कृषि
शाहपुरकंडी डैम (राष्ट्रीय परियोजना)
- 07 Dec 2018
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पंजाब में रावी नदी पर शाहपुरकंडी डैम (Shahpurkandi Dam) परियोजना को मंज़ूरी दे दी है।
- इस परियोजना के लिये वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक पाँच वर्षों की अवधि के दौरान 485.38 करोड़ रुपए (सिंचाई घटक के लिये) की केंद्रीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
- इस परियोजना के कार्यान्वयन से रावी नदी के जल की मात्रा में कमी लाने में सहायता मिलेगी जो वर्तमान में माधोपुर हेडवर्क्स से होते हुए पाकिस्तान चली जाती है।
परियोजना के बारे में
- शाहपुरकंडी डैम परियोजना के लिये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (PMKSY-AIBP) की वर्तमान 99 परियोजनाओं के समान नाबार्ड (NABARD) के माध्यम से केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- इस परियोजना के कार्यान्वयन की निगरानी हेतु केंद्रीय जल आयोग की वर्तमान निगरानी व्यवस्था के अतिरिक्त केंद्रीय जल आयोग के सदस्य की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के चीफ इंजीनियर और संबंधित अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।
- यह परियोजना जून 2022 तक पूरी हो जाएगी।
परियोजना से लाभ
- रावी नदी के पानी की कुछ मात्रा वर्तमान में माधोपुर हेडवर्क्स से होकर पकिस्तान चली जाती है, जबकि पंजाब और जम्मू-कश्मीर दोनों राज्यों में जल की आवश्यकता है। इस परियोजना के लागू होने से पानी की बर्बादी को कम करने में मदद मिलेगी।
- इस परियोजना के पूरा होने से पंजाब राज्य में अतरिक्त 5000 हेक्टेअर और जम्मू-कश्मीर में 32,173 हेक्टेअर भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त होगी।
- इसके अलावा इस परियोजना से पंजाब ऊपरी बारी दोआब नहर (Uppar Bari Doab Canal- UBDC) प्रणाली के अंतर्गत 1.18 लाख हेक्टेअर में सिंचाई सुविधा को सुव्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। परियोजना के पूरा होने पर पंजाब 206 मेगावाट जलविद्युत उत्पादन में सक्षम होगा।
- परियोजना के कार्यान्वयन से अकुशल श्रमिकों के लिये 6.2 लाख कार्यदिवसों, अर्द्धकुशल श्रमिकों के लिये 6.2 लाख कार्यदिवसों तथा कुशल श्रमिकों के लिये 1.67 लाख कार्यदिवसों के रोज़गार का सृजन होगा।
परियोजना की लागत
- जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (Ministry of Water Resources, River Development & Ganga Rejuvenation- MoWR, RD & GR) की परामर्शदात्री समिति ने 24 अगस्त, 2019 को इस राष्ट्रीय परियोजना के लिये 2285.81 करोड़ रुपए की संशोधित लागत निर्धारित की थी।
- 31 अक्तूबर, 2018 को MoWR, RD & GR के परामर्शदात्री समिति की 138वीं बैठक में दूसरे पुनरीक्षित लागत अनुमान के रूप में 2715.70 करोड़ रुपए की राशि को स्वीकृति दी गई।
- इस परियोजना के लिये 26.04 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता वित्तीय वर्ष 2009-10 से 2010-11 के दौरान जारी की गई थी।
- शाहपुरकंडी डैम परियोजना के कार्य घटकों की शेष लागत 1973.53 करोड़ रुपए (सिंचाई घटक: 564.63 करोड़ रुपए, ऊर्जा घटक:1408.90 करोड़ रुपए) है। इसमें 485.38 करोड़ रुपए की राशि केंद्रीय सहायता के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी।
पृष्ठभूमि :
- सिंधु नदी के जल बँटवारे के लिये 1960 में भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये थे। इस संधि के तहत भारत को 3 पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलज के जल के उपयोग का पूर्ण अधिकार प्राप्त हुआ था। लेकिन वर्तमान में रावी नदी के जल की कुछ मात्रा माधोपुर हेडवर्क्स होकर पाकिस्तान में चली जाती है।
- इस परियोजना के लागू होने से पानी की बर्बादी रोकने में मदद मिलेगी।
- पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच 1979 में एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। समझौते के तहत पंजाब सरकार द्वारा रंजीत सागर डैम (थीन डैम) और शाहपुरकंडी डैम का निर्माण किया जाना था। रंजीत सागर डैम का निर्माण कार्य अगस्त 2000 में पूरा हो गया था।
- शाहपुरकंडी डैम परियोजना रावी नदी पर रंजीत सागर डैम से 11 किमी. अनुप्रवाह (downstream or d/s) तथा माधोपुर हेडवर्क्स से 8 किमी. प्रतिप्रवाह (upstream or u/s) पर स्थित है।
- योजना आयोग ने नवंबर 2001 में इस परियोजना को प्रारंभिक स्तर पर मंज़ूरी दी थी और इसे त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (Accelerated Irrigation Benefit Programme- AIBP) के अंतर्गत शामिल किया गया था ताकि सिंचाई घटक के अंतर्गत इस परियोजना के लिये धन उपलब्ध कराया जा सके।
- हालाँकि पंजाब सरकार द्वारा ऊर्जा घटक के अंतर्गत राशि उपलब्ध न कराने और जम्मू-कश्मीर के साथ कई मुद्दों पर मतभेद होने के कारण इस परियोजना में कोई प्रगति नहीं हो सकी।
- इस संबंध में द्विपक्षीय स्तर पर कई बैठकें आयोजित की गईं तथा भारत सरकार के स्तर पर भी कई बैठकों का आयोजन हुआ। अंतत: MoWR, RD & GR के तत्त्वावधान में पंजाब और जम्मू-कश्मीर ने 8 सितंबर, 2018 को नई दिल्ली में एक समझौते पर सहमति व्यक्त की थी।