‍य घोषित किया गया।
  • निर्दिष्‍ट उद्देश्‍यों के अतिरिक्‍त इन बैंक खातों से वे तब तक कोई राशि नहीं निकाल सकते जब तक कि कंपनी फिर से कंपनी अधिनियम अनुच्‍छेद 252 के अंतर्गत बहाल नहीं हो जाती।
  • वास्तविक कंपनियों (genuine corporate) के लंबित रिटर्न को नियमित बनाने में मदद देने के लिये विलंब योजना (Condonation of Delay Scheme), 2018 को  लाई गई। यह 1 जनवरी, 2018 से 1 मई, 2018 तक प्रभावी थी। इस योजना के अंतर्गत कुल 13,993 कंपनियों को लाभ हुआ।

एलएलपी अधिनियम, 2008

  • चालू वित्‍त वर्ष 2018-19 के दौरान दूसरा अभियान चलाया जाएगा। इसमें कंपनी अधिनियम के अनुच्‍छेद 248 के अंतर्गत रजिस्‍टर से नाम हटाने के लिये कुल 2,25,910 कंपनियाँ चिन्हित की गई हैं।
  • इसके साथ ही एलएलपी अधिनियम (Limited Liability Partnership - LLPs Act), 2008 के अनुच्‍छेद 75 के अंतर्गत कार्रवाई के लिये 7191 एलएलपी हैं। इन कंपनियों की पहचान 2015-16 तथा 2016-17 के लिये वित्‍तीय ब्‍योरा दाखिल नहीं करने के कारण की गई है।
  • इन चिन्हित कंपनियों तथा एलएलपी को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। उन्‍हें डिफॉल्‍ट तथा प्रस्‍तावित कार्रवाई के बारे में नोटिस जारी किया जाएगा। उनके उत्‍तरों पर विचार करने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
  • कानून लागू करने वाली सभी एजेंसियों के बीच दस्‍तावेज़ तथा सूचना साझा करने की व्‍यवस्‍था की गई है।
  • दस्‍तावेज़ों को साझा करने के बारे में मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure) को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसे अनुपालन के लिये कानून लागू करने वाली एजेंसियों में वितरित कर दिया गया है।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • कार्यबल ने कानून लागू करने वाली सभी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे चार्टेड एकाउंटेंटों के खिलाफ की गई कार्रवाई के ब्योरे इं‍स्‍टीट्यूट ऑफ चार्टेड एकांउटॆंट ऑफ इंडिया (Institute of Chartered Accountants of India) को भेजें।
  • लेखा परीक्षण (auditing profession) के लिये स्‍वतंत्र नियामक (independent regulator) यानी राष्‍ट्रीय वित्‍तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority) को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 मार्च, 2018 को स्‍वीकृति दी और इसे 21 मार्च, 2018 को अधिसूचित कर दिया गया।
  • कंपनी अधिनियम 2013 के अनुच्‍छेद 447 में धोखाधड़ी को मनीलॉन्डरिंग रोकथाम अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act), 2002 के अंतर्गत विशिष्‍ट अपराध माना गया है।
  • सरकार को आशा है कि उसके प्रयासों के चलते रजिस्‍ट्री से मुखौटा कंपनियों के नाम हटाने से भारत में पारदर्शी और परिपालक कॉरपोरेट व्‍यवस्‍था बनेगी, कारोबारी सहजता को बढ़ावा मिलेगा और लोगों का विश्‍वास भी बढ़ेगा।

पृष्‍ठभूमि

कालाधन न केवल अर्थव्‍यवस्‍था में असंतुलन पैदा करता है, बल्कि यह आतंक तथा मनीलॉन्डरिंग जैसे अपराधों को वित्त पोषण भी करता है, इससे ईमानदार लोगों को नुकसान पहुँचता है, यह राज्य को संचालन के लिये आवश्यक राजस्व से वंचित करता है तथा अंततः देश के गरीबों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यही कारण है कि पिछले 4 वर्षों में सरकार ने कालेधन के खिलाफ निरंतर अभियान शुरू किये हैं। उदाहरण के तौर पर, ‘कालेधन पर विशेष जाँच दल' का गठन किया गया, ब्लैक मनी (Undisclosed Foreign Income and Assets) और कर अधिनियम (Imposition of Tax Act), 2015, आय घोषणा योजना (Income Declaration Scheme), 2016, बेनामी लेनदेन (निषेध) संशोधन अधिनियम [Benami Transactions (Prohibition) Amendment Act], 2016 और विमुद्रीकरण योजना (demonetization scheme) आदि कुछ ऐसी ही बहुत महत्त्वपूर्ण पहलें हैं।

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