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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

टिड्डे की सात प्रजातियों की खोज

  • 05 Aug 2017
  • 6 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि हाल ही में एक छोटे गहरे काले और भूरे रंग के बौने टिड्डे (जिसकी लम्बाई 9.07 mm है) को छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया गया| टिड्डे की इस प्रजाति को कोरबा ज़िले के नम पर्णपाती जंगलों (moist deciduous forests) में पाया गया| इस प्रजाति को कोप्टोटेटिक्स कोर्बेंसिस (Coptotettix korbensis) नाम दिया गया|

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (Zoological Survey of India) के वैज्ञानिकों की इस खोज का उल्लेख अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका जूटेक्सा (Zootaxa) और फ्रांस की एक पत्रिका (Annales de la Societe Entomologique de France) में किया गया|  

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग

  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण  विभाग पर्यावरण और वन मंत्रालय का एक अधीनस्थ संगठन है| इसकी स्थापना 1916 में हुई थी| उस समय इसकी स्थापना का उद्देश्य यह था कि पशुवर्ग संबंधी असाधारण विविधता के धनी भारतीय उपमहाद्वीप के प्राणियों के विषय में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए|
  • इसका मुख्यालय कोलकाता में है| इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न भौगोलिक स्थानों में इसके 16 क्षेत्रीय स्टेशन भी अवस्थित हैं| 

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग द्वारा निम्नलिखित गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं-

  • राज्यों के जीवों का अध्ययन करना,
  • संरक्षित क्षेत्रों के जीव का अध्ययन करना,
  • महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी प्रणालियों के जीवों के विषय में अध्ययन करना,
  • संकटापन्न प्रजातियों की स्थिति का सर्वेक्षण करना, तथा 
  • भारत के जीवों और पारिस्थितिकी का अध्ययन और पर्यावरण प्रभाव का आकलन करना| 
  • ध्यातव्य है कि इस संबंध में प्रकाशित एक लेख में टिड्डे की एक नई प्रजाति छोटे सींग वाले टिड्डे एपिस्टोरस टिनेंसिस (Epistaurus tinsensis) का उल्लेख किया गया| इस प्रजाति को रायपुर के बरनावापाड़ा वन्यजीव अभयारण्य से लाया गया|
  • हाल ही में खोजी गई प्रजातियों की अपेक्षा आकार में थोड़े लंबे एपिस्टोरस टिनेंसिस के शरीर का रंग पीला- भूरा है| 
  • वर्ष 2017 में कॉप्टोटेटिक्स कोर्बेंसिस Coptotettix korbensis और एपिस्टोरस टिनेंसिस Epistaurus tinsensis नामक दो नई प्रजातियों की खोज की गई, परन्तु इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पिछले 20 महीने की अवधि के दौरान केवल छत्तीसगढ़ के जंगलों में टिड्डे की सात नई प्रजातियों को खोजा गया है|
  • उपरोक्त दो  के अलावा अन्य पाँच प्रजातियों की खोज वर्ष 2016 में की गई थी| नई खोजों में से चार खोजों में दक्षिण छत्तीसगढ़ के बस्तर ज़िले से बौने टिड्डे युपार्टेटिक्स दंडाकार्याएंसिस (Euparatettix dandakaranyensis), बरनावापाड़ा वन्यजीव अभयारण्य से हेडोटेटिक्स एंगुलाटस (Hedotettix angulatus) और छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले से एरगेटेक्सिक्स सबट्रैंकटास (Ergatettix subtruncatus) पाए गए|
  • छोटे सींग वाले टिड्डे की एक प्रजाति (Heteropternis raipurensis) की खोज रायपुर ज़िले में की गई |
  • बौने और छोटे सींग वाले टिड्डे ऑर्थोपेट्रा (कीट का एक प्रकार) वर्ग से हैं तथा उनके बीच एक बड़ा अंतर प्रोनोटम (प्लेट के समान संरचना, जो किसी कीट के वक्ष के सभी भागों को कवर करती है) का पाया जाना है| 
  • उल्लेखनीय है कि बौने टिड्डों की इस प्रकार शरीर को कवर करने की यह विशेषता छोटे सींग वाले टिड्डों में नहीं है|
  • भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के कथनानुसार, जोखिम भरे इलाके और वामपंथी उग्रवाद के कारण छत्तीसगढ़ के जंगलों की बहुल विविधता के विषय में अभी ऐसी बहुत सी खोजें होनी बाकी हैं, जो न केवल विस्मयकारी होंगी, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण होंगी|
  • ध्यातव्य है कि भारत में ओर्थोपेट्रा कीटवर्गों की 1,033 प्रजातियाँ हैं, जिनमें 285 छोटे सींग वाले तथा 135 बौने टिड्डे शामिल हैं|
  • वस्तुतः यह खोज कई मायनों में महत्त्वपूर्ण है| इसका कारण यह है कि टिड्डों का आर्थिक और पारिस्थितिकी दोनों रूपों में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है| वे खाद्य श्रृंखला का महत्त्वपूर्ण आधार होते हैं| उनके भक्षकों में सरीसृप, उभयचर और पक्षी शामिल हैं|
  • इसके अतिरिक्त वे पक्षी, सरीसृप, उभयचर और मछली जैसी संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण में भी प्रत्यक्ष रूप से योगदान करते हैं|
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2011 से अभी तक भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों द्वारा छह ज़िलों और आठ संरक्षित क्षेत्रों का पता लगाया गया है तथा इनसे संबद्ध राज्यों  की बहुल विविधता के विषय में भी जानकारी प्रदान की  गई है|
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